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बिहार की टॉप 25 कास्ट, कौन बना सकता है सरकार और किसमें हैं दूसरों का खेल बिगाड़ने की ताकत, जानें यहां

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर अलचल तेज हो गई है। इसी बीच केंद्र सरकार ने देशभर में जातीय जनगणना कराए जाने की घोषणा कर बिहार की राजनीति में एक नया तरंग छेड़ दिया है। इस बात से शायद ही कोई इनकार करे कि देश के किसी भी राज्य की राजनीति में जाति केंद्र बिंदु नहीं है। जाति जनगणना कराए जाने की घोषणा के बाद सबसे पहले बिहार में विधानसभा चुनाव हैं, इसलिए आइए जानते हैं कि इस राज्य में किस जाति की कितनी ताकत है।

जाति का नाम जाति की ताकत % में जाति की आबादी

जाति का नाम जाति की ताकत % में जाति की आबादी
1. यादव, अहीर, ग्वाला, घासी, गोप 14.27 1 करोड़ 86 लाख
2. दुसाध या पासवान 5.31 69 लाख 43 हजार
3. मोची, चमार या रविदास 5.26 68 लाख 69 हजार
4. कुशवाहा या कोइरी 4.21 55 लाख 6 हजार
5. ब्राह्मण 3.66 47 लाख 81 हजार
6. राजपूत 3.45 45 लाख 10 हजार
7. मुसहर 3.09 40 लाख 35 हजार
8. कुर्मी 2.88 37 लाख 62 हजार
9. भूमिहार 2.87 37 लाख 50 हजार
10. तेली 2.81 36 लाख 77 हजार
11. मल्लाह 2.61 34 लाख 10 हजार
12. वैश्य 2.32 30 लाख 96 हजार
13. कानू 2.21 28 लाख 92 हजार
14. धानुक 2.14 27 लाख 96 हजार
15. नोनिया 1.91 24 लाख 98 हजार
16. पान या सवासी जाति 1.70 22 लाख 28 हजार
17. कहार या चंद्रवंशी 1.65 21 लाख 55 हजार
18. नाई 1.59 20 लाख 82 हजार
19. बढ़ई 1.45 18 लाख 95 हजार
20. कुम्हार या प्रजापति 1.40 18 लाख 34 हजार
21. पासी 0.99 12 लाख 88 हजार
22. बिंद 0.98 12 लाख 85 हजार
23. कुल्हैया 0.96 12 लाख 53 हजार
24. भूइया 0.90 11 लाख 74 हजार
25. धोबी 0.84 10 लाख 96 हजार

बिहार की राजनीति में दूसरों पर डिपेंड रहने वाली जातियां

पासी, बिंद, कुल्हैया, भूइया और धोबी की आबादी 1-1 फीसदी है। जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी के फॉर्मूल के तहत इन जातियों के कम से कम एक विधायक होने चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। क्योंकि ये कहीं भी एकत्रित नहीं हैं। बिखराव के चलते इनका कोई प्रभावशाली नेता भी नहीं है। बिहार की पिछले तीन दशक की राजनीति पर नजर दौड़ाएं तो धोबी समाज से आने वाले समाजवादी नेता श्याम रजक जाने पहचाने नेता रहे। श्याम रजक पहले लालू यादव और राबड़ी की सरकारों में मंत्री रहे, फिर वह नीतीश कुमार की सरकारों में भी मंत्री रहे।

बिहार में उम्मीदवारों की हार-जीत तय करने वाली जातियां

पान या सवासी, कहार या चंद्रवंशी, नाई, बढ़ई और कुम्हार ये पांच जातियां ऐसी हैं जिनकी आबादी डेढ़ से दो फीसदी के बीच है। जहां तक इन जाति के लोगों की संख्या का सवाल है तो ये 18 से 20 लाख के बीच हैं। ये पांच वो जाति हैं जिनके वोट किसी भी प्रत्याशी के हार जीत को बदलने में सक्षम होता है। इन पांच जाति के लोगों का अलग अलग विधानसभा बिखराव होने के चलते राज्य स्तर पर इनका भी कोई सर्वमान्य नेता नहीं है।

बिहार चुनाव का रुख मोड़ने वाली जातियां

नोनिया, धानुक, कानू, वैश्य, मल्लाह ये पांच ऐसी जातियां हैं जिनकी आबादी दो से ढाई फीसदी के बीच है। इनमें हरके की आबादी 25 से 35 लाख के बीच है। ये बिहार में किंगमेकर जातियां मानी जाती हैं। इन जातियों में बनिया सामान्य वर्ग में आता है। साथ ही ये धनाड्य जाति है। बाकी चारो जाति अतिपिछड़े वर्ग में आती हैं। संख्या बल में ज्यादा होने के चलते इन जातियों के अपने अपने समूह हैं और कई नेता भी हैं। बिहार की सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में इन दलों के नेताओं को तवज्जो मिलती रही है।

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