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‘अब इधर-उधर नहीं जाएंगे’..आखिर नीतीश को क्यों देनी पड़ रही है बार-बार सफाई? ये है वजह

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर मंचों से यह दोहराते रहे हैं कि लालू प्रसाद यादव के साथ जाना उनकी एक बड़ी भूल थी। वे बार-बार इस बात का उल्लेख करते हैं कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उनका ‘स्वाभाविक मित्र’ है। पटना में ‘खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025’ के उद्घाटन समारोह में भी नीतीश कुमार ने भी यही बात दोहराई। अब सवाल उठता है कि नीतीश कुमार बार-बार लालू यादव के साथ जाना बड़ी भूल क्यों बता रहे हैं? इसके पीछे की वजह क्या है? आइए जानते हैं अंदर की बात…

बीजेपी साथ मिलकर नीतीश ने 2005 में बनाई थी सरकार
इस बयान के मायने जानने के लिए हमें नीतीश कुमार के अतीत में जाना होगा, जब नीतीश कुमार ने वर्ष 2005 में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। उस वक्त नीतीश कुमार ने बिहार में लालू के ‘जंगल राज’ का मुद्दा उठाया था। इसी की बदौलत नीतीश कुमार बिहार की सत्ता में आए और राज्य में ‘सुशासन’ की स्थापना। हालांकि 2014 में नीतीश कुमार ने एनडीए का छोड़ दिया और 2015 में राजद के साथ चले गए। 2015 में नीतीश कुमार ने राजद के साथ महागठबंधन की सरकार बनाई। इसमें तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बने। हालांकि नीतीश कुमार जब-जब महागठबंधन के साथ गए, वे कार्यकाल पूरा किए बिना ही एनडीए में लौट आए।

2025 की तैयारी: ‘जंगल राज बनाम सुशासन’ की जंग
नीतीश कुमार ने राजद का साथ छोड़ा तो वजह केवल भ्रष्टाचार ही बना। अब नीतीश कुमार खुले मंच से राजद के साथ जाने को अपनी भूल बताना नहीं भूलते। ‘सुशासन बाबू’ के ये बयान लगातार संकेत दे रहे हैं कि वे अब स्थायी रूप से एनडीए के साथ रहेंगे। उन्होंने कहा है कि एनडीए छोड़ने का उन्हें अफसोस है और अब वे इधर-उधर नहीं जाएंगे।

नीतीश के भाषणों में 2005 से पहले की स्थितियों का बार-बार जिक्र होता है, जब बिहार ‘जंगल राज’ से जूझ रहा था। इससे एक बात साफ हो गई है कि 2025 के बिहार चुनाव में यही नैरेटिव दोहराया जाएगा- एक ओर लालू प्रसाद यादव का ‘जंगल राज’ और दूसरी ओर नीतीश कुमार का ‘सुशासन’।

विपक्ष का तंज और एनडीए की एकजुटता
नीतीश के लगातार दिए जा रहे ‘इधर-उधर नहीं जाऊंगा’ वाले बयानों पर विपक्ष महागठबंधन के दलों ने सवाल खड़े किए हैं। वहीं एनडीए के नेताओं ने साफ कहा है कि अगला विधानसभा चुनाव भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा।

बिहार बीजेपी प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि नीतीश और भाजपा की ‘डबल इंजन सरकार’ ने बिहार में अभूतपूर्व विकास किया है। एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही बिहार चुनाव लड़ेगा और एनडीए की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि विपक्ष के दलों में इसे लेकर जलन हो रही है।

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता शिशिर कौडिल्य ने कहा कि ‘चोर की दाड़ी में तिनका’, शायद यही वजह है कि नीतीश कुमार बार-बार इस बात की सफाई दे रहे हैं कि वो अब कहीं नहीं जाएंगे। अब सवाल उठाता है कि क्या नीतीश कुमार बीजेपी के दबाव में है, जो भाजपा के सामने खुद को साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।

बिहार जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि नीतीश कुमार पुरानी बातें भूलकर अपने नेचुरल गठबंधन के साथ, यानी बीजेपी, जिसके साथ उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत की, उसी के साथ आगे भी गठबंधन कायम रखने की बात कहते हैं। इसी में राज्य की जनता भी सहज रहती है।

राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इस मुद्दे पर कहा कि नीतीश कुमार को बार-बार सफाई देनी पड़ रही है कि वो अब इधर-उधर नहीं करेंगे। इससे बिहार की जनता को भी उन पर विश्वास नहीं हो रहा है। अब नीतीश कुमार चाहे कितनी भी सफाई दे लें, उनकी विदाई तय है।

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