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ख़बरेंदिल्ली

Operation Sindoor : कौन हैं विंग कमांडर व्योमिका सिंह? क्या है इनके नाम का मतलब, जानें यहां

आतंक के खिलाफ पाकिस्तान पर भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर की पूरी कहानी लगातार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के सामने रखने के बाद बेहद चर्चा में आने वाली वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह लखनऊ की बेटी हैं। कुशल हेलीकॉप्टर पायलट व्योमिका सिंह की ससुराल हरियाणा के भिवानी गांव बापोड़ा में है। व्योमिका के पति दिनेश सिंह सभ्रवाल भी विंग कमांडर है। बापोड़ा को फौजियों का गांव कहा जाता है। पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह सहित कई सैन्य अधिकारी भी इसी गांव से ताल्लुक रखते हैं।

‘नारी शक्ति’ के प्रतीक के रूप में मंच पर थीं
लखनऊ की मूल निवासी विंग कमांडर व्योमिका सिंह सभ्रवाल कुशल हेलीकॉप्टर पायलट हैं। उनका मीडियो ब्रीफिंग में विदेश सचिव विक्रम मिसरी और कर्नल सोफिया कुरैशी के साथ आना लखनऊ के लिए गर्व का क्षण था। विंग कमांडर व्योमिका सिंह नई दिल्ली में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के लिए एक उच्च-प्रोफाइल ब्रीफिंग में आत्मविश्वास से खड़ी थीं। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में विस्तार से जानकारी दी, जो भारत के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई हवाई कार्रवाई थी। व्‍योमिका के नाम का अर्थ है ‘आकाश की बेटी’ और ऑपरेशन सिंदूर की इस प्रेस ब्रीफिंग में वह ‘नारी शक्ति’ के प्रतीक के रूप में मंच पर थीं।

बचपन के एक महत्वपूर्ण क्षण को साझा किया
विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने 2023 में चर्चा के दौरान बचपन के एक महत्वपूर्ण क्षण को साझा करते हुए बताया था कि कैसे उनके नाम ने उनके भाग्य को शक्‍ल दी। उन्होंने कहा कि मैं कक्षा छह में थी जब मुझे यह एहसास हुआ। हम कक्षा में नामों के अर्थ पर चर्चा कर रहे थे। मेरा नाम व्योमिका है, व्योम का अर्थ है आकाश। एक लड़की ने चिल्लाकर कहा कि तुम्‍हारा नाम व्योमिका है, इसका मतलब हुआ आकाश की स्‍वामी। बस उस दिन से मैं पायलट बनना चाहती थी।

व्योमिका को 2017 में प्रमोशन के बाद विंग कमांडर का पद मिला और 2019 में फ्लाइंग ब्रांच में स्थायी कमीशन मिला। 2020 में उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में महत्वपूर्ण बचाव अभियान का नेतृत्व किया, जिसमें नागरिकों को निकालने के लिए विषम परिस्थितियों में उड़ान भरी। 2021 में उन्होंने 21,650 फीट ऊंचे माउंट मणिरंग पर हुए पर्वतारोहण अभियान में भी भाग लिया। भारतीय वायु सेना में 18 दिसंबर, 2004 को 21वें शॉर्ट सर्विस कमीशन के रूप में कमीशन प्राप्त करने वाली व्योमिका सिंह 13 वर्षों में (2017 में) विंग कमांडर के पद तक पहुंचीं। दिसंबर 2019 में स्थायी कमीशन मिला। उनके पास 2,500 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव है। उन्होंने विंग कमांडर व्योमिका चेतक और चीता जैसे हेलिकॉप्टरों को दुर्गम और चुनौतीपूर्ण इलाकों में उड़ाने में माहिर हैं। वे परिवार की पहली महिला सदस्य हैं, जो पिछले 21 वर्षों से एयरफोर्स में सेवा देते हुए देश की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

फौजियों के गांव की बहू
विंग कमांडर व्योमिका सिंह के ससुर प्रेम सिंह अब भी गांव में ही रहते हैं, जबकि व्योमिका पति के साथ गुरुग्राम में रह रही हैं। शहर से मात्र आठ किलोमीटर दूर गांव बापोड़ा सैनिकों का गांव कहलाता है। गांव के हर दूसरे घर का बेटा फौजी है। गांव में 20 हजार लोगों की आबादी में करीब दो हजार से अधिक सैनिक और पूर्व सैनिक हैं।

पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह सहित कई सैन्य अधिकारी भी इसी गांव से ताल्लुक रखते हैं। वीर सपूतों का गांव बापोड़ा के स्वागत द्वार पर 1971 में पाकिस्तान युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाला टी-55 टैंक वीरों की वीरगाथा को बयां कर रहा है। सेना के वीर चक्र विजेता (मरणोपरांत ) माथन सिंह भी गांव बापोड़ा के वीर सपूत थे, जिनके नाम पर वर्तमान में भिवानी का रेलवे स्टेशन बना हुआ है।

वायुसेना में लखनऊ के अफसर
विंग कमांडर व्योमिका सिंह से पहले लखनऊ में इंदिरा नगर के पटेल नगर की तनुष्का सिंह का नाम ऊंची उड़ान से जुड़ा। 24 वर्ष की फ्लाइंग ऑफिसर तनुष्का जगुआर फाइटर जेट स्क्वाड्रन में स्थायी रूप से शामिल होने वाली भारतीय वायुसेना की पहली महिला पायलट बनीं।

अंबाला एयरबेस कैंप में तैनात तनुष्का के दादा देवेंद्र बहादुर सिंह सेना के रिटायर्ड कैप्टन और पिता अजय प्रताप सिंह सेना के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल हैं। तनुष्का के दादा ने बताया कि बचपन से ही पौत्री का सपना सशस्त्र बल में सेवा करने का था। तमिलनाडु में वायुसेना अकादमी में ट्रेनिंग लेने के बाद उन्हें कमिशन दिया गया और फिर उन्होंने हॉक एमके 132 लड़ाकू विमान पर एक वर्ष तक पायलट के रूप में प्रशिक्षण लिया। अब तनुष्का जल्द जगुआर स्क्वाड्रन में शामिल हैं।

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