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Malaysia : मलेशिया में प्राचीन मंदिर तोड़कर बनाई जा रही मस्जिद, हिन्दुओं में आक्रोश, जानें क्या है मामला 

कुआलालंपुर : मलेशिया की राजधानी में मस्जिद के लिए हिंदू मंदिर को हटाने के सुझाव पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इससे मलेशिया में धार्मिक समानता और शहरी पुनर्विकास के दावे की पोल खुल गई है। मलेशिया में गैर मुस्लिम बड़े पैमाने पर धार्मिक भेदभाव की शिकायतें करते रहे हैं। हालांकि, वहां की हर सरकार ने ऐसे दावों को खारिज किया है। जिस मंदिर को हटाया जाना है, वह राजधानी कुआलालंपुर के मध्य में फ्लैटों और कपड़ा दुकानों के बीच एक छोटी लेकिन कीमती जगह पर स्थित है। इसका नाम देवी श्री पथराकालीअम्मन मंदिर है। अब इस मंदिर का भविष्य अनिश्चित है।

130 साल पुरानी है हटाई जा रही मंंदिर

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, देवी श्री पथराकालीअम्मन मंदिर की जगह को मलेशिया की कपड़ा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी जैकेल को बेच दिया गया है, जो इस जगह पर मस्जिद बनाने की योजना बना रही है। यह मंदिर मस्जिद इंडिया के पड़ोस में स्थित है, जिसका नाम 140 साल पुरानी तमिल मुस्लिम मस्जिद के नाम पर रखा गया है। हिंदू मंदिर का दावा है कि इसकी नींव मुस्लिम मस्जिद के निर्माण के सिर्फ 10 साल बाद रखी गई थी। ऐसे में यह मंदिर भी कम से म 130 साल पुरानी है।

मंदिर की जमीन को कपड़ा कंपनी के मालिक ने खरीदा

कुआलालंपुर में स्थित यह मंदिर और मस्जिद दोनों मूल रूप से सरकारी भूमि पर स्थित था, जिसे 2014 में जैकेल को बेच दिया गया था। कंपनी के दिवंगत संस्थापक मोहम्मद जैकेल अहमद ने इस भूखंड को इस इरादे से खरीदा था कि इस क्षेत्र में चौथी मस्जिद बनाई जाए और इसे मुस्लिम समुदाय को उपहार में दिया जाए। लेकिन हाल के हफ्तों तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। कथित तौर पर नई मस्जिद का शिलान्यास इस गुरुवार को प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम द्वारा किया जाएगा।

मंदिर की जगह मस्जिद बनाने पर बवाल

लॉयर्स फॉर लिबर्टी के कार्यकारी निदेशक जैद मालेक ने जल्दबाजी पर सवाल उठाते हुए कहा कि मंदिर, जैकेल और सिटी हॉल के बीच चर्चा अभी भी जारी है। शनिवार को एक बयान में जैद ने कहा, “अनवर उस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आवश्यक स्थान और समय देने के लिए तैयार क्यों नहीं हैं?” उन्होंने कहा, “यह अस्वीकार्य है कि अनवर को लगता है कि मंदिर को हटाकर उसकी जगह पर मस्जिद बनाना उचित है।”

पीएम अनवर इब्राहिम ने क्या कहा

प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने कहा था, “मंदिर पुराना है, और इसकी स्थिति को मंजूरी नहीं मिली है; यह कानूनी नहीं है, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे रिश्ते सौहार्दपूर्ण हैं, [जैकेल] कुछ सहायता देने के लिए सहमत हो गए हैं, जबकि [सिटी हॉल] एक दूसरी जमीन की तलाश कर रहा है, ताकि यह कोई समस्या न बने।” उन्होंने इसमें शामिल वकीलों की भी आलोचना की, उन पर धार्मिक उत्पीड़न की भ्रामक तस्वीर पेश करने के लिए इस मुद्दे का फायदा उठाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मैं खुद को प्रधानमंत्री के रूप में किसी मंदिर को ध्वस्त करते हुए नहीं सोच सकता।

हिंदू नेताओं ने जताया दुख

जातीय भारतीय पार्टी उरीमाई के पी रामासामी ने कहा कि यह मंदिर “मलेशिया की स्वतंत्रता से पहले का एक महत्वपूर्ण और धार्मिक स्थल है”। पेनांग के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, “किसी अन्य उद्देश्य के लिए एक लंबे समय से स्थापित हिंदू मंदिर को हटाना अस्वीकार्य है, खासकर ऐसे देश में जो खुद को बहुजातीय और बहुधार्मिक होने पर गर्व करता है।” कुछ मलय मुसलमानों की ओर से भी प्रतिक्रिया आई है, जो मंदिर के उस अधिकार पर सवाल उठाते हैं जो अब निजी स्वामित्व वाली भूमि पर बना हुआ है और तर्क देते हैं कि भूमि मालिक को दिवंगत मोहम्मद जैकेल के धार्मिक दृष्टिकोण को पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

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