Join Whatsapp Group
Join Our Whatsapp Group
ख़बरेंमनोरंजनराजस्थान

सपने में भी कांपता था अकबर, हो जाता था पसीना-पसीना, इस योद्धा के युद्ध कौशल से हो जाता था विचलित

 मुगलों सहित विदेशियों के सत्‍ता विस्‍तार को रोकने में अपनी वीरता और हिम्‍मत का बेहद साहसी परिचय दिया। फिर चाहे वह पृथ्‍वीराज चौहान हो, शिवाजी हो, राणा कुंभा हो या महाराणा प्रताप। लेकिन इन सभी योद्धाओं के बीच महाराणा प्रताप एक ऐसा नाम रहा, जिसकी वीरता, साहस और रणभूमि में बेहतरीन जंग के किस्‍से पूरे देश में ही नहीं, बल्‍कि उस दौर में भी पूरी दुनिया में चर्चित रहे जबकि प्रताप की वीरता आज भी पूरी दुनिया में मानी जाती है।

राजवंश की गद्दी संभाली

भारत के इतिहास में महाराणा प्रताप एकमात्र ऐसे योद्धा रहे, जिन्‍होंने कभी किसी मुगल बादशाह के आगे हार नहीं मानी। महाराणा प्रताप का जन्‍म, आज ही के दिन यानी की, 9 मई 1540 को कुंभलगढ़ राजस्‍थान में हुआ था। प्रताप उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे। महाराणा प्रताप ने जब सिसोदिया राजवंश की गद्दी संभाली, तब दिल्‍ली में मुगल बादशाह जलालुद्दीन मोहम्‍मद अकबर का शासन था। कई परिस्‍थितियों के बीच महाराणा प्रताप ने मेवाड़ की बागडोर अपने हाथ में ली।

राजपूतों ने मुगलों के छक्‍के छुड़ा दिए

महाराणा प्रताप ने अपने अद्दभुत शौर्य, कुशल रणनीति, हिम्‍मत, व युद्ध कौशल के जरिये मुगल सेनाओं को कई बार हराया। भारत के इतिहास में महाराणा प्रताप हल्‍दी घाटी के युद्ध के लिए भी प्रसिद्ध है, जब 1576 के हल्दीघाटी युद्ध में 20000 राजपूतों को साथ लेकर प्रताप ने अकबर की विशाल सेना का सामना किया और महज चंद मुट्ठीभर राजपूतों ने मुगलों के छक्‍के छुड़ा दिए।
इतिहासकार मानते हैं कि इस सेना में कोई विजय नहीं हुआ, लेकिन महाराणा प्रताप और राजपूतों का युद्ध कौशल देखकर मुगल हतप्रभ थे।

सपने में भी राणा के नाम से चौंक जाता था

इतिहासकारों की मानें, तो 12 सालों के लंबे संघर्ष के बाद भी महाराणा प्रताप अकबर के अधीन नहीं आए। बताया जाता है कि राणा से अकबर इतना डर गया था, खासकर उसका युद्ध कौशल देखकर कि वह सपने में भी राणा के नाम से चौंक जाता था और पसीना-पसीना हो जाता था। यही नहीं लंबे समय तक राणा की तलवार अकबर के मन में डर के रूप में बैठ गई थी। कहा जाता है कि अकबर इतना सहमा हुआ था कि उसने अपनी राजधानी पहले लाहौर और बाद में राणा की मृत्‍यु के बाद आगरा ले जाने का फैसला किया।

मौत की खबर सुनकर उसकी आंख में आंसू आ गए थे

बहरहाल, राणा प्रताप की विजय और उनके वीरता के किस्‍से न केवल राजस्‍थान में बल्‍कि भारत सहित पूरे एशिया में आज भी गूंजते हैं। यकीनन ये अकबर की भी महानता ही थी कि जब उसे महाराणा की मृत्‍यु की खबर मिली, तो उसे बहुत दुःख हुआ और चूंकि वह महाराणा प्रताप के गुणों का प्रशंसक था और वह खुद भी जानता था कि महाराणा जैसा योद्धा और साहसी वीर पृथ्‍वी पर मुश्‍किल है, लिहाजा राणा की मौत की खबर सुनकर उसकी आंख में आंसू आ गए थे।

इसे भी पढ़ें : Mukesh Ambani Family Study: देश के सबसे अमीर फैमिली में कितने पढ़े लिखे हैं सब, जानिये अंबानी फैमिली की स्टडी लाइफ

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button