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Bhopal : सनातन संस्कृति वाले भारत वर्ष में पैदा होने पर हमें गर्व होना चाहिए : शशांक महाराज

भोपाल से विनोद त्रिपाठी की रिर्पोट


भोपाल : राजधानी में आयोजित भागवत में आचार्य शशांक शेखर महाराज ने मां आदिशक्ति के प्रादुर्भाव सहित, मां महाकाली, देवी चामुंडा और देवी दुर्गा के प्रादुर्भाव का वर्णन किया। जिसके अंतर्गत चंड-मुंड, शुंभ-निशुंभ एवं मधु-कैटभ के वध का वाचन किया। इसके साथ ही रक्तबीज नामक असुर का मां महाकाली द्वारा संहार का वर्णन किया। व्यास पीठ शशांक शेखर महाराज ने आगे की कथा में महिषासुर नामक दैत्य के द्वारा देवताओं के ऊपर हो रहे अत्याचारों और संसार की सभी शक्तियों को अपने अधीन कर लेने का वृतांत सुनाया।

मनमोहक झांकी का दर्शन

अपनी शक्तियां क्षीण हो जाने से निराश देवताओं के निवेदन पर मां आदिशक्ति अष्टभुजा रूप धारण कर उनके सामने प्रकट होती हैं। सभी देव उनको अस्त्र-शस्त्र प्रदान करते हैं। देवों की व्यथा सुनकर देवी को क्रोध आ जाता है और देवी महिषासुर के वध करने के लिए बढ़ जाती हैं। देवी और दैत्य के मध्य भयंकर युद्ध होता है असुर देवी के एक हुंकार मात्र से नष्ट होने लगते हैं और समस्त सेना देवी की योगिनियों से युद्ध करते हुए समाप्त हो जाती है। जिसके बाद अकेले बचे महिषासुर का अष्टभुजा धारी देवी दुर्गा अपने त्रिशूल के एक प्रहार से अंत कर महिषासुर मर्दिनी कहलाती हैं। सभी देव माता के विजय पर महिषासुर मर्दिनी स्त्रोत से देवी की स्तुति करते हैं। कथा पंडाल में इस मनमोहक झांकी का दर्शन कर सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो देवी के भजनों पर झूमने लगे।

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