Join Whatsapp Group
Join Our Whatsapp Group
Success Storyख़बरें

जुनून और दृढ़ संकल्प की बदौलत देबादित्य चौधरी ने खड़ा कर दिया 150 करोड़ का साम्राज्‍य, हर कोई हैरान, जाने इनकी प्रेरणादायक स्टोरी

नई दिल्‍ली: कोलकाता के मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले देबादित्य चौधरी को मोहल्ले के चाइनीज भोजनालय से मिली प्रेरणा ने उन्हें देश के सफलतम रेस्तरां उद्यमियों में से एक बना दिया। उन्होंने 2010 में सिर्फ 15 लाख रुपये के निवेश और 350 वर्ग फीट की एक छोटी सी जगह में चॉवमैन (Chowman) की शुरुआत की।। आइए, यहां ​देबादित्य चौधरी की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।

चाइनीज खाने से ऐसे हुआ प्‍यार
देबादित्य चौधरी का बचपन कोलकाता के बालीगंज इलाके में बीता। वहां पास के ‘किम वाह’ रेस्तरां से आने वाली चाइनीज खाने की खुशबू उनके मन में गहरी बैठ गई। छह साल की उम्र में पहली बार चाइनीज खाना चखते ही उन्हें उससे प्यार हो गया। किम वाह के मालिक का परिवार देबादित्‍य के लिए एक्‍सटेंडेड फैमिली जैसा था। इन अनुभवों ने उनमें अपना खुद का चाइनीज रेस्तरां खोलने का सपना जगाया। यह सपना उनके दिल में हमेशा जिंदा रहा, भले ही उन्होंने पढ़ाई और संगीत में अपनी रुचि जारी रखी। उन्होंने 1999 में साउथ पॉइंट हाई स्कूल से 10वीं और 2004 में सेंट जेवियर्स कॉलेज से बी.कॉम पूरा किया। इसके बाद उन्होंने 2006 में IISWBM से एमबीए किया।

नौकरी छोड़ने का लिया बड़ा रिस्‍क
देबादित्य पढ़ाई के साथ संगीत के भी बेहद जुनूनी थे। उन्होंने कॉलेज के पहले साल में अपने दोस्तों के साथ मिलकर बंगाली रॉक बैंड ‘लक्खीछारा’ की स्थापना की। एक कीबोर्ड प्‍लेयर के रूप में बैंड के साथ कई देशों में परफॉरमेंस दी। एमबीए के बाद उन्होंने 2006 में ब्लू लोटस कम्युनिकेशंस नाम की पीआर एजेंसी में ब्रांड हेड के रूप में काम करना शुरू किया। वहां देबादित्‍य 2010 तक काम करते रहे। उनकी मासिक इनकम 1 लाख रुपये तक पहुंच गई। हालांकि, उनके बचपन का चाइनीज रेस्तरां खोलने का सपना कभी फीका नहीं पड़ा। पर्याप्त पैसे बचाने के बाद उन्होंने अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ दी और अपने उद्यम की ओर कदम बढ़ाया। यह जानते हुए कि कोलकाता जैसे शहर में पहले से ही कई प्रसिद्ध चाइनीज रेस्तरां मौजूद हैं, उन्‍होंने रिस्‍क लेने का फैसला क‍िया।

पहले आउटलेट को मिला जोरदार रेस्‍पॉन्‍स
देबादित्य ने अपने पहले चॉवमैन आउटलेट को मध्यम वर्ग के ग्राहकों के लिए किफायती कीमत पर ‘फाइन-डाइनिंग’ अनुभव प्रदान करके अलग करने का फैसला किया। उनका लक्ष्य सड़क किनारे भोजनालयों की कीमत पर फाइव-स्टार चाइनीज डाइनिंग अनुभव देना था। प्रामाणिक माहौल बनाने के लिए उन्होंने सीधे चीन से सॉस, क्रॉकरी और कटलरी का आयात किया। दो प्रशिक्षित शेफ और 70 व्यंजनों के साथ शुरू हुआ उनका पहला आउटलेट तुरंत लोकप्रिय हो गया। रेस्टोरेंट में 300 रुपये में दो लोगों के लिए मेनू की पेशकश की गई। स्वादिष्ट भोजन और किफायती कीमतों के कारण उनका रेस्तरां खुलने के बाद से ही ग्राहकों से गुलजार रहता था। पहले साल में ही चॉवमैन ने 20 लाख रुपये का टर्नओवर हासिल किया, जिससे उत्साहित होकर उन्होंने 2011 में दूसरा आउटलेट खोला और 2013 तक 1 करोड़ रुपये के टर्नओवर तक पहुंच गए।

रेस्‍तरां साम्राज्य का हुआ विस्तार
चॉवमैन की बढ़ती मांग को देखते हुए देबादित्य ने होम डिलीवरी सिस्टम लागू किया। आज उनका रेस्तरां स्विगी और जोमैटो जैसे एग्रीगेटर्स के साथ अपनी डिलीवरी टीम भी रखता है। वर्तमान में, चॉवमैन के कोलकाता, बेंगलुरु और दिल्ली में 29 आउटलेट हैं। चॉवमैन की सफलता के बाद देबादित्य और उनके बड़े भाई शिलादित्य चौधरी ने मिलकर दो और सफल रेस्तरां चेन – अवध 1590 (अवधी व्यंजन) और चैप्टर 2 (लाइव म्यूजिक के साथ कॉन्टिनेंटल व्यंजन) – शुरू किए। इससे 2023 में उनका रेस्तरां साम्राज्य 150 करोड़ रुपये के टर्नओवर तक पहुंच गया। इस सब के बावजूद देबादित्य अपने बैंड ‘लक्खीछारा’ के सक्रिय मेंबर बने हुए हैं और यात्रा के अपने शौक को भी पूरा करते हैं। देबादित्य की कहानी साबित करती है कि जुनून, कड़ी मेहनत और ग्राहकों की जरूरतों को समझने की क्षमता के साथ कोई भी अपने सपनों को हकीकत में बदल सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button