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Ara : जीवन निर्माण में रामायण की महिला पात्र का विशेष योगदान है : प्रो. मीना कुमारी

रिपोर्ट– जितेंद्र कुमार

आरा : महंत महादेवानंद महिला महाविद्यालय आरा के हिंदी विभाग में जानकी नवमी के उपलक्ष्य में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका विषय ‘सीता और रामायण की स्त्री पात्र’ था। हालांकि जानकी नवमी 6 मई को है और उस दिन अवकाश होने और परीक्षा को देखते हुए विभाग ने दो दिन पूर्व ही यह आयोजन करने का निर्णय लिया। सर्वप्रथम, महंत महादेवानंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। तत्पश्चात हिंदी विभाग की अदिति कुमारी द्वारा बनाए गए मां जानकी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। कॉलेज की प्रधानाचार्या मीना कुमारी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और कॉलेज के हिंदी विभाग की जूही ने सीता जी द्वारा गाये गये गौरी स्तुति का गान किया और जागृति ने ‘जय जगत नंदनी’ सीता स्तुति गाया।

रामायण के सभी स्त्री पात्रों पर बात रखी
प्रधानाचार्या ने रामायण के सभी स्त्री पात्रों पर अपनी बात रखते हुए सीता के जन्म से लेकर अग्नि-परीक्षा तक की बात को संक्षेप में रखा। उन्होंने अहिल्याबाई, माता अनुसुइया, माता शबरी, तारा, सूर्पनखा, त्रिजटा आदि चरित्र पर भी अपनी बात रखी। विभागाध्यक्ष डॉ. सुधा रंजनी ने मंच का संचालन करते हुए यह कहा कि भारतीय समाज और संस्कृति को अगर जानना-समझना है तो हमें रामायण की स्त्री पात्र के जीवन में झांकना होगा।

अंजू कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया
हिंदी विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ. अंजू कुमारी ने सुमित्रा के त्याग और उनके दोनों पुत्र लक्ष्मण और शत्रुघ्न के चरित्र निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। मनोविज्ञान विभाग की डॉ. रश्मि गुप्ता ने कैकेई के चरित्र की खूबियां और कमियां दोनों पर बातें की। छात्राओं में सुनिधि कुमारी, खुशी कुमारी, अंजलि कुमारी, जूही, जागृति, अदिति, श्रुति, रागिनी आदि ने रामायण के विभिन्न स्त्री पात्रों पर अपने आलेख प्रस्तुत किए। डॉ. अंजू कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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