The Wise Fool King: क्यों कहा जाता है मुहम्मद बिन तुगलक को ‘सनकी शासक’?
The Wise Fool King: इतिहासकारो के मुताबिक मुहम्मद बिन तुगलक ने कई योजनाएँ बनाईं, लेकिन ज़्यादातर विफल रहीं। उसकी नीतियों और फ़ैसलों से निराश होकर लोग उसे मूर्ख बोलने लगे।

The Wise Fool King: मुहम्मद बिन तुगलक, दिल्ली सल्तनत का अठारहवां सुल्तान, 1325 से 1351 तक करीब 26 वर्षों तक भारत के कई हिस्सों पर शासन किया। इतिहास में उन्हें एक पढ़ा-लिखा, समझदार और दूरदर्शी शासक माना गया, लेकिन उनकी सनकी और अव्यवहारिक नीतियों के चलते उन्हें “बुद्धिमान मूर्ख” कहकर भी याद किया जाता है।
The Wise Fool King- क्यों कहा जाता है ‘बुद्धिमान मूर्ख बादशाह’?
मुहम्मद बिन तुगलक (The Wise Fool King) को अरबी, फारसी, गणित, खगोलशास्त्र और चिकित्सा जैसी विधाओं का अच्छा ज्ञान था। उनकी विद्वत्ता की तारीफ की जाती थी, लेकिन उनकी योजनाएं और प्रशासनिक फैसले इतने असंगत और अजीब थे कि अधिकतर योजनाएं असफल हो गईं। लोगों का जीवन प्रभावित हुआ और विद्रोह तक होने लगे।
तुगलकी फरमान: सनक भरे फैसलों का प्रतीक
उनके शासनकाल में “तुगलकी फरमान” एक प्रचलित कहावत बन गई, जो सनकी और अव्यवहारिक आदेशों को दर्शाती है। मुहम्मद बिन तुगलक की नीतियां जनता के लिए भारी पड़ती थीं। एक तरफ वह कभी दयालुता दिखाते तो दूसरी ओर अत्यधिक कठोरता भी।
टोकन मुद्रा योजना: टांबे के सिक्कों से मची अफरातफरी
तुगलक (The Wise Fool King) की सबसे विवादित नीतियों में से एक थी – टोकन मुद्रा की शुरुआत। उन्होंने सोने और चांदी के सिक्कों की जगह टांबे के सिक्के चलाने का आदेश दिया। यह निर्णय बुरी तरह असफल हुआ क्योंकि नकली सिक्के आसानी से बनाए जाने लगे। इससे देश में नकली मुद्रा की बाढ़ आ गई, और अर्थव्यवस्था चरमरा गई।
खजाना हुआ खाली, बढ़ा आर्थिक संकट
टांबे के सिक्कों के कारण बाजार में विश्वास खत्म हो गया और व्यापार ठप होने लगा। मुहम्मद बिन तुगलक (The Wise Fool King) को भारी आर्थिक नुकसान हुआ और सोने-चांदी के असली सिक्कों को वापस लाने में खजाना लगभग खाली हो गया। इसके चलते शासन में वित्तीय अस्थिरता आ गई।
The Wise Fool King- राजधानी का स्थानांतरण: एक और गलत निर्णय
एक और चर्चित और विफल योजना थी राजधानी को दिल्ली से दौलताबाद (अब महाराष्ट्र में) स्थानांतरित करना। तुगलक ने प्रशासनिक नियंत्रण के उद्देश्य से यह कदम उठाया, लेकिन पूरे राज्य की जनता और सेना को सैकड़ों मील दूर ले जाना बहुत कठिन साबित हुआ। इससे प्रजा में असंतोष फैला और सेना की कार्यक्षमता कमजोर हुई।
विशाल सेना, लेकिन कमजोर तैयारी
तुगलक (The Wise Fool King) ने लगभग 3,70,000 सैनिकों की सेना तैयार की और उन्हें एडवांस वेतन भी दिया। लेकिन समस्या यह थी कि इन सैनिकों का प्रशिक्षण अधूरा था और युद्ध कौशल में कमी थी। इससे उनका सैन्य अभियान भी अपेक्षित सफलता नहीं दिला सका।