
नई दिल्ली: हम एक सुप्रीम कोर्ट के एक ऐसे जज की बात करेंगे, जिन्होंने रिटायर होते ही अपना सरकारी बंगला खाली किए और बिना किसी तामझाम के अपने गांव चल दिए. दरअसल, हम बात कर रहे हैं- जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर की. वह 22 जून 2018 को रिटायर हुए थे. आइए, उनकी कहानी पर नजर डालते हैं.
तारीख 22 जून साल 2018… सुबह के 5 बजे थे, दिल्ली के तुगलक रोड स्थित जजेज कॉलोनी से सामान से लदे हुए ट्रक रवाना हो रहे थे. जब मीडिया और लोगों ने जानने की कोशिश की कि आखिर माजरा क्या है? तो पता चला सुप्रीम कोर्ट के बेबाक जज, जो अपने कड़े फैसलों के लिए जाने जाते थे, ने छह वर्षों से उपयोग में लाए गए अपने बंगले को खाली कर दिया. सुप्रीम कोर्ट में आज उनका आखिरी दिन था यानी न्यायिक पद पर न्यायिक पद पर लगभग 21 वर्ष और 8 महीने का कार्यकाल का आखिरी दिन. बिना ताम-झाम, बिना किसी फेयरवेल…और बिना किसी देरी और किसी पद के मोह में उन्होंने 6 साल पहले मिले बंगले को खाली कर अपने गांव आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पेद्दा मुत्तेवी जाने का फैसला किया. जस्टिस चेलमेश्वर ने न्यायपालिका में अपने करियर के दौरान कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं और कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा बने.
कोई पद नहीं चाहिए
अपने न्यायिक सफर में उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में अतिरिक्त जस्टिस के रूप में शुरुआत की. 2007 में वह गुवाहाटी हाईकोर्ट और फिर केरल हाईकोर्ट का मुख्य जस्टिस बने. अक्टूबर 2011 में वे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के रूप में प्रोमोट हुए. रिटायरमेंट से पहले तो जस्टिस चेलमेश्वर ने साफ कर दिया था कि वह किसी सरकारी पद की तलाश में नहीं हैं और अपने गांव लौट जाएंगे. अपने वादे के अनुसार, उन्होंने वैसा ही किया और बंगला को वैसे ही लौटाया, जैसा कि उनको 6 साल पहले दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के गंभीर मुद्दों पर उठा चुके हैं सवाल
उनके कार्यकाल की सबसे चर्चित घटना वह ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस थी. 12 जनवरी 2018 को उनके आवास पर आयोजित की गई थी. इसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य जस्टिसों के साथ मिलकर देश की सर्वोच्च अदालत में व्याप्त गंभीर मुद्दों को उजागर किया था. उन्होंने चीफ जस्टिस को लिखे एक पत्र को सार्वजनिक किया था, जिसमें मामलों के आवंटन (Master of Roster) को लेकर पारदर्शिता की कमी की ओर इशारा किया गया था.
18 मई को उनका अंतिम कार्यकाल था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मुख्य जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ बेंच में बैठकर मामलों की सुनवाई की थी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से दी जाने वाली पारंपरिक विदाई लेने से इनकार कर दिया था. ऐसा उन्होंने गुवाहाटी और केरल हाईकोर्ट में भी किया था. उनके इस फैसले ने फिर से एक चर्चा को जन्म दिया. अपने विदाई पर उन्होंने बार के सदस्यों की सराहना की. उन्होंने सभी लोगों से माफी मांगी. वह दोनों हाथ जोड़कर सुप्रीम कोर्ट से विदाई ली और लोगों से माफी मांगते हुए कहा यदि किसी को आहत किया हो तो क्षमा चाहते हैं.
कई महत्वपूर्ण फैसले
– जस्टिस चेलमेश्वर ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले दिए. उन्होंने इनफॉरमेंशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 66A को असंवैधानिक करार देते हुए अभिव्यक्ति की आजादी के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया. यह धारा सोशल मीडिया पर “आपत्तिजनक” समझे गए पोस्ट को लेकर लोगों की गिरफ़्तारी की वजह बन रही थी.