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मुगलों से मुर्शिदाबाद छीनने वाला नवाब, जानें अंग्रेजों की साजिश में फंसकर कैसे गंवाया पूरा बंगाल

History Class, General Knowledge : बंगाल का जिला मुर्शिदाबाद इन दिनों सुर्खियों में है. यह स्थान भारत के इतिहास में बेहद अहम स्थान रखता है. इसका संबंध 23 जून 1757 को हुई प्लासी की पहली लड़ाई से है. जिसमें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच एक निर्णायक जंग हुई थी. इसमें सेनापति मीर जाफर, उसके दरबारियों और राज्य के अमीर जगत सेठ की गद्दारी की वजह से नवाब की सेना की बुरी तहर पराजय हुई. नतीजन भारत में अंग्रेजों के पांव जम गए.

मीर जाफर को गद्दारी करने के बदले में अंग्रेजों ने उसे बंगाल के नवाब की गद्दी इनाम में दी. जिसने बंगाल को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हालांकि कुछ समय बाद अंग्रेजी ही उसके दुश्मन बन गए.

पहले जानिए कौन था सिराजुद्दौला
मिर्जा मोहम्मद सिराजुद़्दौला बंगाल का अंतिम नवाब था. 1733 में मुर्शिदाबाद के एक कुलीन परिवार में जन्मा सिराजुद्दीन बेहद कम उम्र में बंगाल का नवाब बन गया. 1756 में उसने जब नवाब की गद्दी संभाली, तो उसी वक्त अंग्रेज भी भारत में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में थे. सिराजुद्दौला के अंग्रेजों से पहले से ही संबंध अच्छे नहीं थे. नवाब बनते ही सिराजुद्दौला ने अंग्रेजों के एक मुख्यालय फोर्ट विलियम पर कब्जा कर लिया. कब्जे के बाद सिराजुद्दौला ने 146 अंग्रेज अधिकारियों को एक छोटे से कमरे में बंद कर दिया. जिसमें से सिर्फ 23 ही बच पाए.

मीर जाफर की गद्दारी

मीर जाफर नवाब सिराजुद्दौला का विश्वासपात्र और सेनापति था. लेकिन उसने नवाब बनने के लालच में अंग्रेजों का साथ दिया. हुआ यह कि प्लासी के युद्ध से पहले अंग्रेजों ने जासूसों के जरिए पता लगाया कि किसे अपनी तरफ मिलाया जा सकता है. जासूसों ने मीर जाफर के नवाब बनने की महत्वाकांक्षा के बारे में ईस्ट इंडिया कंपनी के सेनापति रॉबर्ट क्लाइव को बताया तो उसकी बाछें खिल उठी. उसने मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाने का लालच दिया.

इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुर्शिदाबाद पर हमला बोल दिया. नवाब सिराजुद्दौला की फौज भी मोर्चे पर आगे बढ़ी. लेकिन नवाब के सामने समस्या यह थी कि वह अपनी पूरी फौज अंग्रेजों के सामने नहीं झोंक सकता था. इसलिए एक टुकड़ी के साथ प्लासी पहुंचा और मुर्शिदाबाद से करीब 27 किमी दूर डेरा डाला. इस बीच उसके विश्वासपात्र माने जाने वाले मीर मदान की मौत भी हो गई. इसके बाद उसने मीर जाफर को पैगाम भेजा. मीर जाफर ने यहीं खेल कर दिया. उसने कहा कि युद्ध रोक दिया जाए. नवाब यहीं भूल कर गया. जैसे ही नवाब अपनी टुकड़ी के साथ खेमे में वापस लौटा. वैसे ही मीर जाफर ने हमला करने के लिए रॉबर्ट क्लाइव के पास संदेश भेजा. अचानक हुए इस हमले से नवाब की फौज बौखलाकर बिखर गई.

मीर जाफर के बेटे ने की नवाब की हत्या

अंग्रेजों के भारी पड़ते ही नवाब बचकर भागा. लेकिन मीर जाफर के पुत्र मीरन ने उसकी हत्या कर दी. इसी के साथ मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया. लेकिन वह कंपनी का पिट्‌ठू था. कहते हैं उसके शासनकाल में कंपनी के अफसरों ने बंगाल को जमकर लूटा.

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