नवरात्रि 2025: दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व….जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, भोग, अर्पण और मंत्र

शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की आराधना के लिए समर्पित है। ‘ब्रह्म’ का अर्थ है तपस्या और ‘चारिणी’ का अर्थ है आचरण करने वाली। माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी ने कठोर तप कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया। उनकी पूजा से भक्त को धैर्य, विवेक, तप और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
मां का स्वरूप बेहद शांत और उज्ज्वल है। वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और साधारण आभूषण पहनती हैं। दाहिने हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल उनके तप और संयम का प्रतीक है। मां नंगे पांव चलती हैं, जो कठोर साधना का संकेत है। इन्हें विद्या और ज्ञान की देवी भी माना जाता है।
पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के दूसरे दिन स्नान कर सफेद या पीले वस्त्र पहनें। गंगाजल से पूजा स्थल शुद्ध कर चौकी पर मां की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। चंदन, अक्षत, रोली, फूल और फल अर्पित करें। घी का दीप जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें। पूजा का शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त (04:36 AM – 05:23 AM) और अभिजीत मुहूर्त (11:50 AM – 12:38 PM) है।
भोग और अर्पण
मां ब्रह्मचारिणी को मिसरी, खीर, पंचामृत और दूध से बनी मिठाई का भोग अर्पित करें। सफेद और पीले फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन पीले वस्त्र अर्पित करने से मानसिक शांति और सफलता मिलती है।
मंत्र और आरती
पूजन के समय भक्त यह मंत्र जपें:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः”
इस मंत्र का जाप विशेष फलदायी होता है।
माना जाता है कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं और साधक को ज्ञान व सफलता की प्राप्ति होती है।