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बांग्लादेश में बेटी के जवान होते ही पिता बन जाता है पति, वजह है एक मजबूरी

दुनिया में जितने अलग-अलग देश हैं उनकी कल्चर और रहन-सहन भी उतना ही अलग है।

भारत के लगभग हर एक घर में बेटियां पिता की लाडली ही होती हैं। मजाक में ही सही लेकिन ‘पापा की परी’ वाला टैग भी मिला है। क्योंकि, एक बाप अपनी बेटी से सबसे ज्यादा प्यार करता है। सख्त लहजे में पूरी जिंदगी बिताने वाला इंसान अपनी बेटी की विदाई में रो देता है। पिता के लिए बेटियों की नजरों में हमेशा सम्मान होता है।

लेकिन जरा सोचिए, जब पिता की शादी बेटी से होने वाली प्रथा के बारे में सुनने को मिलेगा तो कैसा लगेगा। हो सकता है कुछ लोगों को यकीन भी ना हो, लेकिन एक देश ऐसा है जहां इस तरह का रिवाज है। इसकी वजह में मर्जी से ज्यादा मजबूरी पता चलती है। तो, चलिए आपको बताते हैं इस अजीब प्रथा के बारे में

दरअसल बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्व स्थित माधोपुर जंगल में रहने वाली आदिवासी कम्युनिटी ‘मंडी’ की एक अजीबोगरीब परम्परा है। जिसके मुताबिक अगर कोई पुरुष किसी विधवा महिला से शादी करता है तो उसे महिला की पहली शादी से जन्मी बच्ची से भी शादी करने की अनुमति मिल जाती है।

मतलब, मां और बेटी की शादी एक ही इंसान से हो सकती है। बचपन में जिसे बच्ची पिता मानती है उसे बड़े होकर पता चलता है कि यही उसका पति है। कई मामलों में इस रिवाज में विधवा महिला की शादी के साथ ही उसकी बच्ची की शादी भी उसी पुरुष से हो चुकी होती है।

मंडी जनजाति की यह परंपरा न सिर्फ नैतिकता की सीमाओं को तोड़ती है बल्कि मासूम बच्चियों का मानसिक और भावनात्मक शोषण भी होता है, जो अपने बचपन में सिर्फ प्यार और सुरक्षा की उम्मीद करती हैं। जिस इंसान को बचपन से ही एक पिता के रूप में मानती आती हैं उसे ही बड़े होकर पति के तौर पर अपनाना पड़ता है। हालांकि कहा जाता है कि यह परंपरा अब खत्म हो चुकी है।

दुनिया के सामने आई एक कहानी
ओरोला डालबोट, इस रिवाज का हिस्सा बन चुकी हैं जिनकी कहानी दुनिया के सामने भी आ चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ओरोला महज 3 साल की थीं जब मां के साथ उनकी शादी भी एक ही इंसान से कर दी गई थी। लेकिन बड़े होने पर जब उन्हें हकीकत पता चली तो शादी का सपना टूट गया। पिता को पति के रूप में देखना भी खौफनाक था। लेकिन शादी परिवार की जिंदगी के लिए जरूरी थी।

महिलाओं की है हुकूमत
आपको जानकार हैरानी होगी कि इस आदिवासी कम्युनिटी में महिलाओं की हुकूमत चलती है। उसके बाद इस तरह की परपंरा को माना जाता है। इस परपंरा को लेकर तर्क दिया जाता है कि हमें अपनों की प्रॉपर्टी भी बचानी है और महिलाओं को भी बचाना है। और, बेटी की पिता से शादी इसी व्यवस्था का हिस्सा है। हालांकि मॉडर्न लड़कियां इस रिचुअल को नहीं मान रहीं है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में किए गए दावे इंटरनेट पर मिली जानकारी पर आधारित हैं। न्यूज तहलका इसकी सत्यता और सटीकता की जिम्मेदारी नहीं लेता है।

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