5 देशों में बसते है सबसे ज्यादा हिंदू, 3 मुस्लिम देश भी है लिस्ट में शामिल

हिंदू धर्म सिर्फ दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं है. यह एक प्राचीन, लचीला और वैश्विक संस्कृति बन चुका है, जो आज दुनिया के कोने-कोने में अपने अनुयायी रखता है.
भारत और नेपाल: हिंदू धर्म की आत्मा
भारत को हिंदू धर्म का उद्गम स्थल माना जाता है. पीयू रिसर्च सेंटर के अनुसार, 2020 में भारत की करीब 79% आबादी हिंदू थी, यानी दुनिया के 95% से अधिक हिंदू यहीं रहते हैं. वहीं नेपाल में हिंदुओं की जनसंख्या 81% है. नेपाल कभी पूरी तरह हिंदू राष्ट्र था, हालांकि आज यह एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, लेकिन हिंदू परंपराएं वहां की जीवनशैली में आज भी पूरी तरह से रची-बसी हैं.
इन देशों में हिंदू धर्म ने जड़ें जमाई
भारत और नेपाल के बाहर भी कई ऐसे देश हैं जहां हिंदू समुदाय प्रभावशाली है. भले ही अल्पसंख्यक के रूप में हैं. इनमें बांग्लादेश शामिल है, जो भारत का ही पड़ोसी देश है. यहां हिन्दुओं की अनुमानित आबादी 1 करोड़ है. वहीं पाकिस्तान में 33 लाख से अधिक हिंदू, हालांकि यहां लगातार चुनौतियां सामने आती रहती हैं. ब्रिटेन में 11 लाख हिंदू रहते हैं. इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात 11 लाख तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 30 लाख हिंदू बसे हुए हैं.
छोटे देश, बड़ी विरासत
कुछ छोटे देशों में भी हिंदुओं की उपस्थिति ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रही है. इनमें फिजी शामिल है, जहां 27% आबादी हिंदू है, लेकिन यह धीरे-धीरे घट रही है. त्रिनिदाद और टोबैगो तथा सूरीनाम में हिंदू धर्म भारत से गए मजदूरों की विरासत के रूप में आज भी जीवित है. मॉरीशस में भले ही आबादी केवल 6.2 लाख हो, लेकिन 48% लोग हिंदू हैं. ये देश एक छुपी हुई हिंदू सांस्कृतिक शक्ति के रूप में देखे जा सकते हैं.
प्रवास, पलायन और आधुनिक बदलाव
आधुनिक समय में प्रवासन के चलते यूरोप, खाड़ी देशों और अमेरिका में हिंदू समुदाय तेजी से बढ़ा है. ओमान जैसे देशों में प्रवासी भारतीयों की बढ़ती संख्या से हिंदू आबादी में वृद्धि देखी गई है. दूसरी ओर, भारत, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं की संख्या का प्रतिशत थोड़ा घटा है, जिसका मुख्य कारण जनसंख्या दर में असमानता और धार्मिक पलायन है.
स्थिति स्थिर, लेकिन ध्यान देने योग्य
पीयू रिसर्च सेंटर और संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टें बताती हैं कि वैश्विक स्तर पर हिंदू आबादी में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है. किसी भी देश में 5% से अधिक वृद्धि या गिरावट नहीं देखी गई है. यह संकेत करता है कि स्थिति फिलहाल स्थिर बनी हुई है, लेकिन सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से कई बदलाव उभर रहे हैं.