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सिर से पिता का साया उठा, लेकिन हौंसले पर नहीं पड़ा फर्क, आज चला रहे हैं होटलों की चेन

कहते हैं उद्यमिता (Entrepreneurship) सिखायी नहीं जाती है बल्कि यह व्यक्ति के अंतर्मन में स्वमेव होता है। ऐसी ही उद्यमिता परकिन रोचा में भी पहले से विद्यमान थी। वह रॉयल आर्किड होटल्स (Royal Orchid Hotels) जैसी बड़ी कंपनी में ईवीपी (EVP) थे। कंपनी के बोर्ड में मेम्बर थे। लेकिन उनके अंदर चल रहा था कि उनका भी अपना होटल चेन हो। आखिर में उनकी यह साध पूरी हुई। आज की तारीख में उनका खुद का होटल का चेन खुल गया है। सक्सेस स्टोरी की आज की श्रृंखला में आज हम आपको बता रहे हैं इको होटल्स एंड रिसोर्ट्स (ECKO Hotels and Resorts ) के फाउंडर एंड सीईओ परकिन रोचा के बारे में।

13 साल में सिर से उठ गया पिता का साया
परकिन रोचा के परिवार वाले मूल रूप से पुर्तगीज थे और गोवा में रहते थे। उनके पिता माइकल रोचा गोडफ्रे फिलिप्स इंडिया में नौकरी करते थे और दिल्ली में पोस्टेड थे। उनकी माताजी डोर्सी रोचा भी यहींकाम करती थीं। लेकिन 22 सितंबर 1989 को उनके पिताजी अचानक इस जहां से कूच कर गए। उस समय परकिन महज 13 साल के थे। पतिकेअसमयनिधनसे डोर्सी रोचा परेशान तो हुईं लेकिन हौंसला नहीं टूटा। बेटे को दिल्ली के अति प्रतिष्ठित सेंट कोलम्बा’ज स्कूल में पढ़ाया। फिर दार्जीलिंग के एक प्रतिष्ठित इंस्टीच्यूट से होटल मैनेजमेंट करवाया।

सेना में जाने का था मन
जब परकिन ने स्कूली शिक्षा खत्म की तो सेना ज्वॉइन कर देश सेवा का मन बनाया। इसके लिए उन्होंने अति प्रतिष्ठित एनडीए (NDA) की परीक्षा पास भी की। लेकिन कम उम्र में ही पति को खो चुकी डोर्सी ने इसके लिए अनुमतिनहीं दी। उन्हें लगता था कि सेना में जाने के बाद जिस तरह उनका पति कम उम्र में ही उन्हें छोड़ गए, बेटा भी ऐसा कर सकता है। फिर वह होटल मैनेजमेंट की तरफ मुड़े।

कॉलेज खत्म करते ही नौकरी करने लगे
परकिन रोचा ने होटल मैनेजमेंट पूरा करते ही इंटर कांटिनेंटल होटल में नौकरी करने लगे। वहां नौकरी करते हुए भी पढ़ाई करते रहे ताकि ग्रोथ में कोई कमी नहीं रहे। इसके बाद वह कुछ अन्य होटलों में नौकरी की।फिर वह दिल्ली के बसंतकुंज स्थित जेपी बसंत कांटिनेंटल ज्वॉइन कर लिया। साल 2003 में होटल लेमन ट्री (Lemon Tree) शुरू हो रहा था। वह उसके शुरुआती टीम का हिस्सा बने। वहां वह पटु केसवानी और रतन केसवानी के साथ मिल कर लेमन ट्री की सफलता की कहानी लिखी। वहां वह जीएम थे। उनकी अगुवाई में लेमन ट्री के कई होटल लॉन्च हुए। दरसअल लेमन ट्री के संस्थापक पीजी केसवानी भी दिल्ली के सेंट कोलम्बाज स्कूल से ही पढ़े हैं। इसलिए उनसे उनकी खूब छनती थी।

रॉयल आर्किड होटल्स के बोर्ड मेम्बर लेकिन…
कई संस्थानों में नौकरी करते हुए वह बेंगलुरु के रॉयल आर्किड होटल्स में एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट बन गए थे। वह कंपनी के बोर्ड में शामिल हो गए थे। लेकिन वह चाहते थे कि उनका भी अपना होटल हो। होटल के सहकर्मी और प्रोमोटर इसके लिए प्रोत्साहित भी करते थे। इस बीच उनके साथ ऐसी घटना हुई कि उनकी दिशा ही बदल गई और महानगर से निकल कर धार्मिक स्थान पर होटल और रिसॉर्ट खोलने लगे।

आजकल बहुत से लोग घर में पालतू पशुओं को पालते हैं। परकिन के पास भी एक घरेलू पेट थी जिनका नाम था लैला। उससे पूरा परिवार घुला-मिला था। बीते साल लैला का निधन हो गया। इससे वह काफी व्यथित हुए। उन्होंने उसका अंतिम संस्कार किया और उसकी आत्मा की शांति के लिए अवशेष लेकर हरिद्वार गए थे। वहीं गंगा के किनारे वह बैठे थे, तभी मन में विचार आया कि यहां गंगा तट पर उनका होटल खुलना चाहिए। बस उन्होंने बड़ी कंपनी की नौकरी छोड़ने का मन बना लिया। इसके बाद ही इको होटल्स एंड रिसॉर्ट्स की नींव पड़ी।

हरिद्वार में खुला पहला होटल
उन्होंने पहला होटल हरिद्वार मेंगंगाकेकिनारे खोला। इसके लिए चुकम्बर होटल्स प्राइवेट लिमिटेड सेताजग्रुपऑफहोटल्सकेपीलीभीतहाउसकेपास 35 कमरोंयाकीज (Keys) वाला होटल 15 साल के लॉन्ग टर्म लीज पर लिया। यह होटल गंगा के किराने अवस्थित है। पहले उस होटल का पूरी तरह से कायाकल्प किया। उसके बाद उसे गेस्ट के लिए खोल दिया। इसके बाद ऋषिकेश में चन्द्रभागा नदी के तट पर 32 कीज का होटल लॉन्ग टर्म लीज पर लिया। इसका भी कायाकल्प करके खोला गया। इसके बाद ऋषिकेष में ही एक और होटल खोला गया।

यूं तो परकिन रोचा गोवा के क्रिश्चियन हैं। लेकिन उनकी हिंदू धर्म के प्रति भारी आस्था है। शायद यही वजह है कि उन्होंने अपनी कंपनी के शुरुआती होटल हरिद्वार और ऋषिकेष में खोले। इसके बाद वह बदरी विशालमंदिर के पास होटल खोला। उनका होटल अलकनंदा नदी के किनारे पांडुकेश्वर में आ रह है। वह जोशीमठ में भी होटल खोल रहे हैं। वह बताते हैं कि अगले साल तक चारों धाम में उनका होटल खुल जाएगा। इसी के साथ इसी सालजगन्नाथपुरी में भी 70 कीज वाला होटल इसी साल खोलने वाले हैं। उनकी योजना शिरडी और एक जैन तीर्थस्थल में भी होटल खोलने की है। इसके लिए बातचीत अंतिम चरण में है।

परकिन कहते हैं कि उन्होंने होटल खोलने की शुरुआत भले ही धर्मस्थलों से की है, लेकिन वह लीजर वाले स्थलों पर भी रिसॉर्ट खोलेंगे। दरअसल उनकी शादी सिख धर्म की अंबिका सिंह से हुई है। वह कोटयार्ड मेरिएट होटल में सेल्स देखती हैं। उन्हीं का जोर है कि होटल में सिर्फ धर्म का ही नहीं बल्कि लीजर का भी पुट रहे। इसी क्रम में वह उत्तराखंड में जिम कार्बेट के पास रिसॉर्ट खोलने वाले हैं। इसमें 51 विला होंगे।इसे माइस और वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में डेवलप किया जा रहा है।

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