Join Whatsapp Group
Join Our Whatsapp Group
ख़बरेंमनोरंजन

शाहजहां ने चांदनी चौक बेटी के लिए था बनवाया, कैसे बन गया दिल्ली की रूह, पढ़े यहां

Chandni Chowk History and Heritage Market : जब बात दिल्ली की होती है, तो चांदनी चौक का नाम सबसे पहले ज़ुबान पर आता है। यह जगह सिर्फ बाजार नहीं बल्कि पुरानी दिल्ली की रूह मानी जाती है। शादी-ब्याह की खरीदारी हो या पारंपरिक कपड़े, गहने या मिठाइयां यहां सब कुछ मिलता है।

शहजादी जहांआरा की फरमाइश पर बना बाजार
जहानारा बेगम को खरीदारी और कला का बेहद शौक था. उनके लिए खासतौर पर यह भव्य बाजार बनवाया गया, जो उस समय की महिलाओं के लिए पहली बार खुला सार्वजनिक स्थल था.

‘चांदनी चौक’ नाम का रहस्य
बाजार के बीचों-बीच एक चौकोर तालाब था जिसमें चांदनी रातों में चांद की झलक पड़ती थी. उसी प्रतिबिंब से इसका नाम पड़ा चांदनी चौक.

मुगल वास्तुकला की शानदार मिसाल
इस बाजार की बनावट में मुगल शैली की भव्यता झलकती है। यहां लाल पत्थर, मेहराबें और खुले चौक मुगल युग की वास्तुशैली का जीवंत उदाहरण हैं.

उस दौर का सबसे बड़ा बाजार
चांदनी चौक को उस समय एशिया का सबसे बड़ा और व्यवस्थित बाजार माना जाता था. यहां विदेशी व्यापारी भी व्यापार करने आते थे.

शाही महिलाओं के लिए विशेष रास्ते
जहानारा ने बाजार में महिलाओं के लिए विशेष रास्ते और पर्दे का प्रबंध करवाया था, ताकि शाही महिलाएं आसानी से खरीदारी कर सकें.

शाही महिलाओं के लिए विशेष रास्ते
जहानारा ने बाजार में महिलाओं के लिए विशेष रास्ते और पर्दे का प्रबंध करवाया था, ताकि शाही महिलाएं आसानी से खरीदारी कर सकें.

1857 की क्रांति का गवाह रहा चांदनी चौक
यह बाजार न सिर्फ व्यापार का केंद्र रहा, बल्कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का भी गवाह बना. यहां कई ऐतिहासिक घटनाएं घटीं.

कला और संस्कृति का संगम
चांदनी चौक सिर्फ व्यापार का नहीं, बल्कि संस्कृति और परंपरा का केंद्र भी रहा है. यहां की गलियों में आज भी पुरानी दिल्ली की आत्मा बसती है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button