
अहमदाबाद: गुजरात में दो विधानसभा सीटों के उप चुनाव में आम आदमी पार्टी एक सीट जीत गई। यह सीट है विसावदर। आप की इस जीत ने सबको चौंका दिया है। इस जीत से एक बार फिर चर्चा छिड़ गई है कि क्या आप गुजरात में कांग्रेस की जगह लेगी? आप ने बीजेपी के गढ़ गुजरात में वह कारनामा कर दिखाया है, बेहद कम उम्मीद थी। इस उप चुनाव में पार्टी ने 2022 की जीती सीट पर न सिर्फ कब्जा बरकरार बल्कि जीत का अंतर भी बढ़ा लिया। ऐसा करके आप यह बताने में सफल रही है कि उसे बीजेपी से लड़ना आता है। विसावदर की सीट पर बीजेपी को 2007 में आखिरी बार तब जीत मिली थी जब राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सीएम थे। तब से बीजेपी केशुभाई पटेल की इस सीट पर जीत हासिल करने की जुगत में लगी है लेकिन उसकी रणनीति सफल नहीं हो पाई है। विसावदर में आप की जीत के बाद केजरीवाल की कूटनीतिक की चर्चा हो रही है। इसमें कहा जा रहा है कि दिल्ली चुनावों में खुद भी चुनाव हारकर बैठे केजरीवाल ने कैसे मजबूत होकर कम बैक कर लिया।
हार के बाद अलर्ट
दिल्ली चुनावों में करारी हार के बाद अलर्ट मोड़ में आए केजरीवाल जानते थे कि गुजरात में अगर अपनी जीती सीट बचानी है, तो कुछ अलग करना पड़ेगा। केजरीवाल ने अपने विश्वसनीय गोपाल राय को गुजरात का प्रभारी बनाया और तुरंत गोपाल इटालिया को कैंडिडेट घोषित कर दिया। राज्य में आप से अधिक वोट शेयर रखने वाली कांग्रेस आखिर में कैंडिडेट घोषित कर पाई। तब तक विसावदर में इसुदान गढ़वी गोपाल राय के साथ मिलकर गोपाल इटालिया के पूरी चुनावी गणित बना चुके थे।
कांग्रेस को किनारे पर समेटा
विसावदर में आम आदमी पार्टी की जीत इसलिए बड़ी है क्योंकि पार्टी ने उप चुनाव में बीजेपी को हराया है। इतना ही नहीं उसे विसावदर में 51.05 प्रतिशत वोट मिले, जबकि कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई। कडी में जीती बीजेपी को 59.39 फीसदी वोट मिले।
आजा सब मेरे साथ
ऐसे में आप की गुजरात की जीत बड़ी है। आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रमुख इसुदान गढ़वी ने जीत के बाद खुला ऑफर दिया है कि कांग्रेस में जो अच्छे लीडर हैं वे आप में आएं। हम बीजेपी को हराएंगे। विसादवर की जीत ने आप में नया जोश भर दिया है, तो वहीं कांग्रेस गहरे निराश में चली गई है। राहुल गांधी के ‘नया गुजरात-नई कांग्रेस’ की मुहिम के बाद भी गुटबाजी जारी है। उप चुनाव नतीजों के बाद प्रदेश प्रमुख शक्ति सिंह गोहिल ने इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में कांग्रेस का संकट और बढ़ने की उम्मीद है। कांग्रेस की सौराष्ट्र में पकड़ कमजोर हो गई तो वहीं आप के पांच में चार विधायक सौराष्ट्र से हैं। जब विसावदर में गोपाल इटालिया को जीत मिली तो जवाहर चावड़ा जिंदाबाद के नारे लगे। जवाहर चावड़ा अभी बीजेपी में हैं। वे कांग्रेस से बीजेपी में गए थे। विसावदर की जीत के बाद मुमकिन है कि कुछ नेता आप का रुख करें।
राहुल का मैजिक फेल
राहुल गांधी लोकसभा चुनावों के बाद तीन बार गुजरातआ चुके हैं। वे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को बब्बर शेर कहते हैं. कार्यकर्ता जमीन पर जुटते हैं लेकिन प्रदेश ईकाई के 10 बड़े नेता चुनाव में उतरने से कतराते हैं। ऐसे में राहुल गांधी की रणनीति अमल में नहीं आ पा रही है। आप की नजर अब कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं तोड़ने की है। अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस के लिए संकट और बढ़ सकता है। आप ने अपनी सीट बचाकर दिखा दिया है कि पार्टी अभी कमजोर नहीं है। विसावदर की जीत के बाद आप ने कहना शुरू कर दिया है बीजेपी से आप ही लड़ सकती है।
कांग्रेस समर्थक आप की तरफ
गुजरात में कांग्रेस के वोटर पिछले 30 साल से सत्ता परिवर्तन की उम्मीद लगाए बैठे हैं। कार्यकर्ता और जिला ईकाई के नेता संघर्ष करके थक चुके हैं। गुजरात में यह चर्चा आम रही है कि कांग्रेस के ऊपर के नेता बीजेपी से सेंटिंग कर लेते हैं। दूसरा नैरेटिव यह है कि वे कांग्रेस से जीतने के बाद बीजेपी में चले गए जाते हैं। आप का 30 महीने में एक विधायक टूटा था लेकिन आप ने सीट पर कब्जा करके हिसाब बराबर कर लिया है। ऐसे में बीजेपी को वोट नहीं करने वाले कांग्रेस समर्थक आप की तरफ जा सकते हैं।
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