
आम आदमी पार्टी ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान किया है। आज बुधवार 11 जून 2025 को दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पार्टी राज्य की सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस से टूट चुके तालमेल के बाद यह निर्णय लिया गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा और साहसी फैसला किया है। दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने साफ कर दिया है कि पार्टी अब बिहार में हर एक सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, यानी पार्टी अब किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी – न कांग्रेस के साथ, न किसी और के साथ।
कांग्रेस के साथ गठबंधन की डोर टूटी
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह फैसला अचानक नहीं लिया गया है। गुजरात उपचुनाव के दौरान ही संकेत मिल गए थे कि कांग्रेस अब गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर रही। उन्होंने कहा, “तब यह तय हुआ था कि AAP और कांग्रेस तयशुदा सीटों पर ही चुनाव लड़ेंगी, लेकिन आखिरी समय पर कांग्रेस ने समझौता तोड़ दिया और हमारी सीट पर उम्मीदवार उतार दिया।”
इस घटनाक्रम के बाद से ही आम आदमी पार्टी ने भविष्य की रणनीति पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया था। नतीजा ये हुआ कि अब पार्टी ने बिहार में पूरी ताकत झोंकने का ऐलान कर दिया है।
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जनता के मुद्दों को लेकर मैदान में उतरेंगे
दिल्ली के मंत्री और AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, “बिहार में आम आदमी पार्टी अपने एजेंडे, अपने मुद्दों और अपनी विचारधारा के साथ हर सीट पर चुनाव लड़ेगी। हम जनता को सस्ती बिजली, अच्छी शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और भ्रष्टाचार मुक्त शासन का वादा करते हैं। ये हमारी पहचान है।”
यह बयान उस वक्त आया है जब बिहार की राजनीति महागठबंधन और एनडीए के बीच बंटी हुई दिख रही है। AAP का अकेले उतरना तीसरे मोर्चे की संभावनाओं को हवा दे सकता है।
क्या है बिहार में आम आदमी पार्टी की तैयारी?
AAP के इस ऐलान के साथ यह भी साफ हो गया है कि पार्टी ने बिहार में संगठनात्मक स्तर पर काम तेज कर दिया है। आम आदमी पार्टी वहां जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर रही है, बूथ स्तर पर कमेटियां बना रही है और सोशल मीडिया व ऑनलाइन कैंपेनिंग को मजबूत कर रही है।
2025 का बिहार चुनाव और रोचक होगा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब और दिलचस्प होने जा रहा है। आम आदमी पार्टी का यह कदम राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। क्या AAP बिहार की जनता को लुभा पाएगी? क्या कांग्रेस को इससे नुकसान होगा? क्या तीसरा मोर्चा उभरेगा?
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