
भारत के एक राजा की रंगीन मिजाजी ने इतिहास में तहलका मचा दिया. उनकी 365 रानियां थीं. महल में बिना कपड़ों के ही प्रवेश की अनुमति थी. वे इतने रईस थे कि भारत के वे पहले शख्स हुए, जिनके पास अपना निजी विमान था.
भारत में एक ऐसे राजा भी हुए, जिनकी एक दो नहीं बल्कि 365 रानियां थीं. इन रानियों के साथ रात बिताने के लिए वे एक अनोखा ‘लालटेन बुझने’ का नियम बनाया था. इतना ही नहीं, उनके एक खास कमरे में सभी लोगों को बगैर कपड़े के ही प्रवेश की इजाजत मिलती थी. चाहे वह पुरूष हो या महिला. आइए इस राजा की अय्याशी का मशहूर किस्सा जानते हैं.

भारत के इतिहास में कई राजा हुए, लेकिन एक ऐसे राजा भी हुए, जिनकी रंगीन मिजाजी के किस्से आज भी गूंजते हैं. उनके महल में रातें शाही ठाठ और अय्याशी से भरी होती थीं. हर रात एक नया तमाशा, एक नया नियम, और एक अनोखा तरीका. उनके शौक इतने बेढंगे थे कि लोग दांतों तले उंगली दबा लेते. यह कहानी उस राजा की है, जिसने विलासिता की सारी हदें पार कीं.

उनके महल में प्रवेश के नियम ही अनोखे थे. कहा जाता है कि उनके खास महल में बिना कपड़ों के ही लोग आ सकते थे. यह नियम सुनकर लोग हैरान रह जाते थे. इस महल में रंगरलियों का आलम था, जहां शराब, संगीत, और विलासिता की नदियां बहती थीं. हर रात जलने वाली लालटेनें इस राजा की रंगीन जिंदगी का रहस्य खोलती थीं.

यह राजा कोई और नहीं, बल्कि पटियाला रियासत के महाराजा भूपिंदर सिंह थे. 12 अक्टूबर 1891 को जन्मे भूपिंदर सिंह ने 1900 से 1938 तक 38 साल शासन किया. नौ साल की उम्र में गद्दी संभालने वाले इस राजा ने अपनी विलासिता और रंगीन मिजाजी से दुनिया में नाम कमाया. उनकी 365 रानियों और रखैलों की कहानियां इतिहास के पन्नों में आज भी चर्चित हैं.

महाराजा भूपिंदर सिंह की 365 रानियां थीं, जिनमें से 10 उनकी आधिकारिक पत्नियां थीं. हर रात यह तय करने के लिए कि कौन सी रानी उनके साथ रात बिताएगी, एक अनोखा तरीका अपनाया जाता था. महल में 365 लालटेनें जलाई जाती थीं, प्रत्येक पर एक रानी का नाम लिखा होता था. सुबह जो लालटेन पहले बुझती, उस रानी को राजा चुन लेते. यह किस्सा उनकी अय्याशी का प्रतीक बन गया.

भूपिंदर सिंह ने पटियाला में ‘लीला भवन’ नामक एक खास महल बनवाया, जिसे रंगरलियों का महल कहा जाता था. दीवान जरमनी दास की किताब ‘महाराजा’ के मुताबिक, इस महल में बिना कपड़ों के ही प्रवेश मिलता था. एक विशेष कमरा, जिसे ‘प्रेम मंदिर’ कहा जाता था, केवल राजा के लिए आरक्षित था. इस महल में एक विशाल तालाब था, जहां 150 लोग एक साथ नहा सकते थे, और यहां शाही पार्टियां आयोजित होती थीं.

महाराजा की 365 रानियों में से 10 को आधिकारिक पत्नी का दर्जा था, और बाकी रखैलों की श्रेणी में आती थीं. इतिहासकारों के मुताबिक, इन रानियों से उन्हें 83 बच्चे हुए, जिनमें से 53 ही वयस्क हुए. रानियों की सुंदरता और स्वास्थ्य के लिए विदेशी डॉक्टरों की एक टीम हमेशा मौजूद रहती थी. उनकी सुख-सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाता था, और उनके लिए भव्य महल बनाए गए थे.

महाराजा भूपिंदर सिंह ने विलासिता की सभी हदें पार कर दी थीं. उनके पास 44 रॉल्स रॉयस कारें थीं, जिनमें 20 का इस्तेमाल रोजमर्रा के लिए होता था. विश्व प्रसिद्ध ‘पटियाला हार’, जिसमें 234 कैरेट का डी बीयर्स हीरा जड़ा था, उनकी संपत्ति का प्रतीक था. यह हार 1948 में चोरी हो गया और 1998 में इसके अवशेष लंदन में मिले. वह भारत के पहले राजा थे, जिनके पास निजी विमान और हवाई पट्टी थी.

हालांकि, भूपिंदर सिंह अपनी अय्याशी के लिए जाने जाते थे, लेकिन उनके शासन में पटियाला समृद्ध था. 1914 तक उनके राज्य में नहरें, रेलवे, डाकघर, 262 स्कूल, और 40 अस्पताल थे. वह क्रिकेट और पोलो के शौकीन थे और 1911 में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे. उनकी रंगीन जिंदगी और ‘पटियाला पैग’ की खोज ने उन्हें एक विवादित लेकिन चर्चित शख्सियत बनाया.