मध्यप्रदेश: सागर जिले में बन रहा दुनिया का सबसे ऊंचा जैन मंदिर, राजस्थान-गुजरात से आएगा साढ़े 10 लाख घन फीट पत्थर

सागर: आने वाले 5 सालों में शहर में विश्व का सबसे बड़ा जैनतीर्थ सर्वतोभद्र जिनालय आकार ले लेगा. मंदिर निर्माण समिति का दावा है कि अब तक विश्व में कहीं भी इतना बड़ा मंदिर नहीं है. मंदिर निर्माण की शुरूआत 2016 में जैन मुनि आचार्य विद्यासागर के आशीर्वाद से हुई थी. पिछले 9 साल से चल रहे निर्माण कार्य के बाद मंदिर की भव्यता नजर आने लगी है.
216 फीट ऊंचा होगा मंदिर का शिखर
आगामी 5 सालों में मंदिर निर्माण का काम पूरा हो जाएगा. मंदिर राजस्थान और गुजरात के लाल और पीले पत्थर से बन रहा है. इसमें करीब 324 मूर्तियां विराजित होंगी. मंदिर का शिखर 216 फीट ऊंचा होगा. आचार्य विद्यासागर का कहना था, ” मंदिर का शिखर जहां से नजर आएगा, वहां तक के वास्तुदोष अपने आप मिट जाएंगे.”
2016 में रखी गई थी सर्वतोभद्र जिनालय की आधार शिला
दरअसल, सागर में 1993 में जैन मुनि आचार्य विद्यासागर की प्रेरणा से भाग्योदय तीर्थ नाम के अस्पताल का निर्माण किया गया था. तब सागर के जैन समुदाय के लोगों ने आचार्य विद्यासागर से निवेदन किया था कि अस्पताल का नाम तीर्थ रखा गया है, इसलिए यहां एक जैन मंदिर भी होना चाहिए. तब 2016 में आचार्य विद्यासागर ने यहां के जैन समुदाय को सर्वतोभद्र जिनालय का निर्माण करने की अनुमति दी थी. 2017 में मदिर निर्माण का काम शुरू हुआ था और अब तक अनवरत जारी है.

216 फीट ऊंचे शिखर वाले जैन मंदिर का निर्माण जारी
क्या खास है सर्वतोभद्र जिनालय में
जहां तक सर्वतोभद्र जिनालय की बात करे, तो ये तीन खंडों वाला विशाल और भव्य जैन मंदिर होगा. मंदिर निर्माण समिति का दावा है कि इतना विशाल जैन मंदिर दुनिया में कहीं नहीं है. 2017 में मंदिर के शिलान्यास के बाद तीन दो साल तक मंदिर के आधार तैयार करने का काम चला था. जमीन में 21 फीट गहराई से मिट्टी और चूने का उपयोग कर आधार तैयार किया गया है. 2019 में आघार का काम पूरा हो जाने के बाद मंदिर के प्रथम खंड का निर्माण शुरू हुआ है.

लाल पत्थरों पर नायाब कारीगिरी करता आर्टिस्ट
जितनी दूर से शिखर नजर आएगा, वहां तक नहीं होगा वास्तुदोष
मंदिर निर्माण समिति के लोगों का कहना है कि मंदिर का शिखर 216 फीट ऊंचा होगा. आचार्य विद्यासागर का कहना है कि जितनी दूर से मंदिर का शिखर दिखाई देगा, वहां तक के वास्तुदोष अपने आप दूर हो जाएंगे. वास्तुदोष के लिए किसी को वास्तुशास्त्री की जरूरत नहीं होगी.
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राजस्थान और गुजरात से लाल पत्थरों से हो रहा निर्माण
आगामी पांच सालों में हो जाएगा निर्माण कार्य पूरा
मंदिर समिति के सदस्य मुकेश जैन ने बताया, “ये विश्व का सबसे बड़ा जिनालय है, अब तक किसी मंदिर के निर्माण में 11 लाख घन फीट पत्थर का उपयोग कहीं नहीं हुआ है. कुंडलपुर का जैन मंदिर लगभग साढे़ सात लाख घनफीट और अयोध्या के राम मंदिर में भी लगभग साढे़ सात लाख घनफीट पत्थर का उपयोग हुआ था. इसके बाद जरूर महाराष्ट्र के सिरपुर, इंदौर और जबलपुर में सर्वतोभद्र जिनालय का निर्माण किया जाना है.
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