आंबेडकर अस्पताल में एक्स-रे व्यवस्था ध्वस्त, मरीजों को निजी खर्च का सहारा

रायपुर। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, डॉ. भीमराव आंबेडकर मेमोरियल अस्पताल में एक्स-रे व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। अस्पताल में मौजूद कुल 6 मशीनों में से 5 तकनीकी खराबी के कारण बंद हैं, जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मजबूरी में गरीब और मध्यमवर्गीय मरीजों को निजी अस्पतालों में 500 से 1500 रुपये खर्च कर एक्स-रे करवाना पड़ रहा है।
रोजाना 300 से 400 मरीज एक्स-रे के लिए अस्पताल पहुंचते हैं। सड़क दुर्घटना के शिकार गंभीर मरीज, भर्ती रोगी और अन्य मरीज लंबी लाइन में इंतजार करते हैं। गुरुवार को जब टीम ने एक्स-रे विभाग का दौरा किया, तो देखा कि सिर्फ एक चालू मशीन के सामने 50 से ज्यादा मरीज और उनके परिजन लाइन में थे। कई मरीज स्ट्रेचर और व्हीलचेयर पर थे और उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ा।
अस्पताल में जैन समाज द्वारा दान की गई एडवांस मशीन पिछले तीन साल से बंद पड़ी है। प्रशासन ने इसकी सर्विसिंग या मेंटेनेंस की कोई व्यवस्था नहीं की, जिससे यह महंगी मशीन बेकार हो गई। ग्रामीण क्षेत्रों से आए मरीज सबसे ज्यादा परेशान हैं। दुर्ग और कोंडागांव से आए मरीजों ने बताया कि लंबा सफर करने के बाद भी एक्स-रे नहीं हो पा रहा और हालत गंभीर है।
सरकारी मशीनों के बंद होने से मरीज निजी अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं, लेकिन खर्च कई गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए भारी पड़ रहा है। कई मरीज आर्थिक तंगी के कारण जांच ही नहीं करवा पा रहे हैं, जिससे उनका इलाज प्रभावित हो रहा है।
अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने कहा, “पुरानी मशीनें तकनीकी खराबी के कारण बंद हुई हैं। जल्द ही सभी मशीनें चालू कर दी जाएंगी और मरीजों को राहत मिलेगी।”