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क्यों होती है शादी की पहली रात इतनी खास? जानिए क्या है सुहागरात

शादी को लेकर एक बड़ी फेमस कहावत है कि ‘शादी का लड्डू जो खाए पछताए…जो ना खाए तो पछताए’. इस कहावत में लड्डू से मतलब मिठाई से नहीं है, बल्कि शादीशुदा रिश्ते से हैं. आज कल जैसी खबरें आ रही हैं, उन्हें पढ़कर तो कई लोग शादी के नाम से भी घबराने लगे हैं. हालांकि शादी करना लगभग 99 प्रतिशत लोगों का सपना होता है और कपल्स को अपनी सुहागरात का बेसब्री से इंतजार रहता है.

बॉलीवुड फिल्मों में खूब दिखी ‘सुहागरात’

ज्यादातर लोग जानते ही होंगे की शादी की पहली रात को ‘सुहागरात’ कहा जाता है. 90s की बॉलीवुड फिल्मों में आपको सुहागरात का सीन देखने को मिल जाएगा, जिसमें दुल्हन शादी के जोड़े में फूलों से सजे कमरे में बिस्तर पर घूंघट कर अपने पति के आने का इंतजार करती है. हालांकि ज्यादातर लोगों को ये भी नहीं पता कि शादी की पहली रात को ही सुहागरात क्यों कहा जाता है? क्या आप जानते हैं?

सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि सुहागरात का किसी एक धर्म से कोई लिंक नहीं है. कई दूसरे धर्मों में भी शादी के बाद सुहागरात की रस्म निभाई जाती है, मसलन मुसलमानों में इसे ‘शब-ए-अरूसी’ या ‘शबे उरुसी’ के नाम से जाना जाता है. वहीं अंग्रेजी में इसे ‘First Night’ या ‘Wedding Night’ कहा जाता है.

सुहागरात का सांस्कृतिक महत्व

हिंदू संस्कृति में सुहागरात को सदियों से पवित्र माना जाता रहा है, जो ‘सौभाग्य’ शब्द से बना है. यह रात सुहागन के सौभाग्य और वैवाहिक जीवन की शुरुआत का जश्न है. इस दौरान रिश्ते को और करीब लाने के लिए आपसी सहमति और सम्मान जरूरी है.

पहली रात को सुहागरात क्यों कहते हैं?

सुहागरात शब्द संस्कृत के ‘सौभाग्य’ शब्द से आया है, जिसका अर्थ है विवाहित महिला का सौभाग्य. शादी के बाद महिला सुहागन कहलाती है और मंगलसूत्र, सिंदूर, चूड़ियां जैसे प्रतीक पहनती है. इस सौभाग्य की शुरुआत को पहली रात सुहागरात कहकर मनाया जाता है.

पति-पत्नी के बीच विश्वास की नींव

सुहागरात सिर्फ शारीरिक मिलन की रात नहीं है, बल्कि भावनात्मक और मानसिक जुड़ाव का मौका है. यह दोनों पार्टनर के लिए एक-दूसरे की पसंद, नापसंद और सपनों को जानने का समय होता है. इस रात की खासियत आपसी समझ और विश्वास में छिपी है. सुहागरात के लिए खास तैयारियां की जाती हैं, जैसे कमरे को फूलों और मोमबत्तियों से सजाना.

सुहागरात की तैयारियां

दुल्हन को सुहाग की सजावट (सोलह श्रृंगार) से सजाया जाता है और दूल्हे को पारंपरिक कपड़े पहनाए जाते हैं. ये तैयारियां इस रात को यादगार और रोमांटिक बनाती हैं. कई जगहों पर सुहागरात से पहले परिवार वाले दूल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद और उपहार देते हैं. कुछ समुदायों में दुल्हन की सास द्वारा सुहाग सेज सजाने की रस्म भी होती है. ये रीति-रिवाज रिश्ते की शुरुआत को और भी पवित्र बनाते हैं.

शादीशुदा जिंदगी का पहला कदम

सुहागरात शादीशुदा जिंदगी का पहला कदम है, जो रिश्ते की गहराई को बढ़ाता है. इस रात की यादें कपल के लिए जिंदगी भर खास रहती हैं. यह एक ऐसा पड़ाव है, जो प्यार, सम्मान और जिम्मेदारी की नींव रखता है.

सुहागरात का बदलता स्वरूप

आज के दौर में सुहागरात के मायने बदल रहे हैं, जहां कपल्स इसे आरामदेह और रोमांटिक तरीके से मनाना पसंद करते हैं. कुछ कपल्स इस रात को बातें करते, हंसते और एक-दूसरे के साथ वक्त बिताते हुए बिताते हैं. यह रात अब रिश्ते को मजबूत बनाने का एक खूबसूरत मौका है.

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