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संयुक्त राष्ट्र ने दी चौंकाने वाली रिपोर्ट, भारत में प्रजनन स्वतंत्रता में वित्तीय सीमाएं सबसे बड़ी बाधा

 

संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक नई रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि आर्थिक बाधाओं और लैंगिक भेदभाव के कारण लाखों लोग अपनी इच्छा के बाद भी बच्चे पैदा नहीं कर पाते हैं।

आइए इस नई रिपोर्ट के बारे में विस्तार से जानते हैं.

किन कारणों के चलते गिर रही है प्रजनन दर

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की 2025 की विश्व जनसंख्या स्थिति रिपोर्ट में बताया गया कि लोगों के बच्चे न पैदा करने का कारण उन्हें बच्चों की चाहत न होना नहीं है। वह ऐसा माता-पिता बनने की उच्च लागत, नौकरी की असुरक्षा, महंगे आवास और सही जीवनसाथी चुनने की चिंता जैसे कारकों के चलते नहीं कर पाते हैं। इससे प्रजनन दर में गिरावट आ रही है। वहीं, अमेरिका और हंगरी की सरकारें प्रजनन दर में गिरावट को जिम्मेदार ठहराती हैं।

14 देशों के 14,000 लोगों ने लिया अध्ययन में भाग 

इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए YouGov ने 14 देशों के 14,000 लोगों पर सर्वे किया था। इसमें कई लोगों ने कहा कि उनके पास उतना बड़ा परिवार नहीं है, जितना वे चाहते थे। 9 में से एक का मानना ​​था कि उनके पास जितने बच्चे चाहिए थे, उससे कम हैं और 7 प्रतिशत का मानना ​​था कि वे आगे और बच्चे पैदा करेंगे। रिपोर्ट में बताया गया कि बच्चे पैदा करने में सबसे बड़ी बाधा पैसा है।

शोध में शामिल थे ये 14 देश

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, इटली, हंगरी, जर्मनी, स्वीडन, ब्राजील, मैक्सिको, अमेरिका, भारत, इंडोनेशिया, मोरक्को, दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया से डाटा एकत्र किया है। ये सभी निम्न, मध्यम और उच्च आय वाले और निम्न और उच्च प्रजनन क्षमता वाले देशों का मिश्रण हैं। इसके लिए जिन 14,000 लोगों का सर्वेक्षण किया गया था, वे युवा और वयस्क थे या प्रजनन की आयु पार कर चुके थे। इनमें से ज्यादातर लोगों के एक या 2 बच्चे थे।

क्या कहते हैं रिपोर्ट के आंकड़े?

सामने आया कि दक्षिण कोरिया के 58 प्रतिशत लोग कम बच्चे पैदा करने के लिए मजबूर हैं, जो इस रिपोर्ट का सबसे बड़ा आंकड़ा है।वहीं, सबसे कम प्रतिक्रिया स्वीडन से सामने आई, जहां आंकड़ा केवल 19 प्रतिशत था। कुल मिलाकर केवल 12 प्रतिशत लोगों ने बांझपन को बच्चे न होने का कारण बताया। वहीं थाईलैंड (19 प्रतिशत), अमेरिका (16 प्रतिशत), दक्षिण अफ्रीका (15 प्रतिशत), नाइजीरिया (14 प्रतिशत) और भारत (13 प्रतिशत) जैसे देशों में आंकड़े आधे थे।

रिपोर्ट से सामने आए बच्चे न पैदा करने के मुख्य कारण

रिपोर्ट में शामिल लोगों में से 39 प्रतिशत ने कहा कि वित्तीय बाधाओं के कारण या तो उनके बच्चों की संख्या कम है या होने की संभावना है।महिलाओं ने बताया कि उन्हें पुरुषों की तुलना में ज्यादा घरेलू काम करने पड़ते हैं, जो बच्चे पैदा न करने का एक बड़ा कारण है। वहीं, पुरुषों और महिलाओं दोनों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और भविष्य की चिंता के कारण उन्होंने अपने परिवार को छोटा रखने का फैसला किया है।

समय की कमी को भी बताया गया कारण

UNFPA ने समय की कमी को भी इच्छा के मुताबिक बच्चे न पैदा कर पाने का एक बड़ा कारण बताया है। व्यस्तता के चलते माता-पिता बच्चों के साथ समय नहीं बिता पाते, जिस कारण वह और बच्चे पैदा नहीं करना चाहते।

UNFPA की निदेशक ने कही यह बात

UNFPA की कार्यकारी निदेशक डॉ नतालिया कनम ने कहा, “समस्या विकल्प की कमी है, इच्छा की नहीं। यही वास्तविक प्रजनन संकट है और इसका उत्तर इस बात पर निर्भर करता है कि लोग क्या चाहते हैं: भुगतानशुदा पारिवारिक अवकाश, किफायती प्रजनन देखभाल और सहायक साथी।”रिपोर्ट में सलाह दी गई कि लोगों पर प्रजनन संबंधी नीतियों को थोपा नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इससे वे विद्रोही हो जाते हैं और बच्चे पैदा करने से परहेज करते हैं।

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