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इस जाट राजा ने खोद दी थी अकबर और जहांगीर की कब्र, औरंगजेब के भी छुड़ा दिए छक्के

आगरा : मुगल साम्राज्य का छठा शासक आलमगीर औरंगजेब. ये वो नाम है जिससे आज की तारीख में सबसे ज्यादा नफरत की जा रही है. औरंगजेब को महान बोलने वालों के खिलाफ एफआईआर कराई जा रही है.

वहीं औरंगजेब की मौत के 300 साल बाद कब्र पर बुलडोजर चलवाने की बातें हो रही हैं. देश में राजनीति गरमाई हुई है. मगर, औरंगजेब की नीतियों और धार्मिक कट्टरता को लेकर जाटों ने विद्रोह किया था.

जाट एकजुट होकर आगरा आये थे. उन्होंने सिकंदरा स्मारक में औरंगजेब के परदादा बादशाह अकबर की कब्र खोद डाली. इतना ही नहीं, राजाराम जाट और उनकी सेना ने कब्र से अकबर की हड्डियां निकाली और जला दी थी. ये इतिहास की किताबों में दर्ज है.
औरंगजेब की सेना से लड़ाई में राजाराम जाट मारे गये. आइए, जानते हैं अकबर की कब्र खोदने और उसकी हड्डियां जलाने की इतिहास में दर्ज पूरी कहानी वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर ‘राजे’ की जुबानी.

बता दें कि आगरा किला में 19 फरवरी 2025 को छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्मदिन समारोह मनाया गया था. जिस आगरा किले में छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान हुआ था, वहीं उनकी शौर्यगाथा गूंज रही है.

छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्मदिन पर महाराष्ट्र के सीएम ने औरंगजेब पर खूब जुबानी हमला बोला था. उन्होंने आगरा में छत्रपति शिवाजी महाराज का स्मारक बनाने का भी ऐलान किया था.

इसके बाद सपा विधायक अबू आजमी के बयान से राजनीति में हलचल मच गई. अब महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र पर बुलडोजर चलाने की बात हो रही है. जिससे खूब हंगामा और राजनीति गरमाई हुई है.

राजाराम जाट ने छेड़ी थी औरंगजेब के खिलाफ जंग : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर ‘राजे’ बताते हैं कि राजस्थान के भरतपुर जिले में जाटों ने सन 1668 में औरंगजेब की जजिया कर, धार्मिक कट्टरता और मुगल सेना के अत्याचार से विद्रोह कर दिया.

इस विद्रोह का नेतृत्व तब गांव तिलपत के वीर गोकुला जाट ने किया. औरंगजेब ने वीर गोकुला जाट को कैद कराया. सन 1669 उसने गोकुला जाट से इस्लाम कबूल करने पर छोड़ने की शर्त रखी. मगर, वीर गोकुला जाट ने बात नहीं मानी.

इसके बाद आगरा में तत्कालीन मुगल कोतवाली के पास औरंगेजब ने वीर गोकुला जाट को सरेआम मौत की सजा दी. धड़ से सिर अलग करा दिया. वीर गोकुला जाट का बदला और मुगल सेना के अत्याचार को लेकर सिनसिनी रियासत में राजाराम जाट ने विद्रोह कर दिया.

गांव आऊ की मुगल छावनी में आग लगाकर राजाराम जाट और रामकी चाहर ने छावनी अधिकारी लालबेग की हत्या करके औरंगजेब के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. राजाराम जाट और रामकी चाहर ने अपनी सेना बनाई.

इसके बाद राजाराम जाट और रामकी चाहर ने आगरा, मथुरा और भरतपुर समेत आसपास के क्षेत्र पर कब्जा करके टैक्स वसूलना शुरू कर दिया. उस समय औरंगजेब दक्खन में था. जब औरंगजेब को टैक्स मिलना बंद हुआ तो उसने जाटों को कुचलने के लिए अपने शहजादे आजम और फिर उसके बेटे बीदर बख्त को भेजा. जिन्हें राजाराम की सेना ने परास्त कर दिया.

भारतीय इतिहास में बदला लेने का अनोखा रहा ढंग : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर ‘राजे’ बताते हैं कि 27 फरवरी 1688 की बात है. तब राजाराम जाट और रामकी चाहर ने अपने लड़ाकों की टुकड़ी के साथ आगरा के सिंकदरा में धावा बोला. जाट लड़ाकों ने सिकंदरा में अकबर मकबरे पर ही हमला बोला.

तब शहर के बाहर और आगरा-दिल्ली हाईवे पर बना स्मारक था. राजाराम और उनकी सेना ने अकबर के मकबरे में तोड़फोड़ की. इतना ही नहीं, अकबर की कब्र खोदकर उसकी हड्डियां निकालीं. इसके बाद हड्डियां में आ लगा दी.

ये सब राजाराम जाट और उनकी सेना ने वीर गोकुला जाट की निर्मम हत्या का बदला लेने के लिए किया था. ये भारतीय इतिहास में बदला लेने का काफी अनोखे ढंग रहा है. बाद में एक युद्ध में चार जुलाई 1688 को राजाराम जाट वीरगति को प्राप्त हुए.

इन किताबों विस्तार से जिक्र किया गया : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर ‘राजे’ बताते हैं कि अकबर की कब्र खोदने और उसकी हड्डियां जलाने का जिक्र देश के मशहूर इतिहासकर जदुनाथ सरकार ने अपनी पुस्तक ‘औरंगजेब’ में किया है.

इसके साथ ही मैंने अपनी पुस्तक ‘तवारीख-ए-आगरा’ में भी सिकंदरा स्मारक पर जाटों की तोड़फोड़, लूटपाट के साथ ही अकबर की कब्र खोदने और हड्डियां जलाने के बारे में लिखा है.

इटली के एक यात्री निकोलो मनूची ने अपनी पुस्तक ‘स्टोरियो दी मोगोर’ (मुगल कथाएं) में पूरी कहानी लिखी है. इसके साथ ही मशहूर इतिहासकार आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव ने अपनी पुस्तक ‘मुगलकालीन भारत’ के पेज 348 पर विस्तार ने लिखा है.

छत्रपति शिवाजी महाराज

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