
मुंबई: भारत ही नहीं, जिस भी देश में अमेरिकी दूतावास होता है, वहां भारी सुरक्षा होती है। वहां आपको बगैर काम के अंदर जाना तो क्या, बाहर खड़े होने की भी इजाजत नहीं मिलेगी। मुंबई स्थित इसी अमेरिकी वाणिज्य दूतावास (Consulate) के भारी भरकम लोहे के गेट के ठीक बाहर, एक व्यक्ति मजे से हर महीने लाखों की कमाई कर रहा है। आज हम इसी ऑटो ड्राइवर कहानी आपको बता रहे हैं। इस कहानी को हमारे सहयोगी ईटी ने छापा है।
कोई स्टार्टअप या कंपनी नहीं
यह कहानी किसी कंपनी या स्टार्टअप की नहीं है, बल्कि सड़क से शुरू हुई है। वहां एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर ने चुपचाप एक ऐसा कारोबार खड़ा कर दिया है, जिससे उसे हर महीने 5 से 8 लाख रुपये की कमाई हो रही है। हैरानी की बात यह है कि वह यह सब बिना एक भी किलोमीटर गाड़ी चलाए कर रहा है। बस एक जगह खड़े रहते हैं और उनकी आमदनी बढ़ती जाती है।
कौन हैं उनके ग्राहक
इस अनोखे कारोबार की शुरुआत उन लोगों की समस्या से हुई जो वीज़ा के लिए आवेदन करने अमेरिकी दूतावास पहुंचते हैं। वहां हर दिन बहुत से लोग पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें एक दिक्कत का सामना करना पड़ता है। उन्हें अपना बैग दूतावास के अंदर ले जाने की अनुमति नहीं होती है। आस-पास कोई आधिकारिक लॉकर की सुविधा भी नहीं है। इसलिए, लोगों को ज़रूरी कागजात, इलेक्ट्रॉनिक्स या निजी सामान रखने में परेशानी होती है। इस मुश्किल को ऑटो रिक्शा ड्राइवर ने एक अवसर में बदल दिया। ज़्यादातर लोग इसे सिर्फ एक समस्या मानते, लेकिन उसने इसमें एक मौका देखा। उसने लोगों की ज़रूरतों को समझा और एक आसान सी सेवा शुरू की।
क्या करता है ऑटो ड्राइवर
ऑटो ड्राइवर वीज़ा आवेदकों के बैग को कुछ समय के लिए रखने लगा। वह वाणिज्य दूतावास के प्रवेश द्वार के पास खड़ा रहता है और लोगों को 1,000 रुपये में उनके सामान की सुरक्षा करने का प्रस्ताव देता है। वह उन्हें भरोसा दिलाता है कि उनकी अपॉइंटमेंट खत्म होने तक उनका सामान सुरक्षित रहेगा। पहली नज़र में यह कीमत ज़्यादा लग सकती है, लेकिन वीज़ा इंटरव्यू की जल्दी में लोगों के पास कोई और विकल्प नहीं होता। जो लोग अपनी अपॉइंटमेंट मिस करने वाले होते हैं, उनके लिए थोड़ी सी फीस देना, अपॉइंटमेंट को फिर से शेड्यूल करने या मौका गंवाने से बेहतर है।
वह अकेला नहीं है इस कारोबार में
इस काम को और भी खास बनाने वाली बात यह है कि इसके पीछे एक सिस्टम है। यह सिर्फ सड़क किनारे किया जाने वाला काम नहीं है। इसे सोच-समझकर और व्यवस्थित तरीके से चलाया जाता है। ऑटो रिक्शा ड्राइवर पहला संपर्क बिंदु है। जब ग्राहक मान जाता है, तो एक सुरक्षित प्रक्रिया शुरू होती है। इसमें एक स्थानीय पुलिस अधिकारी की मदद ली जाती है। पुलिस अधिकारी एक भरोसेमंद लॉकर की सुविधा देता है, जहां बैग रखे जाते हैं। इस तरह, ड्राइवर ने एक भरोसेमंद सिस्टम बनाया है। ऑटो रिक्शा सामने से ग्राहकों से संपर्क करता है, जबकि पीछे का काम एक सुरक्षित जगह पर होता है।
एक दिन में कितनी आमदनी
एक आम दिन में, वह 20-30 ग्राहकों को संभालता है और 20,000 से 30,000 रुपये तक कमाता है। इस कमाई से वह अनुभवी कॉर्पोरेट पेशेवरों की श्रेणी में आ गया है। जबकि उसके पास कोई औपचारिक शिक्षा या तकनीकी ज्ञान नहीं है।
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