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ख़बरेंमध्य प्रदेश

कसमें – वादे, प्यार – वफा — नेताओं के संकल्प टूटने के लिए ही होते हैं जनाब, क्या हुआ जो दिग्गी राजा का टूट गया

o भाजपा में भी ‘महाराज’ को सीएम बनाने की मांग....के पीछे क्या है

दिनेश निगम ‘त्यागी’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह हमेशा कहते हैं कि वे जो संकल्प लेते हैं, उस पर अमल करते हैं। पर उनका एक संकल्प टूटता दिख रहा है। उन्होंने भोपाल और ग्वालियर सहित कुछ घटनाओं को देख कर संकल्प लिया था कि वे कांग्रेस के किसी कार्यक्रम के मंच पर नहीं बैठेंगे। सामने बैठेंगे और उन्हें बोलने के लिए कहा जाएगा तभी मंच पर जाएंगे। भोपाल में मंच पर भीड़ बढ़ने के कारण बड़ी दुर्घटना हुई थी। मंच गिरने से कांग्रेस के कई नेता गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसके बाद कांग्रेस को कार्यक्रमों को लेकर गाइडलाइन बनी तो उस पर अमल नहीं हुआ। ग्वालियर में पार्टी के कार्यक्रम में फिर मंच पर तादाद से ज्यादा नेता चढ़ गए। धक्का-मुक्की, अफरा-तफरी देख कर दिग्विजय ने कांग्रेस के कार्यक्रमों में कभी मंच पर न बैठने की घोषणा की थी। इसके पक्ष में उन्होंने कई तर्क भी दिए थे। इस बीच एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया उनका हाथ पकड़ कर मंच पर ले गए और बैठा दिया। इस पर सवाल उठे तो दिग्विजय ने सफाई दी कि मैंने कांग्रेस के कार्यक्रमों में मंच पर न बैठने की घोषणा की थी। यह निजी स्कूल का कार्यक्रम था, पार्टी का नहीं। अब रीवा में उनके मंच पर बैठने का एक फोटो जारी हो गया। यह कांग्रेस के सम्मेलन का बताया जा रहा है। तो क्या दिग्विजय का यह संकल्प टूट गया? इस पर उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
फिर चली नियुक्तियों को लेकर अटकलों की रेल….!
राजनीति क्षेत्र की सबसे पसंदीदा खबरें हैं – निगम मंडलों में नियुक्तियां, मंत्रिमंडल विस्तार और भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी का गठन। जब भी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल सहित प्रमुख नेताओं की मेल-मुलाकात होती है, इन मुद्दों को लेकर अटकलें शुरू हो जाती हैं। अखबारों की सुर्खियां होती हैं, निगम-मंडलों में नियुक्तियों के लिए सूची बन कर तैयार, मंत्रिमंडल विस्तार के लिए नाम तय और भाजपा कार्यकारिणी के लिए फार्मूला तैयार। पर अब तक नतीजा ‘ढाक के तीन पात’ जैसा आया है। अफवाहों की यह रेल एक बार फिर चल पड़ी है। इसकी वजह बनी दिल्ली में कैलाश विजयवर्गीय की केंद्रीय मंत्री अमित शाह के साथ और मुख्यमंत्री डॉ यादव की नरेंद्र सिंह तोमर के बंगले जाकर मुलाकात। इससे पहले हेमंत खंडेलवाल राजभवन जाकर राज्यपाल से मिले थे। अंतिम मुहर लगाई सीएम हाउस में मुख्यमंत्री डॉ यादव के साथ संगठन और सरकार के प्रतिनिधियों की बैठक ने। कहा जा रहा है कि निगम-मंडलों में नियुक्तियों के लिए सूची तैयार है, मंत्रिमंडल विस्तार के चेहरे तय हो गए हैं और नवरात्रि के शुभ अवसर पर ये दोनों काम हो जाएंगे। ये खबरें हर बार की तरह महज अटकलें हैं या इनमें दम भी है, यह नवरात्रि के दौरान ही पता चल सकेगा।
भाजपा में भी ‘महाराज’ को सीएम बनाने की मांग….
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के दौरे के दौरान उत्साही समर्थकों ने सिंघार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग को लेकर नारे लगाए थे। कांग्रेस में यह कल्चर हालांकि नया नहीं है। हर विधानसभा चुनाव से पहले समर्थक अपने नेता के लिए ऐसे नारे लगाते रहे हैं। पिछले चुनाव में तो कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री मान कर अभियान ही चल पड़ा था। बहरहाल, सिंघार के समर्थन में नारे लगे तो भाजपा ने आरोप जड़ दिया कि ‘सूत न कपास जुलाहों में लट्ठमलट्ठा’। विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं और कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर सिर फुटौव्वल शुरू हो गई। अब कांग्रेस की यह बीमारी भाजपा में भी देखने को मिल गई। यहां भी मुख्यमंत्री के दावेदार कम नहीं। पर पहली बार केंद्रीय मंत्री महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया मुरैना दौरे पर पहुंचे तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के नारे गूंज उठे। इतना ही नहीं, हनुमान मंदिर के एक पुजारी बाबा ने मंदिर की दीवाल पर पोस्टर लगाकर सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग कर डाली। बैनर में निवेदक संत समाज समिति मुरैना लिखा हैं। इसमें चेतावनी भरे लहजे में लिखा है कि महाराज साहब को मुख्यमंत्री बनाओ वरना खैर नहीं। सिंघार ने तो नारे लगाने वाले समर्थकों को रोक दिया था लेकिन सिंधिया ने ऐसा कुछ नहीं किया। अब कांग्रेस हमलावर है और भाजपा में सांप सूंघ गया है। कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं।
अब गोंगपा ने दी चेतावनी, कहा- ‘आदिवासी हिंदू नहीं’….
जैसी कि आशंका थी, वही हुआ। ‘आदिवासी हिंदू नहीं’ का मुद्दा तूल पकड़ने लगा है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इसे उठाया था। समूची भाजपा उन पर हमलावर थी। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जबलपुर पहुंचे तो उन्होंने भी कहा कि इस नारे के जरिए कांग्रेस हिंदुओं में फूट डालने की कोशिश कर रही है। आदिवासी हिंदू ही हैं। अब इस मुद्दे पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी सिंघार के समर्थन में खड़ी हो गई है। पार्टी के नेता राधेश्याम काकोड़िया का कहना है कि चाहे केंद्रीय मंत्री हो, प्रदेश के मंत्री या अन्य नेता, आदिवासियों को लेकर सोच समझकर बोलें। इतिहास पढ़ें और नहीं आता तो गोंडवाना के गोकुल में आ जाएं, हम पढ़ाने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि गोंडवाना साम्राज्य की अलग पहचान है, हमारी अलग संस्कृति, कल्चर है, अलग पहनावा, बोली-भाषा है। 1931 के ट्राइबल एक्ट में आदिवासियों को अलग पहचान दी गई थी। आदिवासियों को सनातनी हिंदू बोलना कुठाराघात है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में रह रहे हिंदू, मुस्लिम और ईसाई, सभी ने आदिवासी संस्कृति से कुछ ना कुछ सीखा है, क्योंकि हम प्रकृति को मानते है और पूरी दुनिया प्रकृति से सीखती है। हम आदिवासी बड़ा देवता की पूजा करते हैं। इसलिए हमें आदिवासी ही रहने दें, किसी अन्य धर्म से न जोड़ें। साफ है मुद्दे ने तूल पकड़ा तो भाजपा नुकसान उठा सकती है।
भाजपा नेतृत्व को असहज कर रहे नेताओं के कारनामें….
अपने कुछ नेताओं और उनके परिजनों के कारनामों के कारण भाजपा नेतृत्व असहज है। कहा जाने लगा है कि भाजपा में सत्ता की बीमारी आ चुकी है और पार्टी नेता कांग्रेस को भी पीछे छोड़ रहे हैं। कुछ घटनाएं इसकी बानगी हैं। पहला, देवास से भाजपा विधायक गायत्री राजे पवार के बेटे विक्रम सिंह पंवार ने आधी रात समर्थकों की भीड़ के साथ नगर निगम कार्यालय में धावा बोल कर हंगामा किया। शासकीय वाहनों की चाबी निकाल ली, जमकर नारेबाजी हुई। पंप चौराहे पर बैरिकेड गिरा दिए और नगर निगम भवन को गिराने की धमकी दे डाली। पंवार ने कहा कि मैंने ही बनवाया था, धराशायी हो जाए तो बाद में मत बोलना। दूसरा, बड़वानी के एक भाजपा मंडल अध्यक्ष अजय यादव ने महिला पुलिसकर्मी का पीछा किया, गाड़ी में जबरन बैठाया और हाथ पकड़कर अश्लील हरकत की। विरोध करने पर जान से मारने की धमकी दी। महिला की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया। एक अन्य जिले में एक भाजपा पार्षद ने अपने साथी के साथ छात्रा का अपहरण कर लिया। बाद में पुलिस ने उसे घेर कर पकड़ा। भोपाल में एक मंडल पदािधकारी अश्लील वीडियाे वायरल होने पर भाजपा ने निष्कासित हो चुके हैं। भाजपा नेता इस तरह के कारनामें लगातार कर रहे हैं। इसकी वजह से भाजपा बदनाम और असहज है, क्यों कि यह भाजपा की चाल और चरित्र तो नहीं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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