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देश

एक और जज पर महाभियोग की तलवार: 120 सांसदों ने स्पीकर को सौंपा नोटिस

नई दिल्ली 
संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में मद्रास हाई कोर्ट के एक सीटिंग जज के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी पूरी हो गई है। विपक्षी इंडिया गठबंधन के करीब 120 सांसदों ने उस नोटिस पर दस्तखत कर दिए हैं। मंगलवार को तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के अगुवाई में विपक्षी दलों के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को महाभियोग लाने की मांग करने वाला यह प्रस्ताव सौंपा।

स्पीकर ओम बिरला को जब ये नोटिस सौंपा जा रहा था, तब उनके चैम्बर में DMK संसदीय दल की नेता कनिमोझी, पार्टी के नेता टीआर बालू, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी मौजूद थीं। 9 दिसंबर को सौंपे गए महाभियोग नोटिस के मुताबिक, मद्रास हाई कोर्ट के जज जस्टिस जीआर स्वामीनाथन को हटाने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 217 और 124 के तहत ये प्रस्ताव पेश किया गया है।

जस्टिस स्वामीनाथन पर क्या आरोप?
इस नोटिस में आरोप लगाया गया है कि जस्टिस स्वामीनाथन के व्यवहार ने न्यायिक निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। इसके अलावा जस्टिस स्वामीनाथन पर एक सीनियर वकील और एक खास समुदाय के वकीलों का गलत तरीके से पक्ष लेने का भी आरोप लगाया गया है और दावा किया गया कि उनके हालिया फैसले राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित थे, जो सेक्युलर संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ हैं। इस प्रस्ताव के साथ भारत के राष्ट्रपति और भारत के मुख्य न्यायाधीश को भेजे गए पत्रों की प्रतियां भी संलग्न की गईं।

DMK का ये कदम क्यों?
बता दें कि DMK की तरफ से यह कदम जस्टिस स्वामीनाथन के उस आदेश के बाद उठाया गया है, जिसमें पिछले दिनों उन्होंने निर्देश दिया था कि मदुरै की थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ियों की चोटी पर स्थित मंदिर में पारंपरिक कार्तिगई दीपम जलाया जाए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि इस पारंपरिक अनुष्ठान से दरगाह या मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का किसी तरह से कोई उल्लंघन नहीं होगा लेकिन तमिलनाडु सरकार ने कानून और व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देते हुए हाई कोर्ट के इस आदेश को लागू करने से इनकार कर दिया था।

सांप्रदायिक टकराव की स्थित पैदा की गई
DMK का आरोप है कि जस्टिस स्वामीनाथन के फैसले के बाद तमिलनाडु में भाजपा द्वारा सांप्रदायिक टकराव की स्थित पैदा की गई है। गौरतलब है कि तमिलनाडु सरकार ने दरगाह के पास स्थित मंदिर में ‘कार्तिगई दीपम’ जलाने की अनुमति देने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। उच्चतम न्यायालय ने तिरुपरमकुंद्रम में स्थित पत्थर के एक दीप स्तंभ ‘दीपथून’ में दरगाह के निकट अरुलमिघु सुब्रमणिय स्वामी मंदिर के श्रद्धालुओं को परंपरागत ‘‘कार्तिगई दीपम’ का दीपक जलाने की अनुमति देने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए पांच दिसंबर को सहमति जताई थी।
 
हमारे धैर्य की परीक्षा न लें… मंदिर और दरगाह विवाद में क्यों भड़क गए मीलॉर्ड?
मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने चार दिसंबर को मदुरै के जिला कलेक्टर और शहर के पुलिस आयुक्त द्वारा दायर एक अंतर-न्यायालयी अपील खारिज कर दी और एकल न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें श्रद्धालुओं को दीपथून में ‘कार्तिगई दीपम’ दीप जलाने की अनुमति दी गई थी। जब आदेश का क्रियान्वयन नहीं हुआ तो एकल न्यायाधीश ने तीन दिसंबर को एक और आदेश पारित कर श्रद्धालुओं को स्वयं दीप जलाने की अनुमति दे दी तथा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। 

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