Swati Sachdeva Controversy: पैसों की अंधी दौड़, टूट रही मर्यादा

निहारिका
पैसा कमाना चाहिए। पैसा जिंदगी के लिए सबकुछ नहीं है, लेकिन बहुत कुछ तो है ? बावजूद इसके क्या पैसे के लिए मर्यादा – संस्कार सब त्याग देना चाहिए? इसका जवाब है- कदापि नहीं। हम पैसा कमाएं पर मर्यादा के साथ।
लेकिन, आज के यूथ को देखिए। क्या कर रहे हैं, पैसे के लिए मर्यादा – संस्कार सब त्याग दे रहे हैं। जो पैसा जीवन जीने का साधन होना चाहिए, वह साध्य हो गया है। यानी पैसे के लिए ही जीवन। पैसा आए, चाहे जैसे आए। हर दम पैसा – पैसा। और इसी अंधी दौड़ में सब छूट रहा है। मर्यादा-संस्कार भी।
परफॉर्मेंस में तीखे व्यंग्य
स्वाति सचदेवा एक भारतीय स्टैंड-अप कॉमेडियन हैं, जो अपनी हास्य कला और सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले वीडियो के लिए जानी जाती हैं। स्वाति ने भारतीय स्टैंड-अप कॉमेडी सीन में एक खास पहचान बनाई है और वह अपनी चुटीली शैली से दर्शकों का मनोरंजन करती हैं। उनकी कॉमेडी में आमतौर पर सामाजिक मुद्दों, व्यक्तिगत अनुभवों और दैनंदिन जिंदगी की हास्यपूर्ण स्थितियों का मजाक उड़ाया जाता है। वह अपनी परफॉर्मेंस में तीखे व्यंग्य के साथ सामाजिक और व्यक्तिगत स्थितियों पर बात करती हैं, जिससे दर्शक उनके साथ जुड़ पाते हैं।
दर्शकों के बीच काफी पॉपुलर
इन दिनों स्वाति सचदेवा की बड़ी चर्चा है। स्वाति सचदेवा ने कई स्टैंड-अप कॉमेडी शो किए हैं और कई कॉमेडी फेस्टिवल्स में भाग लिया है। इसके अलावा, वह कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी सक्रिय हैं और वहां भी अपने हास्य वीडियो साझा करती हैं, जो दर्शकों के बीच काफी पॉपुलर हो गए हैं।
वर्जित विषयों पर करती है बात
उनकी कला और अभिनय की एक बड़ी खासियत यह भी है कि वह अश्लील होती है। ऐसे संवाद और विषय, जिन्हें सुनकर ही हमें शर्मिंदगी महसूस होती है। बोलना तो दूर की बात है। यह हास्य-व्यंग्य के लिए अपनी मां और भाई को सब्जेक्ट बनाती हैं। यहां तक तो ठीक था पर सब्जेक्ट से आगे —- यह जो संवाद प्रस्तुत करती है, वह मर्यादा तोड़ देता है। यह वर्जित विषयों पर बात करती है। मां-भाई को लेकर। मानो समाज- परिवार की अवधारणा को ही खत्म कर देगी। नेट पर इस अश्लील लड़की के वीडियो हैं, जिन्हें सुना- देखा जा सकता है। स्वाति पहले कंटेंट राइटर थी। अमेटी यूनिवर्सिटी से पढ़ी हैं। दिल्ली की रहवासी हैं।
रणवीर इलाहाबादिया के बिगड़े बोल
ऐसे ही एक यू ट्यूबर हैं रणवीर इलाहाबादिया। इस इलाहाबादिया ने एक शो में जिन लफ्जों का उपयोग किया, उस पर काफी बवाल हुआ। इलाबादिया को कोर्ट-कचहरी का चक्कर काटना पड़ रहा है। इसने अश्लीलता की सीमा ही तोड़ दी थी। दरअसल, कामेडी का बाजार हजारों करोड़ का हो गया है और कामेडियन उस बाजार में ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी चाहते हैं।
ज्यादा हिस्सेदारी ठीक बात है। इसमें बुरा कुछ भी नहीं है। पर हिस्सेदारी के लिए मर्यादा तोड़ देना पाप है। और पैसों के लिए पापी हो जाना कतई सही नहीं होगा। आखिर समाज है, परिवार है, तभी हम हैं। मां-पिता, भाई-बहन जैसे संबंध हैं, तभी समाज है। परिवार है। बिना मर्यादा के कैसा समाज होगा!