
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली निरुपमा सिंह शर्मा और अंजना भामरा ने कमाल कर दिया है। इन दोनों ने 10 साल पहले ‘द सैफ्रॉन सागा’ नाम का फैशन ब्रांड शुरू किया। उन्होंने सिर्फ 20,000 रुपये की पूंजी से इसकी शुरुआत की थी। दोनों ने 40 की उम्र के बाद बिजनेस की दुनिया में कदम रखे थे। उनका मकसद कुछ खास बनाना था। अंजना होटल, सैलून और बुटीक चलाती थीं। उनकी साथी मार्केटिंग और कम्युनिकेशन में माहिर थीं। दोनों ने मिलकर ‘द सैफ्रन सागा’ शुरू किया। इसे अपनी नैतिक प्रथाओं, पर्यावरण अनुकूल सामग्री और समावेशी डिजाइनों के लिए जाना जाता है। इसका टर्नओवर अब 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा का हो गया है। आइए, यहां निरुपमा सिंह शर्मा और अंजना भमरा की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।
2015 में लिया बड़ा फैसला
जबलपुर की रहने वाली निरुपमा सिंह शर्मा और अंजना भामरा ने साबित किया है कि सही सोच और समर्पण से किसी भी उम्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनकी कहानी उद्यमिता, दृढ़ता और उम्र को बाधा न मानने का एक शानदार उदाहरण है। इन दोनों ने 2015 में ‘द सैफ्रॉन सागा’ की शुरुआत की। बहुत कम पूंजी लगाकर उन्होंने कारोबार में एंट्री की थी। तब तक वे 40 की उम्र के पड़ाव को पार कर चुकी थीं। ‘द सैफ्रॉन सागा’ एक ऐसा ब्रांड है जो कारीगर-अनुकूल है और ‘मेक इन इंडिया’ की भावना के साथ स्वदेशी शिल्प कौशल को बढ़ावा देता है।
इसे भी पढ़ें : Dhanbad: जेएमएम ने दहीबाड़ी सब स्टेशन के मुख्य द्वार पर किया आंदोलन,
बैंक से लोन मिलने में आई दिक्कत

‘द सैफ्रॉन सागा’ शुरू करने से पहले अंजना का होटल, सैलून और बुटीक का काम था। उन्हें सुंदरता और कला की अच्छी समझ थी। वहीं, निरुपमा का बैकग्राउंड मार्केटिंग और कम्युनिकेशन का था। इस जोड़ी ने मिलकर फैशन ब्रांड शुरू करने का फैसला किया। लेकिन, यह सफर आसान नहीं था। उन्हें बैंक से लोन लेने में दिक्कत हुई। कई रातें बिना सोए गुजारनी पड़ीं। कई महीने तक कोई कमाई नहीं हुई। लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी हिम्मत से एक शानदार ब्रांड बना।
ग्रामीण कारीगरों को मिलता है रोजगार

‘द सैफ्रन सागा’ पर्यावरण का ध्यान रखता है। ब्रांड इको-फ्रेंडली चीजें इस्तेमाल करता है। स्थानीय कारीगरों से काम लिया जाता है। अंजना और निरुपमा का मानना है कि फैशन में नैतिकता होनी चाहिए। वे हर महिला को साथ लेकर चलती हैं। उनका ब्रांड हर उम्र, आकार और पहचान वाली महिलाओं के लिए डिजाइन करता है। यह ब्रांड ग्रामीण कारीगरों को रोजगार देकर और टिकाऊ फैशन प्रथाओं को बढ़ावा देकर समाज को वापस देने पर भी केंद्रित है।
इसे भी पढ़ें : लालू प्रसाद यादव ने पोते का नाम रखा इराज, जानें क्या है इसका अर्थ