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Success Storyराजस्थान

Success Story: 5,000 रुपये से शुरू किया काम, अब 170 उत्पादों के साथ 70 करोड़ का टर्नओवर, जानें कौन है ये

जोधपुर के श्रवण डागा ने सिर्फ 5,000 रुपये से शुरुआत करके 70 करोड़ रुपये का आयुर्वेदिक जूस ब्रांड खड़ा किया है। उन्होंने 2007 में कृष्णा हर्बल एंड आयुर्वेद की शुरुआत की थी। उनका लक्ष्य था आयुर्वेदिक उत्पादों को हर घर में पहुंचाना। आज उनकी कंपनी 170 उत्पादों के साथ 70 करोड़ रुपये का कारोबार कर रही है। श्रवण ने यह सब तब शुरू किया जब परिवार के व्यवसाय को आगे बढ़ाना एक आम बात थी। हालांक‍ि, उन्होंने अपना अलग रास्ता बनाया। आइए, यहां श्रवण डागा की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।

परिवार का लोहे और स्टील का कारोबार

श्रवण डागा का परिवार जोधपुर में लोहे और स्टील के कारोबार में था। उनसे उम्मीद थी कि वह भी यही काम करेंगे। लेकिन, श्रवण ने कुछ और करने की सोची। वह बचपन में बहुत शरारती थे। पढ़ाई में भी बहुत अच्छे नहीं थे। इस वजह से उन्हें माउंट आबू के एक स्कूल में भेजा गया। वहां उन्होंने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की। बाद में वह दिल्ली पब्लिक स्कूल, जोधपुर में पढ़े। 2007 में उन्होंने ओंकारमल सोमानी कॉलेज ऑफ कॉमर्स, जोधपुर से बीकॉम किया। उसी साल उन्होंने कृष्णा हर्बल एंड आयुर्वेद की भी शुरुआत की।

परिवार के व्यवसाय से बिल्कुल अलग

2007 में 23 साल की उम्र में श्रवण ने सिर्फ 5,000 रुपये के निवेश से अपना कारोबार शुरू किया। यह उनके परिवार के व्यवसाय से बिल्कुल अलग था। उन्होंने सबसे पहले 50 बोतल एलोवेरा जूस बनाया। फिर उन्होंने आंवला जूस तैयार क‍िया। आज कृष्णा हर्बल एंड आयुर्वेद के 170 उत्पाद हैं। उनकी कंपनी हर साल 70 करोड़ रुपये का कारोबार करती है। उन्होंने एक छोटी सी 600 वर्ग फीट की वर्कशॉप से शुरुआत की थी। यह जगह एक साधारण रसोई की तरह दिखती थी। यहीं पर उन्होंने एलोवेरा जूस बनाना शुरू किया। आज उनकी कंपनी का एक बड़ा 15,000 वर्ग मीटर का आयुर्वेदिक जूस बनाने का प्लांट है।

थर्ड-पार्टी मैन्युफैक्चरर के तौर पर भी काम किया

श्रवण ने सिर्फ एक उत्पाद से शुरुआत की थी। लेकिन, बाद में उन्होंने 170 उत्पादों का पोर्टफोलियो बना लिया। जब उनका एलोवेरा जूस लोकप्रिय हो गया तो लोग उनसे दूसरे जूस, हर्बल पाउडर, हर्बल टैबलेट और यहां तक कि कॉस्मेटिक्स भी मांगने लगे। श्रवण ने कई व्यापार प्रदर्शनियों में भाग लिया। इससे उन्हें नए बिजनेस आइडिया मिले। हालांकि, लोगों को पहले एक नए आयुर्वेदिक उत्पाद के बारे में समझाना आसान नहीं था। अपना ब्रांड बनाने के साथ उन्होंने दो कंपनियों के लिए थर्ड-पार्टी मैन्युफैक्चरर के तौर पर भी काम किया। वह उनके लिए एलोवेरा जूस बनाते थे। यह उनका सबसे ज्यादा बिकने वाला उत्पाद बन गया। तभी श्रवण को एहसास हुआ कि उनके पास एक सफल उत्पाद है।

कोरोना के दौर में तेजी से बढ़ी उत्पादों की मांग

कोरोना महामारी के दौरान आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग बढ़ गई। लोगों को आयुर्वेद का महत्व समझ में आने लगा था। दूसरी लहर के बाद कृष्णा हर्बल एंड आयुर्वेद ने अपने उत्पादों की पैकेजिंग को नया रूप दिया। श्रवण ने इसे आधुनिक लुक दिया। पहली लहर के दौरान उनकी फैक्ट्री 25% क्षमता पर काम कर रही थी। लेकिन, दूसरी लहर तक उन्हें मांग को पूरा करने के लिए कच्चे माल की खरीद को चार गुना बढ़ाना पड़ा। श्रवण डागा की कहानी दृढ़ता, नवाचार और अपनी जड़ों से जुड़े रहने की कहानी है। उन्होंने अपना एक अलग रास्ता बनाया और सफलता हासिल की।

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