
Success Story: एक मामूली ऑटो चालक अब 800 करोड़ का मालिक बन चुका है। जो ड्राइवर कल तक ऑटो से लोगों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाता था वो अब 11 करोड़ की कार में सफर करता है। आइए इस ऑटो चालक की सफलता की कहानी जानते हैं। दरअसल, कर्नाटक के बेल्लारे गांव में जन्मे सत्य शंकर की जिंदगी में वह मोड़ तब आया जब उत्तर भारत की यात्रा के दौरान उन्होंने कुछ ऐसा देखा जिसने उनका नजरिया ही बदल दिया। जुलाई 1964 में जन्मे सत्य ने 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी और 18 साल की उम्र में परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए ऑटो रिक्शा चलाना शुरू कर दिया। उन्होंने यह ऑटो सरकारी योजना के तहत मिले लोन से खरीदा था, जिसे एक साल के भीतर चुका दिया।
ऑटो से कार तक की सफर
इसके बाद उन्होंने एक एम्बेसडर कार खरीदी और टूरिस्ट को दक्षिण कन्नड़ जिले से बाहर ले जाने लगे। यहीं से उनके कारोबारी सफर की शुरुआत हुई। आज वही सत्य शंकर एक सफल उद्यमी हैं। जिनकी कंपनी का वार्षिक टर्नओवर 800 करोड़ रुपये से अधिक है। उनके पास 11 करोड़ रुपये की लग्जरी कार रोल्स रॉयस फैंटम VIII भी है। जिसे उनके लिए खास तौर पर कस्टमाइज किया गया है।
ड्राइवर से व्यवसायी बनने का सफर
एम्बेसडर चलाते हुए सत्य को एहसास हुआ कि महज गाड़ी चलाकर वह अपने सपनों को साकार नहीं कर पाएंगे। 1987 में उन्होंने ऑटो पार्ट्स का कारोबार शुरू किया और 1989 में टायर शॉप खोली। इस दौरान उन्होंने वित्तीय प्रबंधन की गहराई से जानकारी हासिल की। 1994 में उन्होंने प्रवीण कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की। जो पुरानी गाड़ियों के लिए लोन प्रदान करती है। आज यह कंपनी SG ग्रुप के टर्नओवर में हर साल 240 करोड़ रुपये का योगदान देती है।
SG ग्रुप और विस्तार की कहानी
2001 में सत्य शंकर ने 35 लाख रुपये के निवेश से SG कॉरपोरेट्स की नींव रखी, जिसका मुख्यालय पुत्तूर, कर्नाटक में है। 2006 तक कंपनी का टर्नओवर 6 करोड़ रुपये पहुंच गया और 2010 में यह आंकड़ा 100 करोड़ को पार कर गया। आज SG ग्रुप के तहत प्रवीण कैपिटल, मेघा फ्रूट प्रोसेसिंग समेत कई कंपनियां हैं, जो 55 से अधिक उत्पाद बनाती हैं।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भी सफलता
2003 में शुरू हुई मेघा फ्रूट प्रोसेसिंग अब 60.5 मिलियन डॉलर की कंपनी बन चुकी है। 2004 में सत्य ने सिपऑन नाम से फलों के रस का ब्रांड लॉन्च किया, जिसमें आम, सेब और गुलाबी अमरूद जैसे स्वाद शामिल हैं। 2009 में उन्होंने स्नैक्स ब्रांड की भी शुरुआत की। कंपनी का लक्ष्य 2026 तक 1000 करोड़ रुपये के टर्नओवर तक पहुंचना है। 1992 में सत्य शंकर ने रंजीता शंकर से शादी की। रंजीता ने उनके हर फैसले में साथ दिया और अब हाउस ऑफ बिंदु की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं। आज सत्य शंकर की सफलता उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के साथ बड़ा सपना देखते हैं।