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बिहार में नया राजनीतिक गठजोड़: ‘ASA’ का जनसुराज में विलय, RCP सिंह और प्रशांत किशोर हुए साथ

विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीतिक तेजी से बदल रही है. जनता दल यूनाइटेड (JDU) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने अपनी पार्टी आप सबकी आवाज (आशा) का विलय प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज में कर दिया है. रविवार को राजधानी पटना में आरसीपी सिंह प्रशांत किशोर की पार्टी में शामिल हुए. इस मौके पर आरसीपी सिंह ने कहा कि आज रविवार है, सूर्य भगवान का दिन है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपनी पार्टी का विलय करूंगा, लेकिन यह हो गया. यह ईश्वर का आशीर्वाद है.

RCP और PK पहले भी रहे हैं साथ
2015 के महागठबंधन की कामयाबी के पीछे दोनों नेताओं की अहम भूमिका थी. उस समय प्रशांत किशोर एक रणनीतिकार के रूप में उभर रहे थे और आरसीपी सिंह जेडीयू के भीतर प्रभावशाली नेता थे. अब वर्षों बाद दोनों फिर साथ आए हैं. मगर इस बार भूमिका अलग है. प्रशांत किशोर अब राजनेता हैं, और आरसीपी सिंह एक पूर्व केंद्रीय मंत्री जो खुद को फिर से राजनीतिक मुख्यधारा में स्थापित करना चाहते हैं.

आरसीपी के आने से जनसुराज को होगा कितना फायदा?
आरसीपी सिंह के शामिल होने से जनसुराज को न केवल एक अनुभवी चेहरा मिला है, बल्कि राजनीतिक साख भी बढ़ी है. वह नौकरशाही से राजनीति में आए, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे, और केंद्र में इस्पात मंत्री भी रह चुके हैं.

प्रशांत किशोर लगातार दो वर्षों से बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं. वह एक वैकल्पिक राजनीति की बात कर रहे हैं. प्रशांत किशोर का कहना है कि न जातिवाद आधारित, न ही लूटतंत्र वाली. अब आरसीपी सिंह जैसे नेताओं के जुड़ने से उस सोच को जमीनी विस्तार मिल सकता है.

कभी नीतीश कुमार के बेहद करीबी थे आरसीपी सिंह
जेडीयू के लिए यह घटनाक्रम किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है. आरसीपी सिंह कभी नीतीश कुमार के सबसे करीबी रहे, लेकिन अब उन्हीं के विरोधी मंच पर खड़े हैं. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जब हम पार्टी में थे तब ‘RCP टैक्स’ लगता था, अब पार्टी छोड़ दिए हैं अब कौन टैक्स ले रहा है? प्रशांत किशोर ने यह भी आरोप लगाया कि जेडीयू में जो नेता हैं, वे अपनी ही पार्टी के जिला अध्यक्षों के नाम तक नहीं जानते नीतीश कुमार को जो सलाह दे रहे हैं, वे खुद फेल हैं.

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