पीएम मोदी ने शुरू किया ज्ञान भारतम् मिशन, प्राचीन पांडुलिपियां होंगी डिजिटाइज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज्ञान भारतम् मिशन की शुरुआत करते हुए इसे भारत की संस्कृति, साहित्य और वैज्ञानिक धरोहर को डिजिटाइज करने की दिशा में बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह मिशन हजारों वर्षों की चिंतन-मनन परंपरा, ऋषि-मुनियों और विद्वानों के ज्ञान और शोध को दुनिया के सामने लाएगा।
विज्ञान भवन में आयोजित ज्ञान भारतम् इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह केवल सरकारी या अकादमिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना का उद्घोष है। इस अवसर पर मिशन से जुड़ा पोर्टल भी लॉन्च किया गया, जो प्राचीन ज्ञान को डिजिटल माध्यम से सुलभ बनाएगा।
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा पांडुलिपि संग्रह है, जिसमें करीब 1 करोड़ manuscripts मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास के क्रूर थपेड़ों में लाखों पांडुलिपियां नष्ट हो गईं, लेकिन जो बची हैं वे हमारे पूर्वजों की ज्ञान और विज्ञान के प्रति गहरी निष्ठा का प्रमाण हैं।
उन्होंने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा आज भी समृद्ध है, क्योंकि यह चार स्तंभों—संरक्षण, नवाचार, परिवर्धन और अनुकूलन—पर आधारित है। यही स्तंभ भारत को एक जीवंत प्रवाह और निरंतरता प्रदान करते हैं।
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि प्राचीन पांडुलिपियां हमारी विविधता में एकता का प्रतीक हैं। देश में करीब 80 भाषाओं में पांडुलिपियां उपलब्ध हैं, जो हमारी सांस्कृतिक और भाषाई विरासत की झलक दिखाती हैं।
अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि ज्ञान भारतम् मिशन आने वाली पीढ़ियों के लिए इस अनमोल धरोहर को सुरक्षित करेगा और भारत की पहचान को वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाएगा।