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Mumbai Jain Temple News: मुंबई के जिस जैन मंदिर पर चला प्रशासन का बुलडोज़र, उससे जुड़ा पूरा विवाद क्या है, जानें यहां

Mumbai Jain Temple News: मुंबई के विले पार्ले इलाके में स्थित 90 साल पुराने पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर को 16 अप्रैल 2025 को बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) द्वारा ध्वस्त किए जाने के बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. एक तरफ बीएसी की एकतरफा कार्रवाई से जैन समाज नाराज है तो वहीं विपक्षी दल, राज्य की बीजेपी सरकार को घेर रहे हैं.

यह दिगंबर जैन मंदिर विले पार्ले ईस्ट के कांबलीवाड़ी में स्थित था और 1960 के दशक में बीएमसी की अनुमति से इसका जीर्णोद्धार किया गया था. हाल ही में बीएमसी ने इसे ‘अनधिकृत’ बताते हुए तोड़ने की कार्रवाई की, जबकि मंदिर ट्रस्ट का दावा है कि उन्होंने नियमितीकरण के लिए आवश्यक प्रस्ताव पहले ही बीएमसी को सौंप दिया था.

जैन समाज ने निकाला मार्च
मंदिर विध्वंस के बाद जैन समुदाय में गहरा आक्रोश फैल गया. हजारों की संख्या में समुदाय के लोगों ने 19 अप्रैल को साइलेंट मार्च निकाला, जिसमें मंत्री मंगलप्रभात लोढा और बीजेपी विधायक पराग अलवणी जैसे नेता भी शामिल हुए. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि बीएमसी ने बिना उचित सुनवाई और ट्रस्टियों को जवाब देने का मौका दिए मंदिर को गिराया, जो समुदाय की भावना के साथ खिलवाड़ है.

मंदिर तोड़ने के पीछे की क्या है लड़ाई?
दरअसल विलेपार्ले रेलवे स्टेशन के नज़दीक विलेपार्ले ईस्ट में जैन सोसाइटी है जिसमें ये 90 साल पुराना मंदिर है . समय समय पर इस मंदिर का जीर्णोद्धार होता रहा है . इसी सोसाइटी के मुख्य द्वार पर राम कृष्ण होटल है . राम कृष्ण होटल के कई हॉल रेस्टोरेंट सोसाइटी के अलग अलग गेट पर है . एक ही परिसर में जैन मंदिर भी है और राम कृष्ण बार एंड रेस्टोरेंट भी है जिसे लेकर कई बार विवाद होता रहा है .
राम कृष्ण होटल के मालिक द्वारा मंदिर के अवैध होने और तोड़क कार्यवाही की शिकायत बीएमसी से की गई .

बीएमसी की शिकायत पर मंदिर ट्रस्ट ने कोर्ट में याचिका की और 15 अप्रैल तक किसी भी कार्यवाही तक स्टे ले लिया . जैसे ही 15 अप्रैल की मियाद खत्म हुई, अगली सुबह बीएमसी ने श्रद्धालुओं को मंदिर से निकाला और तोड़ने की कार्रवाई शुरू कर दी. इससे नाराज जैन समाज के हज़ारों लोगो ने प्रदर्शन किया.

स्थानीय लोगों ने लगाया मिलीभगत का आरोप
वहीं स्थानीय लोगों का आरोप है कि एक रेस्टोरेंट मालिक, जो मंदिर के पास बार खोलना चाहता था. उसने मंदिर के कारण लाइसेंस नहीं मिलने पर बीएमसी अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर मंदिर को गिरवाया. विवाद के बढ़ने पर बीएमसी ने के-ईस्ट वार्ड के प्रभारी सहायक नगर आयुक्त नवनाथ घाडगे का तत्काल प्रभाव से तबादला कर दिया. इसके अलावा, बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंदिर के आगे के विध्वंस पर रोक लगा दी है, जिससे कानूनी लड़ाई भी तेज हो गई है .

जैन मंदिर तोड़े जाने का मामला इतना बढ़ गया अब इस मामले पर राजनीति भी हो रही है. 2022 के बाद से बीएमसी का चुनाव नहीं हुआ है. इस वक्त मुंबई महानगर पालिका में प्रशासनिक अधिकार है यानी महाराष्ट्र की देवेंद्र फडनवीस सरकार का बीएमसी कार्यप्रणाली पर अधिकार है. विपक्ष बीजेपी पर तोड़ने की कार्रवाई का आरोप लगा रही है तो विपक्ष का आरोप है को बीजेपी जमीन हड़पना चाहती है.

विपक्ष ने सरकार को घेरा
इस मामले को लेकर महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अबू आजमी ने कहा, “विलेपार्ले में जैन समाज के मंदिर के खिलाफ मुंबई महानगरपालिका की कार्रवाई सरासर नाइंसाफी है. हमारा देश एक धार्मिक देश है, धार्मिक स्थलों पर इस तरह की कार्रवाई से कानून व्यवस्था खराब होती है, सरकार को ऐसे मसलों के लिए अलग प्रक्रिया बनाने की जरूरत है.”

उनके अलावा संजय राउत ने कहा, “जैन मंदिर मुद्दे पर कहा यह सब एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा है. बीजेपी ने मंदिर तोड़ा, बीजेपी ने कार्रवाई की, बीजेपी विरोध कर रही है, ये सब राजनीति है.”

सत्ता पक्ष ने क्या कहा?
बीजेपी मुंबई के अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा, “जैन मंदिर के मुद्दे को हम कानूनी रास्ते से आगे ले जाएंगे. मोहंजी की तरफ से मैं मुख्य बात नहीं कर सकता, लेकिन जो बखेड़ा खड़ा करने की कोशिश की जा रही है, उसकी सच्चाई सामने आनी चाहिए.”

शिवसेना नेता संजय निरुपम ने कहा, “कहीं कोई शहर लेवल की करवाई होती है तो प्रधानमंत्री मोदी को इसकी जानकारी नहीं होती है. वैसे ही महानगरपालिका के स्तर पर कुछ हुआ तो सीएम देवेंद्र फडणवीस या राज्य सरकार को जानकारी नहीं थी. हालांकि जैसे ही मामला संज्ञान में आया हमने तुरंत करवाई की है. मामला कोर्ट में है, जो संबंधित अधिकारी हैं उनके निलंबन की करवाई सरकार करेगी. जैन मंदिर है वहां होटल वाला व्यक्ति शराब की दुकान खोलना चाह रहा था उसके तहत यह करवाई कि गई इसकी बात सामने आ रही है.”

क्या है जैन समुदाय की मांग?
यह मामला न केवल धार्मिक आस्था पर हमला माना जा रहा है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रिया के पालन पर भी सवाल उठा रहा है. जैन समुदाय की मांग है कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और मंदिर को पुनः स्थापित किया जाए.

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