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MP News: डॉ मोहन यादव कब हटाए जाएंगे?

सोशल मीडिया पर बवंडर है- वरिष्ठ मंत्रियों का विरोध, बस हटने ही वाले हैं, सच क्या है??

डॉ संतोष मानव
MP-मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (Mohan yadav) हटने वाले हैं। बस, आजकल की बात है। इसलिए हटेंगे कि वरिष्ठ मंत्रियों ने उनके नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया है। तो क्या सच में मोहन यादव मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद से हटाए जाएंगे? सच क्या है? समझ लीजिए।
सोशल मीडिया पर बवंडर है। YouTube पर सौ से ज्यादा वीडियो है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स पर भी ‘खबर लहरिया है’, जो झूम – झूमकर कह रही है कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव हटाए जाएंगे! YouTube पर जो वीडियोज हैं, उनके थंबनेल देखिएगा तो लगेगा कि कल अखबारों की हेडलाइन होगी- डॉ मोहन यादव हटाए गए। फलाना जी बने मुख्यमंत्री। पर सच में ऐसा है क्या?
बात कहां से उठी :
एक, मुरैना के किसी सज्जन ने बैनर लगा दिया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाओ। दो, किसी साधुवेशधारी ने वीडियो डाल दिया कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव हिंदू विरोधी हैं। इन्हें हटाया जाए। तीन, वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय यदा-कदा सरकार की कान उमेठने की कोशिश करते हैं। चार, किसी ने उड़ाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाराज हैं। ऐसी ही कुछ और बातें। वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने हाल ही में कहा था कि मुख्यमंत्री जी विदेश जाने से पहले अपने अधिकारियों से कह दीजिए कि हमें पेड़ दें। अधिकारी हमारी नहीं सुनते हैं। उन्होंने पहले कहा था – सारे काम उज्जैन में होंगे? नवजात मृत्यु दर के मामले में एक ही डाटा बार – बार रखा जा रहा है। उज्जैन और डाटा वाली बात एक अखबार की खबर है। बंद कमरे की बात है। इसलिए सौ प्रतिशत सही हो, कहना कठिन है। पेड़ वाली बात मंच से कहा गया था। कुछ YouTube वालों ने वीडियो बेचने/चलाने के लिए कहा कि मुख्यमंत्री आरक्षण की सीमा बढ़ाना चाहते हैं। इसलिए विरोध है।
आरक्षण का सच पता है?
पहले आरक्षण वाली बात जान लीजिए। डॉ मोहन यादव ने आरक्षण नहीं बढ़ाया। वह तो कांग्रेस थी, जो चुनाव जीतने के लिए खेल कर गई थी। खेल के बावजूद चुनाव नहीं जीत पाई। कांग्रेस जो खेल कर गई, वह झारखंड में हेमंत सोरेन दो बार खेल चुके। सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया। बिहार में वही खेल हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया। मध्यप्रदेश में कमलनाथ ने खेला, हाईकोर्ट ने रोक दिया। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सरकार फंसी हुई है। अब मुख्यमंत्री क्या करें? खेल तो कमलनाथ ने किया था। फंसे शिवराज सिंह चौहान और अब डॉ मोहन यादव।
मुख्यमंत्री तो एक्टिव हैं
खैर, मुद्दे पर आइए। डॉ मोहन यादव जा रहे हैं या नहीं? डॉ मोहन यादव कहीं नहीं जा रहे हैं। वे जमे हुए हैं। असम के गुवाहाटी में इंवेस्टर्स समिट में हैं। सात-आठ अक्टूबर को भोपाल में आयोजित कलेक्टर्स कान्फ्रेंस में शामिल होंगे। वे फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहे हैं। रिकार्ड बने या नहीं बने, लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने के आसार हैं। इसलिए राज्य को औद्योगिक राज्यों की सूची में आगे रखने में लगे हुए हैं। दनादन निवेश जुटा रहे हैं। संघ की नीतियों को बारीकी से समायोजित कर रहे हैं। उन पर कोई दाग़ अभी तक नहीं लगा है। ऐसे में संघ क्यों नाराज़ होगा भला? प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, नितिन गडकरी और जेपी नड्डा मंच से मुख्यमंत्री की तारीफ कर रहे हैं। किसी के बैनर लगा देने या किसी बयानवीर के हिंदू विरोधी कह देने से मुख्यमंत्री नहीं बदला करते। रही वरिष्ठ नेताओं की बात तो नरेंद्र सिंह तोमर को भरपूर सम्मान मिल रहा है। मुख्यमंत्री समय – समय पर मिलकर उनसे सलाह करते हैं। प्रहलाद सिंह पटेल, राकेश सिंह का कोई बयान नहीं है। मंत्रियों को छोड़िए, ज्योतिरादित्य सिंधिया, गोपाल भार्गव सहित किसी वरिष्ठ नेता का भी कोई बयान नहीं है। फिर विद्रोह की बात कहां से आई? रही बात कैलाश विजयवर्गीय की, तो बकौल डॉ मोहन यादव वे बड़े भाई हैं। मुख्यमंत्री उन्हें मंच से भाई साहब कहते भी हैं। उनकी बात का क्या बुरा मानना?? निष्कर्ष यह कि मुख्यमंत्री अंगद की तरह जमे हुए हैं। सोशल मीडिया पर जो भी चल रहा है- वह उड़ी – उड़ाई है। सुनी-सुनाई है। बे-सिर पैर की है। और कुछ नामुरादों की खुन्नस है।

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