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MP news: अटक कर भटक गए हेमंत खंडेलवाल

MP-MLA को बनाना पड़ गया पदाधिकारी

दिनेश निगम ‘त्यागी’
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल द्वारा लगभग सवा तीन माह बाद घोषित प्रदेश कार्यकारिणी को लेकर ‘कहीं खुशी-कहीं गम’ के हालात हैं। टीम पहले की तुलना में युवा है। वरिष्ठाें और युवाओं के बीच समन्वय बनाने की कोशिश की गई है। टीम के सिर्फ दो पदािधकारी प्रभुराम चौधरी और रणवीर सिंह रावत ही 60 से ज्यादा उम्र के बताए जा रहे हैं। शेष पदािधकारियों में आधे की उम्र 50 से ज्यादा और आधे की 50 से कम है। अर्थात संतुलन के लिए फिफ्टी- फिफ्टी का फार्मूला अपनाया गया है। बावजूद इसके खंडेलवाल टीम के गठन में गाइडलाइन पर अडिग नहीं रह पाए। टीम में सांसदों-विधायकों को शामिल नहीं किए जाने की बात की जा रही थी लेकिन यह क्राइटेरिया टूट गया। कुछ नेता सीधे उपाध्यक्ष और महामंत्री जैसे पद पाने में सफल रहे, जबकि कई मंत्री यथावत रहे। टीम में अजा-जजा और पिछड़ों को प्रतिनिधित्व तो मिला लेकिन पिछली टीम की तुलना में वेरायटी कम रही। असंतुलन की वजह से ही कुछ समाजों और अंचलों की ओर से विरोध के स्वर उभरे और पत्र लिख कर विरोध दर्ज कराया। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के खास समर्थक टीम में नहीं लिए गए लेकिन उनकी टीम के एक दर्जन से ज्यादा पदाधिकारियों को फिर जगह मिली है।
दो सांसदों-दो विधायकों को देनी पड़ी जगह
प्रदेश अध्यक्ष खंडेलवाल से जुड़े सूत्र बता रहे थे कि इस बार कार्यकारिणी में सांसदों-विधायकों को पदाधिकारी नहीं बनाया जाएगा, इनके स्थान पर अन्य नेताओं को जगह मिलेगी, लेकिन इस पर कायम नहीं रहा जा सका। लोकसभा सदस्य लता वानखेड़े और राज्यसभा सदस्य सुमेर सिंह सोलंकी को महामंत्री बना दिया गया। इनके अलावा विधायक प्रभुराम चौधरी और मनीषा सिंह को उपाध्यक्ष बनाया गया है। टीम में इन्हें पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति- जनजाति और महिला वर्ग से शामिल होना बताया जा रहा है, जबकि इस वर्ग में सांसदों-विधायकों से भी ज्यादा संगठन में सक्रिय कई नेता हैं। वे लगातार पार्टी कार्यक्रमाें में हिस्सा ले रहे हैं। इन्हें पदाधिकारी बना कर इन वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया जा सकता था।
पहली बार ही बना दिए गए महामंत्री, उपाध्यक्ष
भाजपा का सामान्य नियम है कि किसी नेता को सीधे प्रदेश महामंत्री और उपाध्यक्ष का दायित्व नहीं सौंपा जाता। इस बार इस नियम का भी पालन नहीं किया गया। टीम में कई ऐसे नेताओं को इन पदों का दायित्व मिल गया, जो निचले पदों पर नहीं रहे, जबकि रजनीश अग्रवाल जैसे नेता संगठन में लगातार रहने के बावजूद मंत्री ही बने रहे गए। अग्रवाल के पास हमेशा संगठन के प्रमुख दायित्व रहते हैं। वे कार्यालय में भी समय देते हैं और सफल ढंग से प्रमुख कार्य निबटाते हैं लेकिन उन्हें महामंत्री अथवा उपाध्यक्ष बनने का अवसर नहीं मिला। यह स्थिति तीन अन्य मंत्रियों सहित कुछ अन्य नेताओं की भी है।
हितानंद की सलाह को मिला ज्यादा महत्व
भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में हर प्रमुख नेता के समर्थकों को जगह मिली है लेकिन संगठन महामंत्री हितानंद की सलाह को सबसे ज्यादा महत्व मिला है। टीम में आरएसएस के कोटे से शैलेंद्र बरुआ, श्याम महाजन, नंदिता पाठक, सुरेंद्र शर्मा और जसपाल चावड़ा को जगह मिली है। इनमें बरुआ, महाजन और चावड़ा संगठन मंत्री रह चुके हैं। इनके अलावा कांतिदेव सिंह, गौरव रणदिवे और लोकेंद्र पाराशर को भी हितानंद के ही कोटे से माना जा रहा है। दूसरे नंबर पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के 3 समर्थक प्रभुलाल जाटव, राहुल कोठारी और आशीष अग्रवाल पदाधिकारी बने हैं। शिवराज सिंह चौहान कैंप से राजेंद्र सिंह, बबिता परमार और ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे से प्रभुराम चौधरी,रणवीर रावत को स्थान मिला है। टीम में नरेंद्र सिंह तोमर और वीडी शर्मा समर्थक दिखाई नहीं पड़ते।
सामान्य वर्ग के नेता पड़े सब पर भारी
भाजपा में आम तौर पर पिछड़े वर्ग काे ज्यादा प्रतिनिधित्व दिया जाता है लेकिन इस बार की टीम में सामान्य वर्ग सब पर भारी पड़ा है। इस वर्ग से 14 नेताओं को जगह मिली है। दूसरे नंबर पर पिछड़ा वर्ग के 6, आदिवासी वर्ग से 3 और दलित वर्ग से सिर्फ 2 नेताओं को ही पदािधकारी बनाया गया है। इससे पहले की टीम में वैरायटी ज्यादा थी। जैसे पिछड़े, आदिवासी और दलित वर्ग से अलग-अलग समूह के नेताओं को स्थान मिला था, इस बार ऐसा नहीं हो सका। अचंलवार नजर दौड़ाएं तो मालवा-निमाड़ से सबसे ज्यादा 11 पदािधकारी बने हैं। दूसरे नंबर पर मध्य भारत और चंबल-ग्वालियर अंचल से 5-5 पदाधिकारी बनाए गए हैं। बुंदेलखंड और विंध्य अंचल सबसे पीछे हैं। इसकी वजह से इन अंचलों से विरोध के स्वर उभर रहे हैं।
गुर्जर-लोधी नाराज, पत्र लिख कर जताया विरोध
खंडेलवाल की नई टीम के ऐलान के बाद विंध्य और बुंदेलखंड अंचल से विरोध के स्वर उभरे हैं। लोधी और गुर्जर समाज के नेताओं ने अपने समाज को प्रतिनिधित्व न दिए जाने का मामला पत्र लिखकर उठाया है। ये पत्र सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया है। टीकमगढ़ पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष सूरज सिंह लोधी ने फेसबुक पर लिखा कि सालों से भाजपा के लिए चप्पल घिस रहे लोधी समाज के नेताओं को प्रदेश सूची में स्थान न देकर आराम करने दिया। उसके लिए प्रदेश संगठन का धन्यवाद, घिसते रहो। दूसरी ओर सकल गुर्जर समाज के प्रदेश संयोजक रमेश गुर्जर के नाम से जारी पत्र में कहा गया है कि उनके समाज को स्थान न दिया जाना गुर्जर समाज का सार्वजनिक अपमान है। गुर्जर समाज को न जिले में सम्मान मिला और न प्रदेश की कमेटी में। इससे साफ है कि भाजपा को गुर्जर समाज की जरूरत नहीं है। अगर भाजपा गुर्जर समाज का यूं ही अपमान करेगी तो समाज इसका जमकर विरोध करेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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