MP में मोहन यादव कुछ बड़ा करने वाले हैं, सब पक गया है -बाहर आने का सभी को है इंतजार
बिहार में मोहन का घेरा डालो - डेरा डालो 17 से, होगी असली परीक्षा

दिनेश निगम ‘त्यागी’
वीडी के लिए यह क्या टिप्पणी कर बैठे पूर्व विधायक….!
भाजपा के एक पूर्व विधायक गुड्डन पाठक पहले पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री पर टिप्पणी को लेकर चर्चा में आए थे और अब पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को कटघरे में खड़ा कर दिया। वीडी की तुलना उन्होंने भारतीय इतिहास के सनकी सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक से कर डाली। पाठक ने एक्स पर लिखा कि जैसे सुल्तान ने चमड़े के सिक्के चलवा कर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया था, उसी तरह सुल्तान बनने पर आपने छतरपुर में चमड़े के सिक्के चलवा कर अपना नाम अमर करवा लिया। यह पोस्ट उन्होंने वीडी के जन्मदिन पर एक फोटो शेयर करते हुए डाली। लिखा, श्रीमान विष्णु जी सच्ची मुस्कान वाली आपके साथ की ये आखिरी तस्वीर है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भी अपनी खूब मुलाकातें हुईं मगर उनमें निश्चल मुस्कान नहीं उभर पाई क्योंकि हर मुलाकात में हमने छतरपुर जिले की संगठन की समस्याओं से आपको अवगत कराया और मात्र एक समाधान भी सुझाया लेकिन आप तो चमड़े के सिक्के चलवा रहे थे। इस पर 3 साल से आपकी तरफ से अपना वन टू वन विचार विमर्श लंबित है। अंत में पाठक ने लिखा की उम्मीद है कि कि अगले जन्मदिन के पूर्व हम आप त्रुटियों को ठीक करने की सहमति बनाने में सफल होंगे। टीप से साफ कि पूर्व विधायक में वीडी को लेकर बड़ी पीड़ा है लेकिन उन्होंने यह टिप्पणी उन्होंने तब लिखी जब वीडी प्रदेश अध्यक्ष नहीं हैं।
मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरों ने उड़ाई नेताओं की नींद….
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के दिल्ली दौरे राजनीतिक हल्कों में चर्चा का प्रमुख मुद्दा हैं। इन दौरों ने कई नेताओं की नींद भी उड़ा रखी है। नवरात्रि के पहले तक इन्हें प्रदेश सरकार में राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़ कर देखा जा रहा था। कई विश्लेषकों ने घोषणा कर डाली थी कि नवरात्रि के दौरान ये दोनों काम हो जाएंगे। मंत्रियों की धड़कन इसलिए बढ़ी थी कि उन्हें हटा तो नहीं दिया जाएगा जबकि कुछ नेता नियुक्तियों के इंतजार में दिल थाम कर बैठे थे। इस दौरान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी डॉ यादव की 2-3 मुलाकात हुई थी, लेकिन न नियुक्तियां हुईं और न ही मंत्रिमंडल विस्तार। अब भी इसका इंतजार हो रहा है। चर्चा यह भी थी कि चूंकि उनका बंगला दिल्ली में हो गया है और मप्र में दौरों और अन्य व्यस्तताओं के कारण समय नहीं मिलता इसलिए दिल्ली जाकर बंगले में वे फाइलें निबटाते हैं। दिल्ली में मुख्यमंत्री केंद्रीय मंत्री अमित शाह से ही पांच मुलाकातें कर चुके हैं। इसे देखते हुए प्रदेश में कुछ बड़ा होने की अटकलें लगाई जाने लगी हैं। कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला दिल्ली तक गूंज रहा है। भाजपा और सरकार बचाव की मुद्रा में हैं। इसे लेकर डाक्टर और दवा विक्रेता भी आंदोलित हैं। यह मामला प्रदेश में कुछ बड़ा होने का कारण बन सकता है।
भाजपा में वापसी करेंगे वीडी द्वारा हटाए संगठन मंत्री….!
प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल कुछ नया करने के मूड में दिखते हैं। उन्होंने पहले ही तय कर लिया है कि उनकी टीम में सांसदों, विधायकों के साथ नेताओं के परिजनों को जगह नहीं दी जाएगी। अब खबर है कि वे संगठन मंत्रियों की उस व्यवस्था को वापस लाने की तैयारी में हैं, जिन्हें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा द्वारा हटा दिया गया था। सितंबर 2021 में पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने शैलेंद्र बरुआ (जबलपुर और होशंगाबाद), आशुतोष तिवारी (भोपाल और ग्वालियर), जितेंद्र लिटोरिया (उज्जैन), श्याम महाजन (रीवा और शहडोल), जयपाल चावड़ा (इंदौर) और केशव सिंह भदौरिया (सागर और चंबल) को संभागीय संगठन मंत्री पद से हटाकर प्रदेश कार्यसमिति में सदस्य बनाया था। इन संगठन मंत्रियों में केशव भदौरिया को छोड़कर 5 नेताओं को राज्य सरकार ने मंत्री का दर्जा देकर निगम-मंडलों में एडजस्ट किया था। कहा जा रहा है कि अब भाजपा की नई प्रदेश कार्यकारिणी में इन पुराने संगठन मंत्रियों की वापसी हो सकती है। खंडेलवाल को प्रदेश अध्यक्ष बने तीन माह से अधिक समय गुजर चुका है। उन्हें 2 जुलाई को अध्यक्ष बनाया गया था। तब से वे पूर्व अध्यक्ष वीडी की टीम के साथ काम कर रहे हैं। खबर है कि भाजपा की नई प्रदेश कार्यकारिणी दिवाली से पहले घोषित हो सकती है।
दिग्विजय- उमंग की भेंट महज दिखावटी तो नहीं….!
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद उमंग सिंघार ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के बंगले जाकर चौंकाया था, अब वहीं काम दिग्विजय ने उमंग के बंगले जाकर कर दिया। इनकी मुलाकातें चौंकाने वाली इसलिए मानी जा रही हैं क्योंकि पहले उमंग की बुआ स्वर्गीय जमुना देवी की दिग्विजय के साथ कभी पटरी नहीं बैठी और उमंग भी उन्हें पसंद नहीं करते। वे दिग्विजय पर कई गंभीर आरोप लगा चुके हैं। यह बात अलग है कि दिग्विजय ने सार्वजनिक तौर पर न कभी जमुना देवी की आलोचना की और न ही उमंग की। उमंग के आरोपों पर उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि इस बारे में पार्टी नेतृत्व निर्णय लेगा। गंभीर आरोपों के बावजूद पार्टी ने उमंग के खिलाफ कोई एक्शन तो लिया ही नहीं बल्कि नेता प्रतिपक्ष की जवाबदारी सौंप दी थी। उमंग को राहुल गांधी कैम्प का माना जाता है। हालांकि कहा जाता है कि राजनीति में दोस्ती-दुश्मनी स्थाई नहीं होती। दोस्ती कभी भी दुश्मनी में बदल सकती है और दुश्मनी दोस्ती में। बावजूद इसके राजनीतिक हलकों में इनकी मुलाकातों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। जानकारों का कहना है कि दिग्विजय-उमंग में मतभेद इतने गहरे हैं कि इनके बीच पटरी बैठ ही नहीं सकती। बताया गया कि दिग्विजय आदिवासी जननायक टंट्या मामा भील की फिल्म को लेकर सिंघार के बंगले पहुंचे थे।
बिहार के यदुवंशियों को रिझाने जाएंगे ‘मोहन’….
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है और भाजपा के लिए कुछ करने की भी। यह अवसर दिया है बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों ने। पार्टी नेतृत्व ने मोहन को बिहार में यादव बाहुल्य विधानसभा सीटों में जीत दिलाने की जवाबदारी सौंपी है। चुनौती इसलिए बड़ी है क्योंकि इस राज्य में यादव समाज पर लालू यादव और उनके परिवार का असर है। ऐसे माहौल में मोहन को बिहार के यदुवंशियों को रिझा कर भाजपा के समर्थन में लाने की चुनौती होगी। इसमें वे कितना सफल होते हैं, इस पर सभी की नजर होगी। हालांकि मध्य प्रदेश भाजपा के प्रदेश प्रभारी डॉ महेंद्र सिंह का बिहार में डेरा है। संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा को बड़ी जिम्मेदारी मिली है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, विश्वास सारंग, पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को भी जवाबदारी सौंपी गई है। पार्टी के अन्य नेताओं को भी चुनाव में भेजा जाएगा, पर सबकी नजर मुख्यमंत्री डॉ यादव पर ही होगी। उनकी ताबड़तोड़ सभाओं और रोड शो के कार्यक्रम बन रहे हैं। खबर है कि वे 17 अक्टूबर को बिहार जा सकते हैं। इससे पहले वे 14 सितंबर को बिहार में यादव समाज के कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। इससे ही तय हो गया था कि बिहार में यदुवंशियों को रिझाने के लिए उनका उपयोग किया जाएगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)