मोहन भागवत का विजयादशमी संबोधन: सामाजिक शांति और आत्मनिर्भर भारत पर जोर

नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने विजयादशमी के अवसर पर नागपुर के रेशमबाग मैदान में आयोजित संघ रैली में देश और दुनिया की मौजूदा सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत में और बाहर कुछ ताकतें सक्रिय हैं, जो देश में अशांति फैलाने का प्रयास कर रही हैं। ऐसे प्रयासों को सफल होने से रोकने के लिए समाज और शासन दोनों को सजग रहने की आवश्यकता है।
वैश्विक घटनाओं और आंतरिक सजगता पर जोर
भागवत ने श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों में हाल की अशांत घटनाओं और सरकारों के गिरने का हवाला देते हुए चेताया कि बाहरी ताकतें तब लाभ उठाती हैं जब शासन और समाज के बीच दूरी बढ़ती है और सक्षम नेतृत्व नहीं होता। उन्होंने स्पष्ट किया कि परिवर्तन केवल लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीकों से ही आना चाहिए, और कानून को हाथ में लेना या तुच्छ कारणों से हिंसा करना देश और समाज दोनों के लिए घातक है।
प्रशासन और नागरिकों से अपील
संघ प्रमुख ने प्रशासन से निष्पक्षता और कानून के पालन के साथ कार्य करने का आग्रह किया, ताकि जनता का भरोसा बना रहे। साथ ही उन्होंने देश के युवाओं और सज्जन समाज से आग्रह किया कि वे सामाजिक शांति और व्यवस्था बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभाएं। उनका कहना था कि जब कानून व्यवस्था कमजोर हो जाती है, तब सजग नागरिकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।
आर्थिक असमानता और आत्मनिर्भर भारत
भागवत ने वैश्विक आर्थिक व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा कि आज आर्थिक शक्ति कुछ मुट्ठीभर लोगों के हाथ में केंद्रित हो गई है और अमीर-गरीब के बीच की खाई लगातार बढ़ रही है। उन्होंने इसे खतरनाक बताते हुए भारत में स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को समाधान के रूप में प्रस्तुत किया। उनका कहना था कि भारत को अपनी शर्तों पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार करना चाहिए, मजबूरी में नहीं, और अमेरिकी टैरिफ देश के लिए चुनौती नहीं बनेंगे।
हाल की सुरक्षा चुनौतियों पर टिप्पणी
उन्होंने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि इस घटना ने देश को आहत किया और यह भी स्पष्ट किया कि वैश्विक मंच पर कौन देश भारत के सच्चे मित्र हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोहन भागवत के भाषण को प्रेरणादायक बताया। उन्होंने X पोस्ट में लिखा कि मोहन भागवत का संबोधन प्रेरणादायक है और RSS के राष्ट्र निर्माण में योगदान तथा भारत की अंतर्निहित क्षमता को उजागर करता है, जो पूरे विश्व को लाभ पहुंचाएगी।