
Bihar politics, Rahul Gandhi popularity: बिहार की राजनीति लंबे समय से नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार जैसे दिग्गज नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती रही है. एक ओर जहां मोदी ने अपने करिश्माई नेतृत्व से देशभर के युवाओं को प्रभावित किया है, वहीं नीतीश कुमार को बिहार में सुशासन बाबू के नाम से जाना जाता है, लेकिन एक हालिया सर्वे और जमीनी रिपोर्टों के आधार पर सामने आ रहा है कि बिहार के युवाओं की प्राथमिकता अब बदल रही है. उनकी पहली पसंद अब राहुल गांधी बनते जा रहे हैं. विज्ञापन हाल ही में हुए पोल ट्रैकर सर्वे में राहुल गांधी युवाओं के बीच सबसे लोकप्रिय नेता बनकर उभरे हैं. इस सर्वे में युवाओं से पूछा गया कि उनका पसंदीदा नेता कौन है? इस पर 47 फीसदी युवाओं ने राहुल गांधी, 39 फीसदी ने पीएम मोदी और बाकी 14 फीसदी ने अन्य नेताओं का नाम लिया.
हाल ही में हुए पोल ट्रैकर सर्वे में राहुल गांधी युवाओं के बीच सबसे लोकप्रिय नेता बनकर उभरे हैं. इस सर्वे में युवाओं से पूछा गया कि उनका पसंदीदा नेता कौन है? इस पर 47 फीसदी युवाओं ने राहुल गांधी, 39 फीसदी ने पीएम मोदी और बाकी 14 फीसदी ने अन्य नेताओं का नाम लिया.
युवा सोच में बदलाव क्यों?
बिहार की राजनीति परंपरागत रूप से जातिगत समीकरणों और क्षेत्रीय समीकरणों पर आधारित रही है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में युवाओं में मुद्दों को लेकर एक नई चेतना आई है. रोजगार, शिक्षा, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे अब जाति और धर्म से ऊपर उठ चुके हैं. राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा और ‘न्याय’ जैसे घोषणाओं से युवाओं को सीधे प्रभावित किया है. वे खुद को युवा हितैषी नेता के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, और सोशल मीडिया के जरिए सीधे युवाओं तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं.
मोदी और नीतीश को क्यों टक्कर मिल रही है?
नरेंद्र मोदी की छवि अभी भी राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत है, लेकिन बिहार के युवा अब उन वादों की समीक्षा कर रहे हैं जो 2014 और 2019 में किए गए थे- जैसे 2 करोड़ नौकरियों का वादा. दूसरी तरफ नीतीश कुमार, जो कभी विकास पुरुष के तौर पर देखे जाते थे, अब युवाओं के बीच ‘थके हुए नेता’ की छवि में आते जा रहे हैं. बार-बार गठबंधन बदलने और राज्य में ठहराव की राजनीति ने उनकी विश्वसनीयता पर असर डाला है.
राहुल गांधी को बढ़त क्यों मिल रही है?
राहुल गांधी की छवि में पिछले कुछ वर्षों में बड़ा बदलाव आया है. जहां पहले उन्हें ‘राजनीतिक तौर पर अपरिपक्व’ समझा जाता था, अब वे संघर्षशील और जनता से जुड़ने वाले नेता के रूप में उभर रहे हैं. उनकी पदयात्राएं, युवाओं से संवाद, शिक्षा व रोजगार जैसे मुद्दों पर लगातार बात करना और भाजपा पर सीधा हमला करना- यह सब युवा मतदाताओं को आकर्षित कर रहा है.
सोशल मीडिया और युवाओं की मानसिकता
सोशल मीडिया ने राहुल गांधी की छवि को चमकाने में बड़ी भूमिका निभाई है. उनके इंटरव्यू, छात्रों से बातचीत और व्यंग्यात्मक टिप्पणियां तेजी से वायरल होती हैं और युवाओं के मन में उनकी छवि को मजबूत करती हैं. वहीं भाजपा की आक्रामक सोशल मीडिया रणनीति अब उतनी प्रभावी नहीं दिख रही, खासकर जब वास्तविक मुद्दों की बात आती है.
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राहुल गांधी का उभरना एक बड़ा राजनीतिक संकेत
राहुल गांधी का उभरना एक बड़ा राजनीतिक संकेत बिहार जैसे राज्य में युवाओं की पहली पसंद के रूप में राहुल गांधी का उभरना एक बड़ा राजनीतिक संकेत है. यह बदलाव न सिर्फ वर्तमान नेताओं के लिए चेतावनी है, बल्कि आने वाले चुनावों की दिशा भी तय कर सकता है. यदि राहुल गांधी इस विश्वास को बनाए रखने में सफल रहे और युवाओं से जुड़ी समस्याओं को प्राथमिकता दी, तो बिहार की राजनीति में नया मोड़ निश्चित है.