Lal Kunwar: वो तवायफ जिसने मुगल सम्राट जहांदार शाह की सत्ता और खजाने को डगमगा दिया
Lal Kunwar: इम्तियाज महल या लाल कुंवर का मुगल बादशाह जहांदार शाह के जीवन पर बहुत नियंत्रण था। कई इतिहासकार लाल कुंवर को शाह के पतन के लिए जिम्मेदार मानते हैं।

Lal Kunwar: लाल कुंवर, जिनका जन्म 1691 में दिल्ली के लालाजीनगर में हुआ था, मुगल सम्राट जहांदार शाह की प्रिय संगिनी और बाद में उनकी पत्नी बनीं। उनका असली नाम इम्तियाज महल था, और वे खसूसियत खान की पुत्री थीं, जो प्रसिद्ध संगीतकार मियां तानसेन के वंशज माने जाते थे। लाल कुंवर(Lal Kunwar) एक कुशल नर्तकी और गायिका थीं, जिनकी कला ने जहांदार शाह को मोहित कर दिया। जहांदार शाह ने उन्हें अपनी पत्नी बनाकर ‘इम्तियाज महल’ की उपाधि दी।
जहाँदार शाह का शासन विलासिता और ऐयाशी के लिए जाना जाता है। लाल कुंवर का प्रभाव इतना था कि उसने अपने परिवार के सदस्यों को उच्च पदों पर नियुक्त किया।, जिससे दरबार में असंतोष फैल गया। उनके भाई नियामत खान को मुल्तान का सूबेदार बनाया गया।
जहांदार शाह और Lal Kunwar की जोड़ी
जहांदार शाह और लाल कुंवर Lal Kunwar की जोड़ी शराब और संगीत में डूबी रहती थी। एक घटना के अनुसार, एक रात दोनों इतने नशे में थे कि जहांदार शाह बैलगाड़ी में ही बेहोश हो गए और सुबह तक नहीं मिले। जहांदार शाह की चाची, ज़ीनत-उन-निस्सा, लाल कुंवर को पसंद नहीं करती थीं और दरबार में उनके प्रभाव का विरोध करती थीं। लाल कुंवर के कहने पर जहांदार शाह ने अपनी चाची से मिलना बंद कर दिया।
1713 में जहाँदार शाह को उसके भतीजे फर्रुखसियर ने पराजित कर सलीमगढ़ में कैद कर लिया। जहाँदार शाह की वहीं हत्या कर दी गई (11 फरवरी 1713)। लाल कुंवर को सुहागपुरा में निर्वासित जीवन बिताना पड़ा, जहां 17 जून 1759 को उनका निधन हुआ।
दिल्ली में स्थित ‘लाल बंगला’ और विवाद Lal Kunwar
दिल्ली में स्थित ‘लाल बंगला’ को लाल कुंवर (Lal Kunwar) और उनकी पुत्री बेगम जान का मकबरा माना जाता है। हालांकि, इस पर विवाद है, क्योंकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह मकबरा शाह आलम II की मां और बेटी का है। लाल कुंवर की कहानी एक साधारण तवायफ से मुगल साम्राज्य की बेगम बनने और फिर पतन तक की यात्रा है, जो इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज है।