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बिहार

कन्हैया जी मृदभाषी और मिलनसार थे

जेपी आंदोलन के सिपाही कन्हैया जी की याद में शोकसभा

आरा से जितेंद्र कुमार की रिपोर्ट

आरा। जे.पी. आंदोलन के सेनानी कन्हैया जी अधिवक्ता की याद में शोकसभा का आयोजन लोकनायक जयप्रकाश स्मारक स्थित मुक्त कला मंच के पास किया गया। कन्हैया जी 1974 के छात्र आंदोलन के प्रखर सेनानी थे। 1975 के आपातकाल के दौरान पूरे समय तक मीसाबंदी के रूप में वे आरा जेल में नजरबंद रहे थे। लगभग 10 माह से वे कैंसर से पीड़ित थे। विगत 14 मई को संध्या 4 बजे उनका निधन हो गया था। लोकनायक जयप्रकाश स्मारक संस्थान द्वारा आयोजित शोकसभा की अध्यक्षता पूर्व विधायक रामाकांत ठाकुर ने तथा संचालन संस्थान के महासचिव सुशील कुमार ने किया। शोकसभा में जे पी सेनानी और शहर के प्रबुद्धजन बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। इस अवसर पर डॉ.नीरज सिंह ने कहा कि उनकी पहली जेल यात्रा 12 अप्रैल 1974 को हुई थी, उस समय कन्हैया जी भी उनके साथ गिरफ्तार हुए थे। कन्हैयाजी मृदभाषी और मिलनसार व्यक्ति थे। सुशील तिवारी ने जे पी आन्दोलन में उनके साथ बिताये दिनों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। अन्य वक्ताओं और श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में गुलाबचंद प्रसाद, बैजनाथ यादव, बैजनाथ पासवान, अशोक मानव, राजेन्द्र मनियारा, अरूण श्रीवास्तव, राना प्रताप सिंह, प्रह्लाद सिंह, हाकिम प्रसाद, राजेन्द्र त्यागी, अनिल सिनहा, उमेश सिंह, अरूण प्रसाद, किशुन यादव, विश्वनाथ पांडे, सरदार गुरूचरण सिंह आदि हैं। अध्यक्षीय भाषण में पूर्व विधायक रामाकांत ठाकुर ने कहा कि हमलोग भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में शामिल हुए थे और आज भ्रष्टाचार शिखर पर पहुंच गया है। कन्हैया जी एक मिलनसार और सहज मित्र थे, उनका जाना हम सब के लिए अपूरणीय क्षति है। सभा के अंत में उपस्थित सभी साथियों ने दो मिनट मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की। उसके बाद कन्हैया जी अमर रहे नारा भी लगाया गया।

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