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भारतीय वायुसेना का मिग-21: 60 साल बाद आखिरी उड़ान

भारतीय वायुसेना का सबसे प्रतिष्ठित मिग-21 शुक्रवार को चंडीगढ़ में अपनी अंतिम उड़ान भरकर विदा ले रहा है। छह दशक तक देश की हवाई शक्ति के रूप में सेवा देने वाले इस सुपरसोनिक जेट को भावनात्मक अंदाज में विदाई दी जा रही है। बुधवार को हुए फुल ड्रेस रिहर्सल में मिग-21 ने जगुआर और सूर्य किरण एरोबेटिक टीम के साथ फॉर्मेशन उड़ान भरी। आकाश गंगा स्काइडाइवर्स ने 4,000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर समारोह में रोमांच बढ़ाया।

इस ऐतिहासिक उड़ान का नेतृत्व स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा करेंगी, जबकि वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह मिग-21 के कॉकपिट में बैठेंगे। समारोह में 23वें स्क्वाड्रन ‘पैंथर्स’ की उड़ान और मिग-21 के साथ स्वदेशी तेज़स का ‘क्लाउड’ फॉर्मेशन भारतीय वायु शक्ति का प्रतीक बनेगा।

विदाई के दौरान छह मिग-21 विमानों को वॉटर कैनन की सलामी दी जाएगी और कोब्राज व पैंथर्स स्क्वाड्रन को औपचारिक रूप से डिकमीशन किया जाएगा। समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, तीनों सेनाओं के प्रमुख और छह पूर्व वायुसेना प्रमुख मौजूद रहेंगे।

मिग-21 का इतिहास गौरवशाली है। 1963 में सोवियत संघ से आए इस विमान ने 1965 और 1971 के युद्धों, 1999 के कारगिल युद्ध और 2019 के बालाकोट स्ट्राइक में निर्णायक भूमिका निभाई। हालांकि, इसके सुरक्षा रिकॉर्ड में कमजोरी रही और 400 से अधिक हादसे हुए, जिससे इसे ‘फ्लाइंग कॉफिन’ और ‘विडो मेकर’ जैसे उपनाम मिले। अब मिग-21 को इतिहास में दर्ज किया जा रहा है, लेकिन इसकी वीरता हमेशा याद रहेगी।

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