भारत-पाक मैच विवाद: ओवैसी से लेकर ठाकरे तक, नेताओं ने BJP पर साधा निशाना

नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के बीच रविवार को दुबई में होने वाले एशिया कप 2025 के मैच ने सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि राजनीति और भावनाओं का बड़ा मुद्दा बना दिया है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा 26 नागरिकों की हत्या के बाद भी इस मैच को खेलने के फैसले को लेकर विपक्षी नेता केंद्र सरकार पर हमला बोल रहे हैं।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलने से इंकार करना चाहिए था। उन्होंने पूछा, “जब आपने कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते, बातचीत और आतंकवाद साथ नहीं चल सकते, तो फिर बीसीसीआई को एक क्रिकेट मैच से कितनी कमाई होगी—2,000 करोड़, 3,000 करोड़? क्या हमारे 26 नागरिकों की जिंदगी की कीमत पैसों से कम है?” ओवैसी ने सीधे प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि देश को यह जानने का हक है कि क्या आर्थिक लाभ के लिए राष्ट्रीय भावनाओं को ताक पर रखा जा रहा है।
आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी केंद्र पर तीखा हमला किया। दिल्ली के आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पहलगाम में मारे गए लोगों की विधवाओं का अपमान हुआ है। उन्होंने पाकिस्तान के सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला दिया, जिसमें पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिफ मुनीर को भारतीय तिरंगे के रंगों में दिखाया गया। भारद्वाज ने इसे भारत की भावनाओं का मज़ाक बताया।
आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी पीएम की भूमिका पर सवाल उठाया और X पर पोस्ट में लिखा, “पूरे देश की भावनाएं विरोध में हैं, फिर पाकिस्तान के साथ मैच क्यों कराया जा रहा है? क्या यह भी ट्रम्प या किसी विदेशी दबाव के कारण है?” उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से उन क्लबों, पबों और रेस्तरां को बेनकाब करने का आदेश दिया, जो मैच की स्क्रीनिंग कर रहे हैं।
महाराष्ट्र की शिवसेना (UBT) भी पीछे नहीं रही। उद्धव ठाकरे ने पूरे राज्य में ‘सिंदूर विरोध’ प्रदर्शन की घोषणा की। उन्होंने कहा, “जब तक आतंकवाद रुकता नहीं, पाकिस्तान के साथ कोई संबंध नहीं होना चाहिए। यह क्रिकेट मैच हमारे सैनिकों की कुर्बानी और राष्ट्रीय भावनाओं का अपमान है।” ठाकरे ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह देशभक्ति के नाम पर व्यावसायिक लाभ कमा रही है। उन्होंने देशभक्तों से अपील की कि वे मैच का बहिष्कार करें और महिला कार्यकर्ता सिंदूर इकट्ठा कर प्रधानमंत्री कार्यालय भेजें।