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पिता ने फीस भरने को अपनी जमीन तक बेच दी, बेटे ने IPS बनकर बढ़ाया मान

आईपीएस नूरूल हसन का जन्म उत्‍तर प्रदेश के पीलीभीत के छोटे से गांव में हुआ था। पिता जी खेती करते थे। वह बेहद गरीबी में पले बढ़े। स्कूल की छत टपकती थी तो घर से बैठने के लिए कपड़ा लेकर जाते थे।उन्‍होंने ब्लॉक के गुरुनानक हायर सेकेंडरी स्कूल, अमरिया से 67 प्रतिशत के साथ दसवीं की और स्‍कूल टॉपर बने। उसके बाद उनके पापा की चतुर्थ श्रेणी में नियुक्ति हो गई तो वह बरेली आ गए। यहां उन्‍होंने मनोहरलाल भूषण कॉलेज से 75 प्रतिशत के साथ 12वीं की। इस समय वह एक मलिन बस्ती में रहते थे। पानी भर जाता था लेकिन वह उसी हाल में पढ़ते थे।

एटॉमिक सेंटर में वैज्ञानिक
12वीं के बाद उनका सलेक्शन एएमयू अलीगढ़ में बीटेक में हो गया, लेकिन फीस भरने के पैसे नहीं थे। इस पर उनके पापा ने गांव में एक एकड़ जमीन बेच दी और फीस भरी। कोर्स करने के बाद गुरुग्राम की एक कंपनी में उनका प्लेसमेंट हो गया। यहां की सैलरी से घर की जरूरतें पूरा करना मुश्किल था तो भाभा एटोमिक रिसर्च इंस्टीटयूट की परीक्षा दी और उनका चयन तारापुर मुंबई में वैज्ञानिक के पद पर हो गया। जिस समय उनका स‍िव‍िल सेवा में चयन हुआ था, वह एटॉमिक सेंटर नरौरा में पोस्टिंग थे।

संसाधनों का अभाव झेला
गरीबी देखी, परेशानी झेली लेकिन हार नहीं मानी। मेहनत और लगन के बल पर मलिन बस्ती से सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पाने वाले नूरूल हसन के परिवार का सिर आज गर्व से उंचा है। मूलरूप से उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के गांव हररायपुर के रहने वाले नूर ने आर्थिक हालातों से जूझकर, संसाधनों के अभाव में खुद को स्थापित किया है और 2015 में आईएएस (IAS) में उनका चयन हो गया।

बिना कोचिंग सफलता
नूर ने बिना कोचिंग के आईएएस की परीक्षा पास की है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के बेटे नूर अपनी सफलता पर बात करते हुए भावुक हो जाते हैं। वह वर्तमान में भारतीय पुल‍िस सेवा (IPS) में कार्यरत हैं और महाराष्ट्र में ASP के पद पर तैनात हैं। टाइम्‍स नाउ हिंदी को नूर ने बताया, ‘मुझे खेलने और पढ़ने का शौक है। मैं गांव में खेतों पर जाता था तो किताबें साथ लेकर जाता था। सात—आठ साल की उम्र से अखबार पढ़ता हूं। अखबार खरीदने के पैसे नहीं थे तो होटलों पर जाकर पढ़ता था।

वैकल्पिक विषय
सिव‍िल सेवा की मुख्य परीक्षा में नूरूल ने पब्लिक एडमिनिस्टेशन को चुना था। वहीं उन्‍होंने इंटरव्‍यू का अनुभव भी साझा किया। उन्‍होंने बताया, ‘इंटरव्यू शानदार था। मेरे विषय से हटकर मुझसे सवाल पूछे गए। इंजीनियरिंग, संविधान और क्रिकेट से संबंधित प्रश्न पूछे। इसके अलावा गुरनानक, सिखों के गुरओ के नाम पूछे।’

पिता का सिर किया ऊंचा
गरीबी देखी, परेशानी झेली लेकिन हार नहीं मानी। मेहनत और लगन के बल पर मलिन बस्ती से यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पाने वाले नूरूल हसन के परिवार का सिर आज गर्व से उंचा है। महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी नूरूल हसन के पिता ने फीस भरने को अपनी जमीन तक बेच दी थी लेकिन उन्होंने ऑफिसर बनकर पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।

युवाओं को सलाह
उन्होंने बताया कि जोगिंदर सिंह के लेखों ने मेरे जीवन को प्रेरणा दी है। मैं उनके लेखों को बड़े मन से पढ़ता था।’ तैयारी कर रहे युवाओं को भी नूरूल हसन ने संदेश दिया। वह कहते हैं, ‘गरीबी को कोसें ना। जो भी संसाधन हैं उन्हीं के बीच तैयारी करें। बस अपनी मेहनत और लगन के साथ समझौता न करें।

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