‘मिस मालवा’ को अश्लील बता मरने – मारने पर उतारू हो गए थे डॉ मोहन यादव
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक डॉ संतोष मानव की किताब में खुलासा

एस मनु
भोपाल: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव महिलाओं के अंग प्रदर्शन के खिलाफ हैं। इसी सवाल पर एक समय वे मरने – मारने पर उतारू हो गए थे। उस समय वे बीजेपी की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के नेता थे। यह खुलासा वरिष्ठ पत्रकार और लेखक डॉ संतोष मानव की किताब में हुआ है। ‘एमपी के नेताजी’ शीर्षक किताब का प्रकाशन दिल्ली का समय प्रकाशन कर रहा है। इसी माह किताब प्रकाशित हो जाएगी। भोपाल में आयोजित भव्य समारोह में किताब का विमोचन केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी करेंगे। अध्यक्षता राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश करेंगे।
समय प्रकाशन के निदेशक चंद्रभूषण ने बताया कि दो सौ पन्नों की इस किताब में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को लेकर अनेक ऐसी बातें हैं, जो पहली बार सामने आएगी। उन्होंने कहा कि यह किताब न जीवनी है, न रिपोर्ताज, न निबंध— किताब की शैली अद्भुत है। यह पाठकों को आरंभ से अंत तक बांधे रखती है। और अंत में लगता है कि कुछ कहना अब भी बाकी है। उन्होंने कहा है कि किताब में उन मुद्दों का भी जिक्र है, जिसका जवाब आज नहीं तो कल डॉ मोहन यादव को देना पड़ेगा।
चंद्रभूषण ने किताब का एक अंश जारी किया है, जो इस प्रकार है –
—-कभी बजरंग दल के प्रदेश अध्यक्ष रहे मुकेश यादव एक और कहानी सुनाते हैं – उज्जैन में तब वशिष्ठ परिवार का दबदबा था। एमएलए, मंत्री और उज्जैन का मुख्यमंत्री वशिष्ठ परिवार ही था। महावीर वशिष्ठ एमएलए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के प्रिय थे। उस दौर में मोहनजी ने ‘मिस मालवा’ प्रतियोगिता का विरोध किया। उनका तर्क था कि इसमें नग्नता है, अश्लीलता है। वशिष्ठ परिवार से जुड़े लोग इस कथित प्रतियोगिता का आयोजन करते थे। मोहनजी ने कहा कि यह हमारी संस्कृति नहीं है। भारी विरोध हुआ। पूरे शहर में तनातनी रही। कर्फ्यू की नौबत थी। 144 तो लगा ही। तब जयभान सिंह पवैया बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। वे भी उज्जैन आए। भारी आंदोलन हुआ। पुलिस की लाठियां चली। अनेक सिर फूटे। उस साल तो पुलिस के बल पर प्रतियोगिता हो गई। प्रतियोगिता स्थल पर दो हजार पुलिस वालों की ड्यूटी लगाई गई थी। पर बाद में उन्हें यह सब बंद करना पड़ा। कथित प्रतियोगिता हमेशा के लिए बंद हो गई। आप कह सकते हैं कि उनमें (डॉ मोहन यादव) गलत के विरोध का साहस है। एक बार तय कर लेने के बाद वे थमते नहीं हैं। ———–।