मरते समय औरंगजेब को किस बात का था अफसोस, पता है?

औरंगजेब का जीवन
मुगल बादशाह औरंगजेब का जीवन बहुत सारे इतिहासकारों और शोध करने वाले छात्रों के लिए जिज्ञासा का केंद्र रहा है. भारत के सबसे ताकतवर शासकों में शुमार औरंगजेब ने लंबे समय तक शासन किया. जिस बादशाह के एक इशारे पर पूरी हुकूमत चलती थी उसके जीवन के आखिरी दिन कैसे बीते? आइये इस बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.
जीवन के आखिरी दो दशक
उत्तर भारत पहले से ही मुगलों के शासन में आता था. औरंगजेब की सबसे बड़ी इच्छा दक्षिण भारत और मराठों पर जीत दर्ज करने की थी. इसके लिए उसने जीवन के आखिरी दो दशक दक्षिण में ही बिताए. औरंगजेब ने दक्षिण भारत के कुछ राज्य जीत भी लिए और मुगलिया सल्तनत को साढ़े बारह लाख वर्ग मील में फैला दिया.
बुढ़ापे में अकेलेपन का शिकार
हालांकि जीवन के आखिरी दिनों में औरंगजेब ने अपना साम्राज्य खुद की नजरों के सामने ही बिखरता हुआ पाया. औरंगजेब के जीवन पर अध्ययन करने वाले विख्यात भारतीय इतिहासकार सर जदुनाथ सरकार के अनुसार, औरंगजेब बुढ़ापे में अकेलेपन का शिकार हो गया था. आखिरी दिनों में औरंगजेब के सभी साथी दुनिया को विदा कह गए थे और वह एकाकी जीवन बिताने लगे
किसी भी पुत्र में शासन संभालने की काबिलियत नहीं थी
जीवन के आखिरी दिनों औरंगजेब को समझ आ गया था कि उसका दरबार चापलूसों और भ्रष्ट अधिकारियों से भर गया है. औरंगजेब की मौत के समय उसके तीन पुत्र जीवित थे. दो पुत्रों की मौत हो चुकी थी. औरंगजेब इस बात से निराश था कि उसके किसी भी पुत्र में शासन संभालने की काबिलियत नहीं थी.
नालायक बेटे से बेहतर है एक बेटी होना
औरंगजेब अपने पुत्रों से इतना नाराज था कि अपने एक बेटे मुअज्जम को लिखे खत में उसने कहा था, एक नालायक बेटे से बेहतर है एक बेटी होना. औरंगजेब अपने किसी भी पुत्र में अपना उत्तराधिकारी नहीं देखता था. इस बात का उसे ज्यादा दुख था. हालांकि इसके लिए खुद औरंगजेब ही जिम्मेदार था क्योंकि उसने कभी शहजादों का स्वतंत्र विकास नहीं होने दिया. वह हमेशा उन्हें निगरानी में रखता था.
दरबारियों को भी अपने बेटों से ज्यादा महत्व देता था
औरंगजेब अपने दरबारियों को भी अपने बेटों से ज्यादा महत्व देता था. शहजादों की हैसियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक बार औरंगजेब के वजीर असद खां और कमांडर जुल्फिकार खां ने उसके सबसे छोटे बेटे कामबख्श को गिरफ्तार कर लिया था. कामबख्श ने औरंगजेब की अनुमति के बिना मराठा राजा राजाराम से बात करने की कोशिश की थी.
अपनों के छोड़ जाने का औरंगजेब को बहुत दुख था
अंतिम दिनों में औरंगजेब का हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1705 में उसकी बहू जैनजेब की मौत हो गई थी. एक बेटे अकबर की भी 1704 में मौत हो गई थी. 1702 में औरंगजेब की बेटी जेबुन्निसा भी दुनिया छोड़ चुकी थी. औरंगजेब के भाई बहनों में अकेली जिंदा बची गौहर आरा भी चल बसीं. अपनों के छोड़ जाने का औरंगजेब को बहुत दुख था.
मुगल सल्तनत को बिखरते देखा
50 वर्ष तक शासन करने के बाद औरंगजेब की मौत दक्षिण के अहमदनगर में 3 मार्च सन 1707 ई. में हो गई. दौलताबाद में औरंगजेब को दफना दिया गया. औरंगजेब की क़ब्र महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले ख़ुल्दाबाद में स्थित है. औरंगजेब ने अपने जीते जी ही मुगल सल्तनत को बिखरते देख लिया था. (सभी तस्वीरें प्रतीकात्मक हैं )
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