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दिग्विजय-नाथ बन पाएंगे जय-वीरू जैसे दोस्त….!

राजनीति में क्या, कब हो जाए, कौन जानता है ?

दिनेश निगम ‘त्यागी’
कांग्रेस में जय-वीरू के नाम से चर्चित दिग्विजय सिंह-कमलनाथ की दोस्ती फिर पहले जैसी परवान चढ़ सकेगी, कह पाना मुश्किल है। कमलनाथ सरकार गिरने और ज्योतिरादत्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने को लेकर दोनों के बीच विवाद सार्वजनिक हुआ था। अब दिग्विजय के नए बयान से फिर बहस छिड़ गई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि कमलनाथ और मेरे लगभग 50 वर्षों के पारिवारिक संबंध हैं। हमारे राजनीतिक जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं। हमारा सारा राजनीतिक जीवन कांग्रेस में रहते हुए विचारधारा की लड़ाई लड़ते बीता है। आगे भी लड़ते रहेंगे। छोटे-मोटे मतभेद रहे हैं, लेकिन मनभेद कभी नहीं। उन्होंने लिखा कि कल उ्मुलाकात हुई। हम दोनों को कांग्रेस नेतृत्व ने खूब अवसर दिए। आगे भी हम मिल कर जनता के हित में कांग्रेस के नेतृत्व में सेवा करते रहेंगे। इस पर कमलनाथ की प्रतिक्रिया नहीं आई, पर अब दोनों जय-वीरू जैसे दोस्त बन सकेंगे, कह पाना कठिन है, क्योंकि मेल-मिलाप की यह कोशिश पार्टी नेतृत्व की नाराजगी के बाद हुई बताई जाती है। बता दें, कमलनाथ के समर्थन की बदौलत ही दिग्विजय 10 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन कमलनाथ मुख्यमंत्री बने तो दिग्विजय उनका वैसा साथ नहीं दे पाए। कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ही दोनों के बीच खाई बढ़ी।
गृह युद्ध का खतरा बताने वाले शाक्य पर होगी कार्रवाई….!
भाजपा के एक वरिष्ठ विधायक पन्नालाल शाक्य ने धमाका कर दिया। इन्होंने दावा किया कि भारत के हालात नेपाल, श्रीलंका, अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे हैं। यहां कभी भी गृह युद्ध छिड़ सकता है। इसमें कोई शक नहीं कि देश के अंदर हिंदू-मुस्लिम के बीच वैमनस्यता लगातार बढ़ रही है। खाई इतनी गहरी हो रही है कि ये एक-दूसरे के पास रहने तक के लिए तैयार नहीं है। आए दिन सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने वाली घटनाएं होती हैं लेकिन हालात इतने बदतर हैं कि गृह युद्ध छिड़ सकता है, यह अतिशयोक्ति कही जाएगी। यह बात कांग्रेस के किसी नेता ने कही होती तो भाजपा ने अब तक आसमान सिर पर उठा लिया होता। पर शाक्य को नोटिस तक जारी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि लंका में आग लगी, बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ, अफगानिस्तान की हालत खराब है, पाकिस्तान में आतंकवाद पनप रहा है और हाल ही में नेपाल भी बर्बाद हो गया। अब सबकी निगाह हिंदुस्तान पर है। अगर हमने युवाओं को मिलिट्री ट्रेनिंग देकर तैयार नहीं किया तो हमारे देश में भी गृहयुद्ध छिड़ सकता है। उन्होंने जिला प्रशासन से आग्रह किया कि उनका यह लिखित प्रस्ताव दिल्ली भेजा जाए। मुझे खतरा दिख रहा है, इसलिए यह जल्द शुरू होना चाहिए। वर्ना ये जितने स्कूटी लेकर गए हैं न यहां से, कोई दो थप्पड़ लगाएगा और स्कूटी तक छुड़ा ले जाएगा।
सीएम होते तो रुकता इस तरह शिवराज का काफिला….!
प्रदेश के लगभग 17 साल तक मुख्यमंत्री रहे केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की सुरक्षा में लगातार चूक हो रही है। यह उनके सतना दौरे के दौरान भी देखने को मिला। उनका काफिला जा रहा था और कांग्रेसियों ने सड़क पर लेटकर उन्हें रोक लिया। सवाल है कि यदि वे मुख्यमंत्री होते तो क्या इस तरह उनका काफिला रोका जाता? मुख्यमंत्री की ही तरह केंद्रीय मंत्री का दौरा कार्यक्रम भी पूर्व निर्धारित होता है। शिवराज केंद्रीय मंत्री के साथ प्रदेश के बड़े नेता है। उनकी सुरक्षा व्यवस्था भी एक मुख्यमंत्री जैसी होना चाहिए। इस तरह उनके काफिले को कैसे रोका जा सकता है? केंद्रीय कृषि मंत्री जब अपने निजी कार्यक्रम में शामिल होकर वापस लौट रहे थे, इसी बीच पीएम श्री महाविद्यालय के सामने हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हो गए. और शिवराज सिंह चौहान का काफिला रोक लिया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाए और नारेबाजी की। जब शिवराज अपनी कार से नीचे उतरे तो कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा ने उनसे बात की। विधायक ने कहा सतना के किसानों को आप खाद मुहैया कराइए। शिवराज ने कहा कि मैं राज्य सरकार से बात करता हूं कि इस समस्या का कैसे समाधान निकाला जाए। समस्याएं सुनने के बाद शिवराज ने कहा -क्या मैं अब जाऊं? सवाल अब भी वही, क्या इस तरह उन्हें रोकना उनकी सुरक्षा को खतरा नहीं है?
निर्धारित फार्मूले पर अपनी टीम गठित कर पाएंगे हेमंत….!
भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की टीम कब गठित होगी, कोई नहीं जानता। उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही इसे लेकर अटकलों के दौर चल रहे हैं। अभी पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष का दौरा हुआ, तब भी कहा गया कि खंडेलवाल की टीम पर चर्चा हो गई है। बहरहाल, टीम चाहे जब गठित हो लेकिन इसके गठन का फार्मूला लगभग तय होता जा रहा है। खंडेलवाल के एक्शन से उनकी टीम के खाके पर चर्चा होने लगी है। पहला फार्मूला यह है कि खंडेलवाल अपनी टीम में सांसदों, विधायकों को कोई स्थान नहीं देंगे। टीम में अभी जो विधायक, सांसद हैं, उन्हें भी बाहर कर दिया जाएगा। ऐसा ‘एक व्यक्ति, एक पद’ के सिद्धांत के तहत किया जाएगा। खंडेलवाल का मानना है कि जो नेता टिकट से वंचित रह जाते हैं, उन्हें संगठन और सरकार की नियुक्तियों में मौका मिलना चाहिए। दूसरा, जिला कार्यकारिणी में जिन नेताओं के परिवारजनों को पदाधिकारी बना दिया गया था, उनसे इस्तीफे ले लिए गए हैं। इससे साफ है कि खंडेलवाल भी अपनी टीम में किसी नेता के बेटा-बेटी अथवा अन्य परिजन को स्थान नहीं देंगे। अर्थात टीम को परिवारवाद से पूरी तरह मुक्त रखा जाएगा। बस राजनीति का बड़ा सवाल यह है कि क्या खंडेलवाल तय फार्मूले के अनुसार अपनी टीम गठित कर पाएंगे?
संजय को लेकर आई एक और चौंकाने वाली खबर….
प्रदेश के बड़े खनन माफिया, विधायक और पूंजीपति संजय पाठक की गृह दशा कुछ समय से खराब चल रही है। हाल में हाईकोर्ट जज को फोन करने को लेकर वे सुर्खियों में आए थे, अब दूसरा चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। हाईकोर्ट के वकीलों ने उनकी ओर से केस लड़ने से ही इंकार कर दिया है। वकील जज को फोन किए जाने को लेकर नाराज हैं। विरोध स्वरूप उन्होंने ऐसा किया है। केस की सुनवाई के दौरान ही जस्टिस विशाल मिश्रा ने फोन करने का खुलासा किया था और खुद मामले से अलग हो गए थे। खबर है कि इस घटना की जानकारी अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने लिखित रूप से उच्च न्यायालय को दी। इसके बाद अंशुमान ने भी पाठक के मुकदमे से हाथ खींच लिए। बताया जा रहा है कि पाठक से जुड़ी कंपनियों के मामले देख रहे चार अन्य वकीलों ने भी वकालतनामा वापस ले लिया है। यह पूरा मामला जनवरी 2025 का है। कटनी निवासी आशुतोष उर्फ मनु दीक्षित ने ईओडब्ल्यू में शिकायत की थी। इसमें बताया गया था कि निर्मला मिनरल्स, आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन और पैसिफिक एक्सपोर्ट्स नाम की कंपनियां बड़े पैमाने पर अवैध खनन कर रही हैं। सरकार ने इन कंपनियों पर 443 करोड़ रुपए का भारी जुर्माना लगाया था। इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर हैं। कंपनियां पाठक के परिजनों के नाम हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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