Join Whatsapp Group
Join Our Whatsapp Group
राजनीति

राज्यसभा के लिए दबाव की राजनीति के तहत तो नहीं की दिग्विजय ने संघ की तारीफ!

राज्यसभा के लिए दबाव की राजनीति के तहत तो नहीं की दिग्विजय ने संघ की तारीफ!

कांग्रेस में राज्यसभा के लिए नाथ, जीतू सहित 5 मुख्य दावेदार
ज्योतिरादित्य ने भी राज्यसभा को लेकर छोड़ी थी कांग्रेस
दिनेश निगम ‘त्यागी’

आमतौर पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह कोई भी बयान बिना सोचे समझे नहीं देते। नफा-नुकसान की परवाह किए बगैर वे रणनीति के तहत ही बोलते हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ जमीन पर बैठे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो के साथ एक्स पर उनकी पोस्ट भी किसी रणनीति का हिस्सा हो सकती है। राजनीतिक हल्कों मेंं इसे लेकर अटकलों का दौर जारी है। भाजपा और आरएसएस की तारीफ को राज्यसभा के लिए उनकी दबाव की राजनीति भी कहा जा रहा है। बता दें, लगभग तीन माह बाद 9 अप्रैल 2026 को दिग्विजय का राज्यसभा का कार्यकाल पूरा हो रहा है। तब तक वे खुद पर फोकस बना कर रखना चाहते हैं, ताकि उनके फिर राज्यसभा जाने की संभावना बनी रहे।

राज्यसभा के कारण ही सिंधिया ने गिरा दी थी सरकार

9 अप्रैल 2020 को जब दिग्विजय राज्यसभा के लिए चुने गए थे, उससे पहले राज्यसभा की वजह से ही ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में चले गए थे। दोनों ही राज्यसभा के लिए प्रमुख दावेदार थे। कांग्रेस दिग्विजय को पहला और ज्योतिरादित्य काे दूसरा प्रत्याशी घोषित कर रही थी जबकि पार्टी के पास एक प्रत्याशी को जिताने लायक ही सदस्य थे। इससे नाराज सिंधिया भाजपा में अपने साथ इतने विधायक ले गए थे कि कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई थी। इस बार भी कमलनाथ और प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी सहित कांग्रेस के 5 दिग्गज राज्यसभा के लिए दावेदार हैं लेकिन दिग्विजय फिर एक मौका चाहते हैं। इसलिए भाजपा और संघ की तारीफ को कांग्रेस में दबाव की राजनीति से जोड़ कर देखा जा रहा है।

राज्यसभा के लिए कांग्रेस से ये प्रमुख दावेदार

वैसे 9 अप्रैल 2026 को राज्यसभा की दो सीटें खाली हो रही हैं। इनमें दिग्विजय के अलावा भाजपा के सुमेर सिंह सोलंकी का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है। 2020 की तरह इस बार भी कांग्रेस राज्यसभा की एक ही सीट जीत सकती है। इसके लिए कांग्रेस से वरिष्ठ नेता दिग्विजय के अलावा कमलनाथ, जीतू पटवारी, मीनाक्षी नटराजन, अरुण यादव और कमलेश्वर पटेल प्रमुख दावेदार हैं। सभी राज्यसभा के लिए प्रयास कर रहे हैं। कमलनाथ विधायक हैं और दिग्विजय राज्यसभा सदस्य। शेष किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। कांग्रेस में एक वर्ग दिग्विजय के बयान को इसी से जोड़ कर देख रहा है।

दिग्विजय को मिला भाजपा में आने तक का ऑफर

भाजपा और संघ की संगठन शक्ति की तारीफ के बाद अपवाद छोड़ कर कांग्रेस में दिग्विजय का विरोध हो रहा है। शशि थरूर जैसे कुछ नेता ही समर्थन में सामने आए हैं, कांग्रेस में उनकी निष्ठा पहले से ही संदिग्ध है। दूसरी तरफ भाजपा में उनके बयान का स्वागत हो रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने दिग्विजय को भाजपा में आने तक का ऑफर दे दिया है। प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दिग्विजय को सरकार पटेल जैसा सच बोलने वाला साहसी बता दिया है। कैलाश पहले भी विधानसभा के अंदर दिग्विजय के कार्यकाल की तारीफ कर चुके हैं। हालांकि दिग्विजय ने भाजपा में आने के ऑफर को ठुकरा दिया है और कहा है कि वे संघ और भाजपा के घोर विरोधी हैं और हमेशा बने रहेंगे।

वरिष्ठों की उपेक्षा से जोड़ कर भी लिया जा रहा बयान

राजनीतिक में दिग्विजय के बयान को कांग्रेस के अंदर वरिष्ठों की उपेक्षा से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। प्रदेश में सारे निर्णय जीतू पटवारी और उमंग सिंघार की जोड़ी ले रही है। वरिष्ठों की पूछ परख कम हो गई है। यही स्थिति देश के अन्य राज्यों में भी है। नई पीढ़ी को ज्यादा महत्व मिल रहा है। यदि दिग्विजय के बयान की मंशा यह है तो भविष्य में कांग्रेस को नई मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। पार्टी के अंदर वरिष्ठों और युवाओं के नए गुट बन सकते हैं। कांग्रेस नेतृत्व पहले भी ऐसी स्थिति का सामना कर चुका है जब पार्टी के वरिष्ठ नया गुट बना कर कांग्रेस के लिए समस्या बने थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button