
रिपोर्ट:- अमित कुमार
धनबाद : बाल विवाह एक सामाजिक पाप है, जो हमारी भावी पीढ़ियों की नींव को हिला देता है। बाल विवाह को कई लोग आज भी परंपरा, संस्कार या सामाजिक जिम्मेदारी मानते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि यह एक कुप्रथा है यह एक ऐसा घाव जो बच्चों के जीवन को अपूर्ण बना देता है। भारतीय कानून के अनुसार, लड़कियों की न्यूनतम वैवाहिक आयु 18 वर्ष और लड़कों की 21 वर्ष निर्धारित की गई है। यदि कोई इससे पहले विवाह करता है, तो वह न केवल कानून तोड़ता है, बल्कि एक बच्चे का बचपन, उसका भविष्य और उसके सपनों को भी तोड़ता है।
डिप्टी चीफ अजय कुमार भट्ट ने कार्यक्रम को संबोधित किया
उपरोक्त बातें शुक्रवार को सिविल कोर्ट धनबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में अवर न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार मयंक तुषार टोपनो ने झारखंड ग्रामीण विकास ट्रस्ट के फील्ड लीडर, कोऑर्डिनेटर एवं डालसा के पारा लिगल वॉलंटियर को संबोधित करते हुए कही।वहीं एलएडीसीएस के डिप्टी चीफ अजय कुमार भट्ट ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि न्याय केवल अदालतों तक सीमित नहीं है। हर माता-पिता, हर जागरूक नागरिक को यह समझना होगा कि बाल विवाह रोकना केवल कानून का नहीं, समाज की अंतरात्मा का भी प्रश्न है . हमें लड़कियों को बोझ नहीं, बल्कि सशक्त, और जुझारू बनाना होगा। शिक्षा, आत्मनिर्भरता और आत्म-सम्मान से ही समाज की बेटियाँ आगे बढ़ेंगी।
दो वर्ष तक की सज़ा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बोकारो सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन सह झारखंड ग्रामीण विकास ट्रस्ट के निदेशक शंकर रावानी ने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत यह एक दंडनीय अपराध है। इसमें दोषी पाए जाने पर दो वर्ष तक की सज़ा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।पीड़ित को संरक्षण, शिक्षा और पुनर्वास का अधिकार है।
अभियान को सार्थक बनाने में अपना अहम योगदान दे रही है
कोई भी नागरिक बाल विवाह की सूचना बाल संरक्षण अधिकारी या पुलिस को दे सकता है। यह उनकी कानूनी और नैतिक जिम्मेवारी है.कार्यक्रम के विषय में जानकारी देते हुए अवर न्यायाधीश सह सचिव डालसा मयंक तुषार टोपनो ने बताया कि नालसा द्वारा आशा अभियान लॉन्च किया गया है जिसके तहत धनबाद जिले के सभी प्रखंडों एवं पंचायत में बाल विवाह रोकथाम एवं इस कुरीतियों से पीड़ित किशोर एवं किशोरियों का कौशल विकास कर समाज के मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य डालसा की टीम कर रही है जिसमें झारखंड विकास ग्रामीण ट्रस्ट के अध्यक्ष शंकर रवानी एवं उनकी टीम डालसा की टीम के साथ जुड़कर इस अभियान को सार्थक बनाने में अपना अहम योगदान दे रही है ।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार (नालसा) द्वारा आशा अभियान लॉन्च किया गया है। अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक टीम का गठन किया जा रहा है इसमें कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश , डालसा सचिव , जिला समाज कल्याण पदाधिकारी , एडीएम लॉ एंड ऑर्डर , जिला शिक्षा पदाधिकारी , मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी , एसडीपीओ धनबाद , जिला कल्याण पदाधिकारी , जिला बाल सुरक्षा पदाधिकारी , विशेष किशोर पुलिस इकाई , चीफ एलएडीसीएस , पैनल अधिवक्ता , अधिकार मित्र विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर जागरूकता फैलाएंगे हुआ। इस रीति से पीड़ित बच्चियों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाएंगे इस मौके पर एलएडीसीएस चीफ कुमार विमलेंदु, डालसा सहायक सौरभ सरकार ,संतोष कुमार ,राजेश सिंह चंदन कुमार, झारखंड ग्रामीण विकास ट्रस्ट कि किशोरी लीडर पूजा कुमारी, चंदा कुमारी, दीपा रवानी ,जुबेदा ख़ातून ,ज्योति कुमारी, गुलनाथ वानो, गुलशन बानो, शीतल कुमारी, नूरी प्रवीन, शिवानी कुमारी, पूर्णिमा कुमारी, तन्नु कुमारी, अनमोल कुमारी , खुशी कुमारी ,संतोषी कुमारी वंदना कुमारी, कविता कुमारी,फील्ड कोऑर्डिनेटर माला देवी, पूजा कुमारी, सीता कुमारी, व डालसा के पैरालीगल वॉलंटियर उपस्थित थे।