
पटना : कल तक जो लोग बिहार में खेल और खिलाड़ियों को लेकर कहते थे कि यहां कुछ नहीं हो सकता, आज उनके स्वर बदल चुके हैं। बिहार ने पहली बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स की सफल मेजबानी करते हुए यह साबित कर दिया कि खेल प्रतिभाओं को थोड़ी सी सुविधा और अवसर उपलब्ध कराई जाए तो उनकी उड़ान आसमान को भी चीर सकती है।
खेलो इंडिया यूथ गेम्स, 2025 की पदक तालिका में देश के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में बिहार कुल तीन दर्जन पदकों, जिनमें सात स्वर्ण, 11 रजत और 18 कांस्य पदक शामिल हैं, के साथ 14वें स्थान पर है। यानी बिहार ने पदकों की संख्या में 620 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज कर ली है।
बिहार ने खेल जगत को दिया संदेश
खेलो इंडिया की पदक तालिका में बिहार झारखंड से भी एक पायदान ऊपर है। खेलो इंडिया यूथ गेम्स के सातवें संस्करण की समाप्ति के साथ बिहार ने खेल जगत को यह संदेश दे दिया है कि बिहार के खेत-खलिहानों में भी अब ओलंपिक और एशियाई खेलों के पदक विजेता खिलाड़ियों की फसल तैयार हो रही है। वर्ष 2018 में जब देश में खेलो इंडिया यूथ गेम्स का आगाज हुआ था तब बिहार के हिस्से महज एक कांस्य पदक आया था। इसी तरह वर्ष 2019 में एक रजत और चार कांस्य पदकों के साथ बिहार ने कुल पांच पदक हासिल किए थे। महज एक साल में खेल की अधूरी बुनियादी सुविधाओं के साथ बिहार के खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन में 400 प्रतिशत की सुधार दर्ज की थी। वर्ष 2020 में बिहार के खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार का यह क्रम जारी रहा और बिहार के खिलाड़ियों ने अपने अथक परिश्रम से पहली बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स में एक स्वर्ण, एक रजत और सात कांस्य पदक के साथ अपने पदकों की संख्या को नौ तक पहुंचा दिया।
प्रदर्शन में 72 प्रतिशत की गिरावट
लेकिन वर्ष 2021 में कोविड-19 के कारण बिहार का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा और हम नौ पदकों से सीधे दो पर आ गए। यानि एक झटके में बिहार के प्रदर्शन में 72 प्रतिशत की गिरावट आ गई। खेलो इंडिया यूथ गेम्स के पहले चार संस्करणों की पदक तालिका में बिहार 28वें स्थान पर कायम था। लेकिन वर्ष 2022 से बिहार के खिलाड़ियों ने पदक तालिका की ऊपरी पंक्ति में अपना नाम दर्ज कराने की मुहिम शुरू कर दी। हालांकि 2022 में बिहार केवल एक स्वर्ण, एक रजत और पांच कांस्य पदक ही हासिल कर सका था, लेकिन पदक तालिका में बिहार ने अपनी स्थिति को मजबूत करने का संघर्ष शुरू कर दिया था।
बिहार 21वें स्थान पर
इसी तरह, वर्ष 2023 में भी बिहार ने केवल पांच पदक ही जीते लेकिन इन पांच पदकों में दो स्वर्ण पदक के कारण पदक तालिका में बिहार 21वें स्थान पर पहुंच गया। बिहार में खामोशी से आकार ले रही इस खेल क्रांति के पीछे न सिर्फ बिहार के युवा खिलाड़ियों का जुनून काम कर रहा है बल्कि खेलों को लेकर बिहार सरकार के उस विजन ने इस सफलता में बड़ी भूमिका निभाई है, जिसमें खिलाड़ियों के लिए बुनियादी सुविधाएं, देसी-विदेशी प्रशिक्षक, ट्रेनर और सपोर्टिंग स्टाफ की टीम ने इस मुकाम पर पहुंचाया है। बिहार ने मणिपुर के परंपरागत मार्शल आर्ट थांगटा में दो, रग्बी में दो, एथलेटिक्स में दो और सेपक टाकरा में एक स्वर्ण पदक हासिल किए हैं।
हम इतिहास रचते हैं : रविन्द्रण शंकरण
बिहार की इन उपलब्धियों पर बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविन्द्रण शंकरण कहते हैं, यह बिहार है। हम इतिहास लिखते नहीं रचते हैं। हमारे प्रतिभावान खिलाड़ियों ने सपनों को नए पंख दिए हैं। यह पिछले चार वर्षों की मेहनत का नतीजा है। खेल के विशेषज्ञ प्रशिक्षकों से खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दिलाई गई। यहां तक कि विदेशी कोच भी बुलाए गए हैं। इसके लिए बिहार राज्य खेल प्राधिकरण को रजिस्टर्ड किया गया और राज्य सरकार ने खेल विभाग का गठन किया। हमारे खिलड़ियों ने भी खूब मेहनत की है, जिससे उनका प्रदर्शन दिनोंदिन निखरता चला गया।